हर बच्चा अपनी जरूरत की पूर्ती के लिए अपने पेरेंट्स पर निर्भर होता है। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं उन्हें आत्मनिर्भर बनने की जरूरत होती हैं। इसके लिए बच्चों को परिपक्व बनाने की जिम्मेदारी भी उनके पेरेंट्स पर होती हैं। ऐसे में शुरुआत की जाती हैं बच्चों को अकेला सुलाने की आदत दिलवाने से ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। शुरुआत में बच्चे आसानी से मां-बाप का साथ नहीं छोड़ते हैं। ऐसे में मां-बाप को काफी मेहनत करनी पड़ती हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जो इस काम में आपके लिए मददगार साबित होंगे।
धीरे-धीरे करें शुरुआत
अगर आप सोचते हैं कि अचानक से आप अपने बच्चों में अलग और अकेले सोने की आदत डाल पाएंगे, तो आप गलत हैं। बच्चों को धीरे-धीरे इस बात की आदत डलवानी चाहिए। जैसे- शुरुआती दिनों में तो शिशु मां-बाप के साथ ही सोता है। इसके बाद धीरे-धीरे आपको अपने ही कमरे में शिशु के सोने की अलग व्यवस्था करनी चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे सप्ताह में 1-2 दिन करके उसे अपने से अलग कमरे में सुलाकर देखना चाहिए। ऐसा करने से जल्द ही उसे अकेले सोने की आदत लग जाएगी।
सोने का समय निश्चित करें
आमतौर पर बच्चों को अकेले सोने में इसलिए डर लगता है क्योंकि उन्हें अकेले जागना डराता है। जबकि अगर उन्हें तुरंत नींद आ जाए, तो वो अकेले भी आसानी से सो सकते हैं। इसलिए बच्चों के सोने और जागने का एक समय निश्चित करें। समय निश्चित करने से बच्चे को हर दिन उसी समय के आसपास नींद आने लगती है, जिससे उसके लिए सोना आसान हो जाता है। इसी बीच आप उसे अकेला सोने की आदत भी डलवा सकते हैं।
अंधेरे से कभी न डराएं
कुछ मां-बाप बच्चों को शैतानी करने से रोकने के लिए या डराने के लिए अंधेरे से डराते रहते हैं। बच्चों को ये भय दिखाते हैं कि अंधेरे में भूत रहता है। इस तरह की बातें ही बच्चों को अंधेरे से डराती हैं, जिसके कारण बाद में उन्हें अकेले सोने में परेशानी होती है। इसलिए बच्चों को कभी डराएं नहीं, बल्कि उन्हें अंधेरे की आदत डलवाएं। जब आप खुद भी बच्चों को अपने पास सुलाएं तो कोशिश करें कि अंधेरा करके उन्हें हिम्मत बढ़ाने वाली और पॉजिटिव कहानियां सुनाएं। इससे धीरे-धीरे उनका अंधेरे का डर दूर होगा और वो अकेले सोना सीख जाएंगे।
बच्चों को सुरक्षा का एहसास दिलाएं
बच्चे शुरुआती दिनों में अकेले सोने से इसलिए डरते हैं क्योंकि वे मां-बाप से दूर असुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसे में आपको अपने बच्चे को सुरक्षा का एहसास दिलाना चाहिए। बच्चे को बताएं कि आप उसके आसपास ही हैं और जरूरत पड़ने पर तुरंत उपलब्ध हैं। इस तरह की बातों से बच्चे का आत्मविश्वास भी बढ़ता है और उसे अपनी अलग आइडेंटिटी का एहसास होता है। इस तरह बच्चे धीरे-धीरे अकेले सोना सीख जाते हैं।
बच्चों को मोबाइल-टीवी आदि न दें
बच्चा जब छोटा हो, तभी से इस बात का ध्यान रखें कि उसे सोते समय मोबाइल या टीवी देखने की आदत न डलवाएं। इसलिए बच्चे के सोने के कमरे में किसी भी तरह का डिजिटल गैजेट या स्क्रीन वाले गैजेट्स को न रखें। बच्चे में ये आदत डलवाएं कि वो शांति के साथ बिस्तर पर लेटे और सो जाए। इस तरह अगर बच्चे की आदत खराब नहीं होगी, तो उसे अकेले सोने में कोई परेशानी नहीं आएगी।