भारतीय नौसेना को निकट भविष्य में बड़ी मजबूती मिलने जा रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने घोषणा की कि स्वदेशी तकनीक से विकसित तीसरी न्यूक्लियर बैलिस्टिक पनडुब्बी INS अरिधमान अब अपने अंतिम परीक्षण दौर में है और बहुत जल्द नौसेना के सक्रिय बेड़े का हिस्सा बन जाएगी। यह उन्नत अरिहंत-क्लास पनडुब्बी समुद्र में भारत की सामरिक क्षमता को कई गुना बढ़ाएगी।
नौसेना दिवस से पहले आयोजित प्रेस वार्ता में एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि INS अरिहंत और INS अरिघात पहले से नौसेना की शक्ति में शामिल हैं, और अब अरिधमान के आने से देश का न्यूक्लियर ट्रायड और भी मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि इन पनडुब्बियों की तैनाती न केवल सामरिक संतुलन बनाए रखने में अहम है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा ढांचे को भी एक अभेद्य मजबूती प्रदान करेगी।
SSBN कार्यक्रम: देश की सबसे गोपनीय रक्षा परियोजनाओं में से एक
भारत का एसएसबीएन (न्यूक्लियर बैलिस्टिक पनडुब्बी) कार्यक्रम अत्यधिक गोपनीय श्रेणी में रखा गया है। दुनिया में बेहद सीमित देश ही ऐसी तकनीक रखते हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, और भारत इनमें से एक होने के कारण रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थिति रखता है।
एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि प्रोजेक्ट-75 इंडिया के तहत छह आधुनिक स्टेल्थ डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद की प्रक्रिया लगभग पूरी होने को है। यह अधिग्रहण लगभग 70,000 करोड़ रुपये की लागत से संपन्न किया जा रहा है। साथ ही नौसेना को वर्ष 2028 में 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों में से शुरुआती चार विमानों की डिलीवरी मिल जाएगी।
फ्रांस के साथ हुआ था बड़ा रक्षा समझौताभारत ने इसी वर्ष अप्रैल महीने में फ्रांस के साथ लगभग 64,000 करोड़ रुपये के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो नौसेना की आधुनिक क्षमताओं को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा। नौसेना प्रमुख ने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और सहयोग लगातार बेहतर हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की आक्रामक रणनीति और त्वरित प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान की नौसेना को रक्षात्मक स्थिति में पहुंचा दिया था, जिससे वह अपने बंदरगाहों तक सीमित रहने को मजबूर हो गई।
हिंद महासागर में चीनी गतिविधियों पर भी नज़रहिंद महासागर क्षेत्र में चीनी शोध पोतों को लेकर उठ रही आशंकाओं पर नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना हर गतिविधि पर सतर्क निगरानी रखती है। उन्होंने आश्वस्त किया कि किसी भी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है और नौसेना सरकार के निर्देशानुसार हर संभावित स्थिति पर समय रहते कार्रवाई करती है।
ऑपरेशन सिंदूर ने बदली रणनीतिक तस्वीर: वाइस एडमिरल स्वामीनाथननौसेना के वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना की दृढ़ कार्रवाई और तैनाती पाकिस्तान की ओर से “सीजफायर” की मांग का एक प्रमुख कारण बनी। उन्होंने बताया कि बेहद कम समय में 30 से अधिक जहाज़ों और पनडुब्बियों की तैनाती किसी भी नौसैनिक शक्ति के लिए असाधारण उपलब्धि है। चार से छह दिनों के भीतर इतने बड़े बेड़े को सक्रिय करना भारतीय नौसेना की तेज़ी और क्षमता का प्रमाण है।