होने वाले जीवनसाथी से शादी के पहले ही कर लें इन मुद्दों पर बातचीत, प्यार के साथ बीतेगी रिलेशनशिप

शादी के बाद पति-पत्नी के बीच कई बार ऐसे मौके आते हैं जब विचार नहीं मिलते हैं और वह मुद्दा बहस का कारण बन जाता हैं। बहस के इस मुद्दे का समय पर निपटारा कर लिया जाए तो बात को समय रहते आगे बढ़ने से रोका जा सकता हैं। लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिनपर शादी से पहले ही अपने पार्टनर से बात कर लेनी चाहिए ताकि शादी के बाद रिलेशनशिप में कोई दिक्कत ना आए और प्यार के साथ रिश्ता आगे बढ़ता रहे। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं मुद्दों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर दोनों के बीच अक्सर बहस हो जाती है। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

जरूरी है साझेदारी

दरअसल आज के एकल परिवारों में रहने वाली स्त्रियों पर घर-बाहर के कार्यों की दोहरी जि़म्मेदारियां होती हैं। ऐसे में उनके लिए पति का सहयोग बहुत ज़रूरी हो जाता है। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि आज की शिक्षित और आत्मनिर्भर स्त्री को भी ज़रूरत पडऩे पर स्वयं आगे बढ़कर पति को सहयोग देना चाहिए। दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए केवल साथ रहना ही का$फी नहीं, बल्कि एक-दूसरे का साथ देना भी ज़रूरी है। किसी भी रिश्ते को सफल बनाने के लिए बहुत ज्य़ादा मेहनत की ज़रूरत होती है। दो लोग जब विवाह के बंधन में बंधते हैं तो उन्हें एक-दूसरे से ढेर सारी उम्मीदें होती हैं लेकिन जब दोनों में से कोई एक पार्टनर की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर पाता तो इससे दांपत्य जीवन में तनाव बढऩे लगता है। अत: यह ज़रूरी है कि रिश्ते की राह में आने वाले स्पीड ब्रेकर्स को पहचान कर उनसे बचने की कोशिश की जाए।

आर्थिक जि़म्मेदारियां

रुपये-पैसों से जुड़ी समस्याओं को लेकर दंपतियों के बीच अकसर मतभेद हो जाता है। मिसाल के तौर पर दोनों में से एक व्यक्ति किफायती और दूसरा खर्चीले स्वभाव का है तो इस बात को लेकर पति-पत्नी के बीच अकसर बहस की गुंज़ाइश बनी रहती है। उनके आपसी रिश्ते पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

क्या करें : बेहतर तो यही होगा कि ऐसे झगड़े से बचने के लिए मासिक बजट के अलावा हर संडे को प्रति सप्ताह होने वाले छोटे खर्चों की भी योजना बना ली जाए। फिर अगले शनिवार को इस बात का मूल्यांकन कर लें कि आपने पूरे सप्ताह में कितना खर्च किया। यहां पति-पत्नी दोनों में से अगर कोई एक मितव्ययी है तो उसे कभी-कभी अपने पार्टनर को थोड़ा खर्च करने की छूट देनी चाहिए, वहीं अगर किसी को खुले हाथों से खर्च करने की आदत है तो उसे अपने पार्टनर की रोक-टोक का बुरा नहीं मानना चाहिए, बल्कि उसे यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि भविष्य के लिए बचत ज़रूरी है।

रोज़मर्रा के कामकाज

पति-पत्नी दोनों को यही लगता है कि मेरे कामकाज का तरीका सही है और मैं ज्य़ादा काम करता/करती हूं। जीवनसाथी की ओर से मुझे ज़रा भी सहयोग नहीं मिलता। दोनों के मन में एक-दूसरे से यही उम्मीद होती है कि दूसरे व्यक्ति को मेरे कार्य में मदद करनी चाहिए। इसी सोच के कारण लोग अपने पार्टनर के व्यवहार को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, इससे उनके संबंधों में तनाव बढ़ जाता है।

क्या करें : अगर कभी आपको ऐसा लगता है कि घरेलू कार्यों में पति/पत्नी की तरफ से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है तो नाराज़ होने के बजाय उसे प्यार से समझाने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ लोग स्वयं आगे बढ़कर जि़म्मेदारी नहीं लेते। अगर आपके पार्टनर के साथ भी ऐसी समस्या है तो नि:संकोच उससे मदद मांगें। कामकाज के दौरान अगर उससे कोई मामूली गलती हो जाए तो नाराज़गी दिखाना अनुचित है, इससे मदद करने वाले व्यक्ति का मनोबल कमज़ोर पड़ जाता है और अगली बार वह सहयोग देने को तैयार नहीं होता।

