वर्तमान समय की जीवनशैली में देखने को मिलता हैं कि माता-पिता अपने बच्चों को उतना समय नहीं दे पा रहे हैं जितनी उनको जरूरत हैं जिसकी वजह से जनरेशन गैप आते हुए बच्चों के साथ उनके रिश्तों में अनजानी दूरी आने लगती हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों के साथ दोस्त बनकर रहा जाए और समय की कमी होने के बावजूद किसी ना किसी तरह बच्चों से जुड़कर रहा जाए। अक्सर माता-पिता के साथ दोस्तों की तरह बॉन्ड नहीं होता है जिस वजह से बच्चे अपनी बातें माता-पिता के साथ शेयर नहीं कर पाते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपके लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से बच्चों के साथ आपके रिश्ते और मजबूत होंगे। अपनाने से आपके बच्चे और आपका रिश्ता भी दोस्त की तरह हो जाएगा। तो आइए जानते हैं इनके बारे में...
लाइफटाइम कमिटमेंट
अगर आप सच में बच्चों के नजदीक जाना चाहती हैं तो सबसे पहला कदम आपको ही उनकी तरफ बढ़ाना होगा। इसकी शुरूआत में आप उन्हें लाइफटाइम कमिटमेंट जरूर दें। मसलन, आप उन्हें कहें कि जीवन में वह चाहे कोई भी गलती करें या फिर परिस्थितियां किसी भी तरह बदल जाएं, लेकिन आप उन्हें कभी भी प्यार करना नहीं छोड़ेगी। वैसे तो माता-पिता का प्यार अनकंडीशनल और लाइफ टाइम के लिए ही होता है, लेकिन बच्चे को भी इसका अहसास कराने से आपसी बॉन्ड मजबूत होता है। इसी तरह, आप उन्हें कह सकती हैं कि वह एक दोस्त की तरह अपने जीवन की सबसे गन्दी बात भी उन्हें बता सकते हैं और आप हमेशा उनकी बात पूरी सुनेंगी और उनके प्रति जजमेंटल नहीं होंगी।
रखें दोस्ताना रवैया
जब बच्चे बड़े होने लगें तो यह बहुत जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ ज्यादा सख्ती न दिखाते हुए दोस्ताना रवैया रखें। उनकी अगर वे कुछ गलत करते हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं। उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप अपनी चीजें अपने बच्चों पर थोप रहे हैं। बल्कि वे आपकी बातों को गंभीरता से लेकर उन पर अमल करें। यह तभी संभव है जब वे अपनी समस्याएं आपसे डिस्कस करने लगें। यानी आप उनके दोस्त बन जाएं।
बच्चों के साथ समय बिताएं
आप कितना ही व्यस्त क्यों न रहते हों, अपने बच्चों के लिए समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ समय बिताएं। बच्चों के साथ समय बिताने से रिश्ता मजबूत होता है। अपने बच्चों के साथ समय- समय पर घूमने का प्रोग्राम बनाएं और बच्चों के साथ एक दोस्त की तरह रहने की कोशिश करें।
दोषी ठहराने की बजाय करें प्रेरित
जीवन में अक्सर ऐसा समय भी आता है जब उम्मीद के बावजूद परिणाम अच्छा नहीं आता। कई बार बच्चे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। ऐसे में अपने बच्चों को दोषी ठहराने की बजाय उनको फिर से मेहनत करने के लिए प्रेरित करें। वरना अगर आप सख्ती करेंगे तो हो सकता है कि इससे आपके बच्चों का मनोबल टूटने लगे और वे हताशा में कोई गलत कदम उठा लें। इसलिए जरूरी है कि उनमें आत्मविश्वास जगाया जाए। एक दोस्त बन कर उनकी समस्या को साझा किया जाए।
बच्चों के लिए हमेशा अवेलेबल रहें
वैसे तो आप बच्चे के लिए दिन में अलग से एक घंटा निकाल ही रही हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि बस आपकी जिम्मेदारी खत्म हो गई। आपको बच्चों को यह विश्वास दिलाना होगा कि आप उनके लिए हमेशा अवेलेबल हैं। आपने कभी महसूस किया है कि जो आपकी सहेलियां होती हैं, आप उनसे भले ही कई दिनों तक बात ना करें, लेकिन अगर आप किसी परेशानी में हैं तो आपको यकीन होता है कि वह आपके लिए अवेलेबल होंगी। ठीक उसी तरह, बच्चों को भी यह अहसास होना चाहिए कि अगर वह किसी तरह की परेशानी में हैं या फिर उन्हें अपनी कोई बात आपसे शेयर करनी है तो आप उनके लिए हमेशा अवेलेबल रहेंगी।
बेहतर समझ विकसित करें
अक्सर टीनएजर उम्र में किसी के प्रति आकर्षण हो जाना आम बात है। इस उम्र में लड़कों-लड़कियों दोनों से दोस्ती भी होती है। ऐसे में अपने बढ़ते बच्चों में यह समझ विकसित करें कि वे सही व्यक्ति का चुनाव अपने दोस्त के तौर पर करें। यह उनके लिए बेहतर रहेगा।
बच्चों को प्यार का एहसास कराते रहें
सभी माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं, परंतु आपको इस बात का एहसास भी कराते रहना चाहिए। जब भी आपको लगे कि आपके बच्चे परेशान हैं तो उन्हें गले लगाएं और उन्हें ये बताएं कि आप हर समय उनके साथ हैं। आपके प्यार करने से ही बच्चे आपके बहुत अच्छे दोस्त बन जाएंगे।
मार्गदर्शक बन कर चलें साथशिक्षा से लेकर करियर तक बच्चों के जीवन में अपने पैरेंट्स की भूमिका बहुत खास होती है। बच्चे जीवन में बुलंदियों को छू लें और अहम मुकाम हासिल करें यह सभी माता पिता की इच्छा होती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों के मार्गदर्शक बन कर और एक दोस्त की तरह उनके इस सफर में उनके साथ रहें। ताकि वे आपसे दुख भी बांटें और सुख भी और कभी भी अकेलेपन के अंधेरे उन्हें निराशा की ओर न ले जाएं।