Friendship Day Special : दोस्तों से दूरी का कारण बनती हैं ये 5 वजहें

आज भारत में वह स्पेशल दिन मनाया जा रहा हैं जो हर किसी की जिंदगी में एक विशेष स्थान रखता हैं। हम बात कर रहे हैं फ्रेंडशिप डे के बारे में जो कि अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता हैं। हर किसी के जीवन में दोस्त महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं और यह रिश्ता बना रहे इसके लिए जरूरी हैं कुछ बातों का ध्यान रखना। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दोस्तों से दूरी का कारण बनती हैं।

अपनी मर्जी चलाना

अक्सर हम दोस्त की पसंद-नापसंद को नजरअंदाज कर देते हैं। दोस्तों के बीच कॉमन इंट्रेस्ट शेयर करना बहुत जरूरी है। ध्यान रखें कि दोस्त के साथ छुट्टियां या फिल्म आदि प्लान करते वक्त उसकी पसंद-नापसंद का भी ध्यान रखें। उससे पूछें कि उसे क्या पसंद है और क्या नापसंद। कभी उसकी पसंद की जगह पर जाएं, कभी आपकी पसंद पर। बातचीत में भी सामनेवाली की पसंद के ठीक उलट टॉपिक पर बार-बार चर्चा से बचें, वरना आपका साथ उसके लिए बोरिंग साबित होगा।

वर्चुअल दोस्ती में बिजी

यह सही है कि आजकल हर कोई बिजी है। ऐसे में लंबे वक्त तक लोग सोशल नेटवर्किंग साइट या फोन के जरिए ही दोस्तों के टच में रहते हैं। अक्सर उन्हें लगता है कि दोस्ती के लिए हमेशा मिलना-जुलना जरूरी थोड़े ही है। यह बात काफी हद तक सही भी है लेकिन पूरी तरह नहीं। आपस में मिलने-जुलने और पर्सनल टच बनाए रखने से रिश्ते मजबूत होते हैं।

सुनना नहीं, सलाह देना

दोस्ती की नींव है बातचीत, लेकिन ध्यान रखें कि इस बातचीत में जितना जरूरी अपनी बात सामनेवाले को सुनाना है, उससे ज्यादा जरूरी है उसकी बात सुनना। दोस्त को बिना टोके अपनी बात पूरी करने दें। खुद भी अपने बारे में जो भी बताएं, पूरी ईमानदारी और खुलेपन के साथ। साथ ही, लोग दोस्त की बात सुनकर उसे सलाह देने लगते हैं। यह सही नहीं है। अक्सर सामने वाला सिर्फ आपसे बातें शेयर कर रहा होता है। वह आपसे सलाह नहीं चाहता। इसलिए जब तक आपका दोस्त आपसे सलाह न मांगे, आप सलाह न दें।

सुख में साथ, दुख में दूर

दोस्ती का मतलब लोग मौज-मस्ती, पार्टी, सेलिब्रेशन ही समझते हैं। यह गलत है। अगर आप सच्चे दोस्त हैं तो अपने दोस्त की खुशी में शरीक न भी हो पाएं, लेकिन उसके गम का हिस्सा जरूर बनेंगे। अगर वह तकलीफ में है और आपसे कुछ शेयर करता है तो आप उसे महसूस करें। सिर्फ हमदर्दी के कुछ बोल बोलकर अपना काम खत्म न समझें, उसकी मदद करें। कहा भी जाता है कि असली दोस्ती की परख मुसीबत में ही होती है। अगर वह आपसे कुछ शेयर नहीं करना चाहता तो पूछने की कोशिश जरूर करें ताकि उसका मन हल्का हो सके लेकिन कुरेद-कुरेद कर कभी न पूछें।

बांध कर रखना

अपने दोस्त को कभी भी बांधने की कोशिश न करें। यह न सोचें कि वह हमेशा सिर्फ मेरा ही दोस्त बना रहेगा। अपने दोस्त की लिमिटेशन को समझें और उम्मीदों को सच की कसौटी पर आंकें। मानें कि उसका भी परिवार है, दूसरे दोस्त हैं, ऑफिस है, उन तमाम चीजों के लिए उसे वक्त चाहिए। यह सोचने की बजाय कि वह आपसे मिला नहीं, सोचें कि हो सकता है कि वह वाकई बिजी हो। दोस्ती में सामनेवाले को स्पेस देना बहुत जरूरी है।