परवरिश के दौरान

वैसे तो आजकल पिता भी बच्चों की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाते हैं लेकिन कई बार ऐसा नहीं हो पाता। खासतौर पर अगर मां कामकाजी हो तो वह चाह कर भी बच्चे को पर्याप्त समय नहीं दे पाती। ऐसे में कई बार बच्चे पढ़ाईऔर अन्य ऐक्टिविटीज़ में पिछडऩे लगते हैं। अगर माता-पिता बच्चे को पर्याप्त समय न दें तो इससे वे मनमानी करने लगते हैं और उनके व्यवहार में अनुशासनहीनता झलकने लगती है। इसके अलावा परवरिश के तरीके को लेकर भी पति-पत्नी के बीच अकसर मतभेद हो जाते हैं। हो सकता है दोनों में से कोई एक व्यक्ति सख़्त अनुशासन का पक्षधर हो तो कोई बच्चों को आज़ादी देने में य$कीन रखता हो। जिन परिवारों में बच्चों की परवरिश को लेकर पति-पत्नी के बीच मतभेद हो, वहां उनके बीच अकसर बहस हो जाती है।

क्या करें : परवरिश के तरीके पर आपस में खुलकर बातचीत करें। बच्चों को पढ़ाने, उनका होमवर्क कराने या पेरेंट्स टीचर मीटिंग में जाने को लेकर आप दोनों अपने बीच कार्यों का स्पष्ट विभाजन रखें, ताकि ऐसे ज़रूरी कार्यों में कोई रुकावट न आए। जहां पेरेंट्स अपनी ऐसी जि़म्मेदारियां एक-दूसरे पर टालने की कोशिश करते हैं, वहां बच्चे मनमानी करने लगते हैं। चाहे कितनी ही व्यस्तता हो, उनके लिए थोड़ा क्वॉलिटी टाइम ज़रूर निकालें। अगर कोई एक व्यक्ति बच्चे को डांट रहा हो तो ऐसे में दूसरे को बीच में नहीं बोलना चाहिए अन्यथा बच्चे माता-पिता की बातों को गंभीरता से नहीं लेते। कई बार वे दोनों के मतभेद का $फायदा उठाकर अपनी हर जि़द पूरी करवा लेते हैं।

रिश्तेदारी से जुड़ी बातें

सामाजिक जीवन में रिश्तेदारों, दोस्तों और पास-पड़ोस के लोगों के साथ मेल-जोल रखना ज़रूरी है। आज की व्यस्त दिनचर्या में ऐसे कार्यों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है। अधिकतर परिवारों में इस बात को लेकर पति-पत्नी मतभेद बना रहता है। कई बार पुरुष पत्नी के मायके वालों से मिले-जुलने को तैयार नहीं होते तो कभी-कभी स्त्रियां ससुराल के रिश्तेदारों को अपने घर पर बुलाना नहीं चाहती। समय की कमी इसकी वजह हो सकती है पर इससे लोगों के आपसी संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं।

जब हो आपसी मतभेद

ऐसी स्थिति में नाराज़गी ज़ाहिर करने के बजाय शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखें। ऐसे मामलों में समझदारी के साथ बीच का कोई ऐसा रास्ता चुनें, जिससे आपको ज्य़ादा परेशानी न हो और लाइफ पार्टनर की भावनाओं को ठेस भी न पहुंचे। मान लीजिए आपके पति कुछ दोस्तों को डिनर पर बुलाना चाहते हैं तो आप अपनी मेन्यू लिस्ट छोटी रखें और कुछ चीज़ें बाहर से भी मंगा लें। इससे आपको थकान नहीं होगी और रिश्तों में मधुरता भी कायम रहेगी। दांपत्य जीवन में कुछ बातों को लेकर पति-पत्नी के बीच मतभेद स्वाभाविक है लेकिन ऐसे झगड़े लंबे समय तक नहीं चलने चाहिए। आपसी अहं के टकराव के कारण अकसर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि 'पहले कौन माफी मांगे? ऐसी सोच के कारण लोगों के बीच दूरियां बढ़ जाती हैं, जो उनके आपसी संबंधों के लिए बहुत नुकसानदेह है। झगड़े की वजह जानकर इस बात का ध्यान रखें कि आपकी तरफ से दोबारा वही गलती न दोहराई जाए।