जरूरी हैं बच्चों को पैसों की कीमत सिखाना, इन 7 तरीकों से सिखाएं बचत करना

पेरेंट्स अपने बच्चों को हर सुख-सुविधा देना चाहते हैं और उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। लेकिन कई बार पेरेंट्स की यह आदत बच्चों पर बुरा असर डालती हैं और उन्हें पैसों की तवज्जो नहीं रहती हैं। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी हैं कि उन्हें पैसों की कीमत का पता हो। यह जिम्मेदारी होती हैं पेरेंट्स की कि अपने बच्चों को समझाया जाए और पैसों की कीमत के बारे में सिखाया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से माता-पिता अपने बच्चे को वित्तीय शिक्षा का ज्ञान कैसे दे सकते हैं।

पैसों का दें सही हिसाब

अकसर माता-पिता अपने बच्चों को यह सब नहीं बताते कि उनके पास कितने पैसे हैं या वह कितने पैसे इस महीने खर्च कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे किसी भी समय कोई कीमती चीज की मांग कर सकते हैं। अगर माता-पिता अपने बच्चे को पहले से ही है बताएंगे कि उनका इस महीने का बजट कितना है और इस बजट के अंदर ही हमें खर्च करना है तो बच्चे सोच समझकर अपनी इच्छा को जाहिर करेंगे। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को मार्केट लेकर जाए और अगर वहां जब बच्चा कई चीजों की मांग करे तो बच्चे को अपने बजट के बारे में समझाएं। साथ ही बच्चे से कहें कि वह किसी एक चीज को खरीद सकता है। इससे न केवल बच्चे को पैसों की जरूरत का एहसास होगा बल्कि चीज खरीदने के लिए सही निर्णय भी ले पाएगा।

गुल्लक लाकर दें

आप अपने बच्चे को 2 गुल्लक लाकर दें। एक गुल्लक वह, जिसमें अपने पैसे इकठ्ठए कर सकता है और एक गुल्लक वह, जिसमें से वह अपने खर्च के लिए पैसे निकाल सकता है। ऐसे में जब आप अपने बच्चों को उनकी पॉकेट मनी दें या बच्चा उन गुल्लक में अपने पैसे जोड़े तो आप बच्चे को समझाएं की बचत वाली गुल्लक को ना छुए और खर्च वाली गुल्लक से ही अपनी जरूरी चीजें की पूर्ति करें। ऐसा करने से बच्चे के पास बचत के पैसे बचे रहेंगे और खर्च के लिए वह खास चीजों को ही चुनेगा।

बचत के साथ संयम भी जरूरी


बचत के साथ संयम का होना भी जरूरी है। ऐसे में यदि आप बच्चे को बचत करना सिखा रहे हैं तो उसे यह भी समझाएं कि बच्चों को थोड़ा सा सब्र रखने की जरूरत है। जैसे बूंद बूंद करके घड़ा भरता है वैसे थोड़े थोड़े पैसे करके एक दिन ज्यादा पैसे इकठ्ठे हो जाएंगे और उन पैसों को बच्चे अपनी पसंद से खर्च भी कर सकते हैं।

बच्चों के लिए बनाएं बचत की डायरी


आप अपने बच्चों को एक डायरी भी लाकर दें, जिसमें वे पूरे हफ्ते या पूरे महीने का बचत लिखें कि उनके बच्चों न कितना पैसा कहां खर्च किया। ऐसे में आप महीने के शुरुआत में ही बच्चों को उसकी पॉकेट मनी दे दें और उसके बाद महीने के अंत में बच्चे से पूरा हिसाब मांगे। बच्चा उस डायरी पर अगर पूरा हिसाब लिखेगा और आपको समझाएगा तो इससे उसके भविष्य में भी यह आदत बनी रहेगी और बच्चे सोच समझकर ही पैसा खर्च करेंगे। बता दें कि बच्चों के अंदर इन आदतों का होना जरूरी है।

पैसों का सही लेनदेन

यदि आप अपने बच्चे को कोई सामान लेने के लिए मार्केट में भेज रही हैं तो उस दौरान बच्चे को पैसों के सही लेनदेन के बारे में समझा कर भेजें। उदाहरण के तौर पर अगर कोई चीज 20 रूपये में लाया है परंतु दुकानदार ने गलती से वह चीज 15 रूपये में दे दी है तो ऐसे में बच्चों को दोबारा उस दुकानदार को 5 रूपये देने के लिए भेजें। इससे ना केवल बच्चा ईमानदार बनेगा बल्कि उससे पैसे का सही लेनदेन भी समझ जाएगा।

वित्तीय निर्णय में बच्चों की भी साझेदारी


यदि आप अपने घर में कोई कीमती सामान मंगवा रहे हैं या शॉपिंग पर जा रहे हैं तो उस दौरान आप अपने बच्चों से भी उनकी राय पूछ सकते हैं। ऐसे में ना केवल बच्चे वित्तीय निर्णय के प्रति जागरूक बनेंगे बल्कि वह भविष्य में खुद भी बेहद सोच समझकर खर्च करेंगे।

बच्चों को मासिक व्यय की सूची में करें शामिल


माता-पिता महीने की शुरुआत में ही पूरे महीने की घर खर्च की एक सूची तैयार करते हैं। घर में किन चीजों की कमी है और उन कमी को कैसे पूरा करना है, इसके लिए वे एक डायरी में जरूरी चीजों की सूची बनाते हैं। ऐसे में उन सूची में बच्चों को शामिल करना जरूरी है। आप बीच-बीच में बच्चों को उन सूची में जो भी चीजें लिखी हैं उसके बारे में समझाएं। इसके अलावा आपको किसने पैसे दिए, कितने पैसे दिए और आपने उन पैसों में से कितना बचत किया, इसके बारे में बच्चों को समझाएं।