टीनएज बच्चो से बहुत जरूरी है पेरेंट्स की दोस्ती, आजमाए ये तरीके

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वह अपने नजरिए से सोचन लगते हैं। उनके और पेरेंट्स की सोच के बीच में एक पीढ़ी का अंतर आ जाता है। ना तो मां-बाप बच्चों को समझ पाते हैं और बच्चे उनको। इसी वजह से उनके बीच दूरियां आ जाती है। छोटे बच्चों को जहां मां-बाप का प्यार चाहिए वही टीनएज को उनका सपोर्ट। । छोटे बच्चों के साथ दोस्ती करना बहुत आसान है लेकिन बढ़ती उम्र यानि टीनएजर्स पर अपना यकीन और उनका दोस्त बनना बहुत मुश्किल है। हर समय मोबाइल के साथ चिपके रहने से बच्चे आपसे बहुत दूर जा सकते हैं। ऐसे में उन्हें पेरेट्स द्वारा की गई रोक-टोक पर और भी चिढ़ आने लगती है। आप स्मार्ट तरीके से कुछ बातों का ध्यान रख कर साथ उनके साथ दोस्ती का रिश्ता कायम रख सकते हैं।

स्पेस दीजिए

ज्यादातर माता-पिता मानकर चलते हैं कि उनके किशोर बेटे-बेटी जिंदगी संभालने के लिहाज से अभी बहुत छोटे हैं। लेकिन यह गलत है। जिस तरह आप जिंदगी की कुछ निजी बातें उनके साथ साझा नहीं करते, उसी तरह किशोरावस्था से बच्चों को भी निजी जिंदगी की जरूरत होती है, जो वे आपके साथ शायद साझा न करना चाहें। इस बात से भले आपको निराशा हो, लेकिन सेहतमंद रिश्तों के लिए युवा हो रहे बेटे-बेटी को पर्याप्त स्पेस देना जरूरी है।

हर समय उपदेश के मूड में न रहें

टीनएज में बच्चे थोड़े सेंसटिव होते हैं। ऐसे में उन्हें हर वक्त सिर्फ लैकचर ना दें। हर वक्त उपदेश सुन-सुनकर बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। बच्चों के नजरिए से देखने की कोशिश करें।

बच्चों को समय दें

आजकल मां-बाप दोनों ही काम पर जाते हैं उनके पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने बच्चों के साथ बैठकर बात कर सके। बच्चों के साथ अपना रिश्ता सुधारने और उनका बनाने के लिए उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। उनके साथ बैठकर उनसे उनके दिन के बारे में पूछ सकते हैं, उनके दोस्तों के बारे में पूछ सकते हैं और थोड़ी बातें उनकी पढ़ाई और कैरियर के बारे में कर सकते हैं।

बच्चों से पहले खुद फॉलो करें बातें

यह बात बिल्कुल सही है कि मां-बाप बच्चे के पहले अध्यापक होते हैं। आप जो भी करेंगे बच्चे उसे जरूर फॉलो करेंगे। बच्चो के साथ दोस्ती बनाए रखने के लिए उनके सामने खुद पारदर्शी बने रहें। अगर कोई गलती हो जाए तो बच्चों से इसके लिए माफी मांगने में भी कोई बुराई नहीं है। घर में अच्छा वातावरण बना रहेगा तो बच्चे पेरेंट्स के करीब आ जाएंगे।

गुस्से पर नियंत्रण रखें


कई बार ऐसा होगा कि किशोर अवस्था में कदम रखने वाले बच्चे की कुछ हरकतें आपको पसंद नहीं आएंगी, जिससे गुस्सा आना स्वाभाविक है। गुस्से की वजह से माता-पिता आलोचना करने लगते हैं और कई बार बच्चों को भला-बुरा भी कहते हैं। ऐसा करने से बच्चों को काफी चोट पहुंचती है और वे अपमानित महसूस करते हैं। इससे बातचीत के तार टूट जाते हैं और खामियाजा रिश्ते को भुगतना होता है। इसलिए संयम बरतें और अपनी चिंताओं के बारे में उनके साथ आराम से बातचीत करें।