जीवन के कई जरूरी सबक सिखाती हैं रामायण, आपको बेहतर इंसान बनाएगी ये बातें

हिंदुओं के पवित्र ग्रन्थ रामायण के बारे में तो सभी जानते हैं जो भगवान राम के जीवन की गाथा हैं। ग्रन्थ पढ़ा हो या नहीं आपने टीवी में धारावाहिक रामायण तो देखा ही होगा। यह प्रभु श्रीराम की जीवनी को दर्शाती हैं और जीवन से जुड़ी कई सीख देती हैं। जी हां, प्रभु राम का जीवन अपनेआप में एक सीख हैं जिससे प्रेरित होकर कई लोगों का जीवन संवरा हैं। रामायण की कहानी दर्शाती हैं कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती हैं, इसलिए अच्छा बने रहने में ही आपकी भलाई हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं जिंदगी से जुड़े ऐसे सबक जो हमें रामायण सिखाती हैं। इन सबक को जीवन में अपनाकर बेहतर इंसान बना जा सकता हैं। आइये जानते हैं इन सीख के बारे में...

विविधता में एकता

विविधता में एकता रामायण की बड़ी सीख है। इस महाकाव्य में जब श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जाते हैं तो उनकी सेना में मनुष्यों से लेकर बंदर और अन्य जानवर भी शामिल थे। सभी ने श्रीराम का साथ दिया इसके अलावा राजा दशरथ के चारों बेटों का चरित्र अलग होने के बावजूद उनमें एकजुटता रहती है यह हर परिवार के लिए दुःख के समय से बाहर निकलने की सीख है।

अपनी जिम्मेदारियों को समझें


भगवान राम ने कम उम्र से ही अपनी जिम्मेदारियों को समझा और ज़रूरत पड़ने पर उन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। चाहे वो बेटे का फर्ज हो या फिर पति का या कोई भी सामाजिक जिम्मेदारी, मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सभी जिम्मेदारियों का बखूबी पालन किया। इसी तरह हमें भी जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर अलग-अलग रोल निभाने पड़ते हैं। भगवान राम से सीख लेकर हमें अपनी सभी जिम्मेदारियों का सही निर्वाहण करना चाहिए।

बुरे समय में भी सकारात्मक रहना

भगवान राम के जीवन में बुरा समय भी आया। उनकी माता द्वारा उनके लिए वनवास मांगना, सीता का हरण आदि ऐसी घटनाएं रही, जो किसी भी आम मनुष्य को तोड़ सकती हैं लेकिन प्रभु श्रीराम ने निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया और साहस के साथ आगे बढ़ते रहे।

मर्यादा और अनुशासन

अनुशासन और मर्यादा किसी भी मनुष्य का सबसे अच्छा गुण माना गया है। भगवान राम का व्यक्तित्व मर्यादित और अनुशासन से पूर्ण रहा है। भगवान राम ने अपनी मर्यादाओं और अनुशासन में रहकर जीवन की हर एक जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन किया है। भगवान राम के इन्हीं दो गुणों को अपने जीवन में उतार कर हम एक अच्छे इंसान बनकर सुख जीवन जी सकते है।

दया और प्रेम

श्रीराम शांत स्वभाव के थे। उनमें हर इंसान के लिए दया का भाव था। उन्होंने प्रेम और दया के साथ एक पुत्र, पति, भाई और एक राजा की जिम्मेदारियों को भी अच्छे से निभाया। श्रीराम का ये स्वभाव आपसी प्रेम और सम्मान जैसे मानवीय गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इन गुणों को अपनाकर हम खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं। इसी की मदद से हम समाज की बुराइयों पर जीत हासिल कर सकते हैं।

सबको समान भाव से देखें

कोई भी व्यक्ति सफलता तभी हासिल करता है जब उसके पास एक अच्छी टीम होती है और एक टीम सफल तभी होती है जब उसे सही मार्गदर्शक मिले। एक कुशल टीम लीडर अपनी टीम के सभी सदस्यों को समान भाव से देखता है। भगवान राम के जीवन में देखें तो वो एक राज परिवार के बेटे थे। लेकिन वो वनवासियों के बीच में वनवासी की तरह सरलता से भी रहे।

समर्पण हमेशा देता है संतुष्टि

किसी भी काम को पूरा करने के लिए मनुष्य को हमेशा समर्पित रहना चाहिए। इससे वह अपना आगे का रास्ता खोज सके और जीवन में जो बनना चाहे, वह बन सके। जीवन में तरक्की पाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और उस कार्य में पूरी तरह समर्पित होना पड़ेगा। भगवान राम के लिए हनुमानजी का प्रेम और निस्वार्थ सेवा हमें सिखाती है कि आराध्य के चरणों में बिना किसी संदेह के समर्पित कर देना चाहिए।

बदला लेने से अच्छा है माफ करना

भगवान राम में हमेशा प्यार और दया का भाव रहा है। वह बदला लेने से अच्छा माफा करने पर विश्वास करते थे। रावण का अंत, माता सीता का हरण बना था। इससे पता चलता है कि दूसरों को नुकसान पहुंचाने के चक्कर में हम खुद ही जल जाते हैं। इसलिए माफ करने से एक महान इंसान बनते हैं। अगर दैनिक जीवन में कोई भी भगवान राम के इन गुणों का दस फीसदी भी अपने जीवन में उतार ले तो उसे कभी भी निराशा हाथ नहीं लगेगी। वो संतुष्ट और खुशहाल जीवन जी सकता है।