बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं जिन्हें जिस रूप में ढाला वे उसमें बदल जाते हैं लेकिन जिस भी आकृति में उन पर दबाव डाला जाए तो वे टूट जाते हैं। जी हाँ, बच्चों पर डाला गया दबाव उनके व्यवहार और मन पर बुरा असर डालता हैं। खासतौर से पेरेंट्स के द्वारा डाला गया दबाव बच्चों के डिप्रेशन का कारण बनता हैं। ऐसे में पेरेंट्स को समझने की जरूरत होती है और बच्चों से बात करने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत होती हैं। आज हम आपको हाइपर पैरेंटिंग के वो कारण बता रहे हैं जो बच्चों के लिए परेशानी का कारण बनते हैं।
बच्चों पर हर समय दबाव न बनाएं
बच्चों पर हर समय पढ़ने और कुछ सीखते रहने का ही दबाव न बनाएं। हम जितना देखकर सीखते हैं उससे ज्यादा करके सीखते हैं और जितना करके सीखते हैं उससे कहीं ज्यादा सोचकर सीखते हैं। बच्चों को कल्पना के लिए समय दें। उन्हें टीवी पर कुछ मनोरंजक चीजें जैसे साइंस फिक्शन, कार्टून, एडवेंचर, हिस्ट्री आदि के कार्यक्रम देखने दें, कोर्स से अलग कुछ किताबें पढ़ने दें और आउटडोर गेम्स खेलने दें।
बच्चों को क्रियेटिव करने से न रोकें
बच्चे अगर पढ़ाई से अलग कुछ क्रियेटिव करना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें। आजकल हर क्षेत्र में कैरियर की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा कई बार कुछ बच्चे गॉड गिफ्टेड होते हैं, जो कोई खास हुनर लेकर पैदा होते हैं, जिसे तराशने की जरूरत होती है। हालांकि अकादमिक पढ़ाई एक जरूरी और महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारे जीवन को सुरक्षित बनाने का मगर सिर्फ अकादमिक पढ़ाई किसी की भी सफलता का मानक नहीं हो सकती है।
बच्चों को मारें नहीं
क्या आपको पता है हमारा दिमाग हमेशा वही काम चुनता है जिसे वो सबसे सही समझता है। इसमें हमारा वश नहीं है और हम अपने आप ही ऐसा करते हैं। जब बच्चे कोई काम करते हैं, तो वो अपनी समझ के अनुसार करते हैं। गलत काम करने या गलत निर्णय लेने पर आप बच्चों को प्यार से समझाएं या जरूरत हो तो थोड़ा डाटें, मगर मारें कभी नहीं। बच्चों को मारने से बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और वो अगली बार वही गलती होने पर आपसे झूठ बोल सकता है।