
इस्लामिक देश ईरान पर इजरायल ने एक बड़ा और अप्रत्याशित हमला किया है, जिससे पूरे मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ गया है। शुक्रवार की सुबह यह हमला हुआ, जिसमें इजरायल ने कई अहम और संवेदनशील परमाणु ठिकानों को अपने निशाने पर लिया है। इस अप्रत्याशित हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग और तेज़ होने की संभावनाएं बन रही हैं। सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ईरान ने अपना एयरस्पेस अस्थायी रूप से पूरी तरह बंद कर दिया है।
ईरान के एयरस्पेस को बंद किए जाने का सीधा असर वैश्विक हवाई सेवाओं पर पड़ा है और विशेष रूप से भारत को इससे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के लिए उड़ान भरने वाली भारतीय फ्लाइट्स पर भी इसका सीधा प्रभाव देखने को मिला है। एयर इंडिया ने स्थिति को देखते हुए तुरंत प्रतिक्रिया दी है—कुछ उड़ानों को डायवर्ट किया गया है, जबकि कुछ उड़ानों को वहीं वापस बुला लिया गया है, जहां से वे टेकऑफ हुई थीं।
एयर इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस बारे में आधिकारिक जानकारी साझा की है। उनके मुताबिक, अधिकतर वो उड़ानें जो भारत के किसी शहर से रवाना हुई थीं, उन्हें सुरक्षा कारणों से वापस बुलाया गया है। वहीं, जो फ्लाइट्स भारत की ओर आ रही थीं, उन्हें वैकल्पिक रास्तों से डायवर्ट किया गया है। उदाहरण के लिए, लंदन से मुंबई आ रही फ्लाइट अब विएना के रास्ते भारत पहुंचेगी, जबकि न्यूयॉर्क से दिल्ली आने वाली फ्लाइट को अब शारजाह के जरिए लाया जाएगा।
इसी तरह, न्यूयॉर्क से मुंबई के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट अब जेद्दाह होकर आएगी। लंदन से दिल्ली आने वाली फ्लाइट को डायवर्ट कर मुंबई भेजा गया है, वहीं मुंबई से लंदन जा रही फ्लाइट को मिड-एयर ही वापस बुला लिया गया है। दिल्ली से वॉशिंगटन डीसी के लिए रवाना होने वाली फ्लाइट भी अब वापस दिल्ली लौट रही है।
दिल्ली से नेवार्क के लिए जा रही फ्लाइट भी राजधानी की ओर रिटर्न हो रही है। वैंकुवर से दिल्ली की फ्लाइट को अब जेद्दाह होकर लाया जाएगा, जबकि शिकागो से दिल्ली की फ्लाइट को भी जेद्दाह डायवर्ट किया गया है। एक अन्य जटिलता यह भी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से जारी तनाव के कारण भारतीय विमानों को पाकिस्तानी हवाई सीमा से गुजरने की अनुमति नहीं है।
अब जब ईरान का एयरस्पेस भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, तो विमानों को लंबे और वैकल्पिक मार्गों से अपनी मंज़िल तक पहुंचना पड़ रहा है। इससे न केवल ट्रैवल टाइम में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि एविएशन सेक्टर में खर्च भी कई गुना बढ़ गया है। भारत को इस भू-राजनीतिक तनाव के बीच अपनी हवाई सेवाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए तेजी से विकल्प तलाशने होंगे।