सभी पेरेंट्स अपने बच्चों का पालन-पोषण अच्छे से करना चाहते हैं कि उन्हें सही खानपान के साथ ही अच्छे संस्कार दिए जाए। पेरेंट्स अपने बच्चों की हर ख्वाहिश को पूरा करने का सपना रखते हैं और बच्चों के प्यार-दुलार में कोई कमी नहीं रखते हैं। लेकिन कई बार देखा जाता हैं कि बच्चों की आदतें बिगड़ने लगती हैं और वे अनुशासनहीन हो जाते हैं। इसके लिए पेरेंट्स आसपास के वातावरण को दोषी ठहराते हुए नजर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेरेंट्स की वजह से ही कई बच्चे बिगड़ने लगते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दर्शाते हैं कि आप ही अपने बच्चों को बिगाड़ रहे हैं।
हर समय बच्चों की तारीफ करना
बच्चों की तारीफ करना बहुत अच्छी बात है। इससे बच्चों को प्रेरणा मिलती है और वे अगली बार और बेहतर करे का प्रयास करते हैं। लेकिन हर समय बच्चों की तारीफ करना भी उनके मानसिक विकास के लिए अच्छा नहीं है, खासकर झूठी तारीफ करना। इससे बच्चे चैलेंज स्वीकार करने में हिचकिचाते हैं। बच्चों को गलत करने पर टोकना और समझाना भी उतना ही जरूरी है, जितना कि अच्छा काम करने पर तारीफ करना। इसलिए आपको कभी भी बच्चों को भ्रम में नहीं रखना चाहिए।
बच्चों से कोई आशा न रखना
मां-बाप जो कुछ करते हैं वो बच्चों के लिए करते हैं इसलिए शुरुआती दिनों में बच्चे जो कुछ करते हैं उसके पीछे मां-बाप को खुश और इम्प्रेस करने की प्रेरणा होती है। लेकिन कई बार मां-बाप बच्चों को बहुत ज्यादा प्यार करने के कारण हर बात के लिए आजादी दे देते हैं। बच्चों पर नजर न रखना, उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना, बहुत अधिक आजादी दे देना बच्चों के विकास के लिए अच्छा नहीं है। दरअसल बच्चों पर नजर न रखने से उनका व्यवहारिक और मानसिक विकास बाधित होता है।
बच्चों के लिए हद से ज्यादा चिंतित रहना
हर मां-बाप बच्चों को प्यार करते ही हैं, लेकिन बच्चों को बहुत अधिक प्यार करना, हर समय उनके लिए चिंतित रहना भी सही नहीं है। बच्चों के लिए आपकी सख्ती, दुलार, नाराजगी, गुस्सा, डांट सबकुछ जरूरी है। दरअसल तरह-तरह के एक्सप्रेशन के जरिए आप बच्चों को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करते हैं, कि वो अपने जीवन में शामिल होने वाले लोगों के मनोभावों के प्रति कैसे रिएक्ट करना है ये सीख सकें। इसलिए बच्चों को हद से ज्यादा प्यार करना या उनकी चिंता करना भी सही नहीं है।
उनके कहे बिना ही मदद के लिए आगे आना
परेशानियों, मुश्किलों और जरूरत के समय बच्चों की मदद करना हर मां-बाप का कर्तव्य है। लेकिन हर छोटी-छोटी बात पर उनकी मदद के लिए आगे आ जाना या बिना मदद मांगे ही सहायता करने के लिए उतावले रहना बच्चों के लिए अच्छा नहीं है। इससे बच्चे आप पर निर्भर हो जाते हैं। जबकि एक अच्छे अभिभावक के तौर पर आपका कर्तव्य यह है कि आप अपने बच्चों को चुनौतियों का स्वयं सामना करना सिखाएं। ऐसे मां-बाप को लगता है कि उनके बच्चे को कोई कष्ट न हो, लेकिन छोटी-मोटी परेशानियों से जूझकर ही बच्चा मजबूत इच्छाशक्ति वाला और स्वतंत्र जीवन जीने योग्य बन सकता है। इसलिए जहां भी संभव हो, बच्चों को खुद ही समस्याओं का हल खोजने के लिए कहें।
बच्चों की हर जिद पूरी करना
हर मां-बाप अपने बच्चे की ख्वाहिश पूरी करना चाहते हैं। मगर ख्वाहिश और जिद में अंतर को पहचानना बहुत जरूरी है। बच्चों को ढेर सारे गिफ्ट्स देना, उनके कुछ भी मांगने पर मना न करना और उनकी जिद को हमेशा सिर-माथे पर रखने की आदत बच्चों के व्यवहारिक विकास के लिए अच्छी नहीं है। दरअसल बच्चों की हर जिद पूरी करने से वे चीजों का महत्व नहीं समझते हैं। जबकि जीवन में हर छोटी से छोटी चीज और व्यक्ति का महत्व होता है। मां-बाप को बच्चों को बताना चाहिए कि कौन सी चीज उनके लिए उपयोगी है और कौन सी उपयोगी नहीं है। इसी तरह रिश्तों का, पैसों का, चीजों का, खाना का महत्व उन्हें बताएं।