आखिर क्यों जरूरी हैं रिश्तों में पर्सनल स्पेस, जानें यहां

किसी रिश्ते में सह-निर्भरता यानी कि एक दूसरे पर हमेशा निर्भर होना स्वास्थ्यप्रद विशेषता नहीं हो सकती है। इससे किसी भी रिश्ते में सांस लेने की जगह तक नहीं बचती है। हर चीज आपको अपने पार्टनर को सोच कर करना पड़ेगा या उसकी सहमति का इंतजार करना होगा। जब दो लोग प्यार में होते हैं तो उन्हें सबकुछ एकसाथ करना ही अच्छा लगता है। ये शुरुआत में तो अच्छा लगता है लेकिन समय के साथ ये रिश्ते को मजबूत करने की बजाय खराब करता है। पर्सनल स्पेस की कमी से दोनों लोगों में घुटन आ सकती है जिससे आपका रिश्ता खत्म तक हो सकता है। ऐसे में एक दूसरे को थोड़ा स्पेस दें इससे आपका रिश्ता मजबूत और पहले से भी ज्यादा गहरा होगा।

जबरदस्ती ना करें

एक सरल, सहज और स्वस्थ रिश्ते में दो लोग एक-दूसरे को कभी भी किसी काम के लिए ज़बरदस्ती नहीं करते हैं। एक प्रेमपूर्ण रिश्ते की पहचान ही यही है कि दोनों लोग एक-दूसरे को आगे बढ़ने में भी मदद करते हैं। अगर आपका रिश्ता मजबूत है तो आप दोनों जरूर एक-दूसरे को उनका पर्सनल स्पेस जरूर दें। पर्सनल स्पेस एक ऐसी चीज़ है जो एक रिश्ते को बना भी सकती है और पल भर में तोड़ भी सकती है।

हमेशा सकारात्मक तौर पर देखें

थोड़े समय के लिए अलग होकर बिल्कुल एकांत में अपने काम करना ना केवल आपके पार्टनर के लिए बल्कि आपके लिए भी अच्छा है। इससे आपकी निजी जिंदगी और एक कपल की जिंदगी दोनों में ही संतुलन बनता है। आप अपनी लाइफ के हर पहलू को जी सकते हैं।

'ना' करने के लिए कोई डर नहीं होता

जितना जरूरी चीजों पर पारस्परिक रूप से सहमत होना है, उतना ही जरूरी है असहमत होना। इसलिए हर रिश्ते में 'ना' हने की जगह होनी चाहिए। इसलिए रिश्ते में तर्कों पर भी खरा उतरता जरूरी है और इससे सहमति जताना भी जरूरी है। आजादी यही है कि आपको किसी के सामने अपनी राय और भावनाओं को बताने से डर न लगे और आप खुल कर अपनी बात रख सके। इसी तरह इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप एक बेहतर ऑप्शन हो सकती है।

एक दूसरे को बदलने की कोशिश न करें

कभी भी अपने पार्टनर की आदतों या अपने फायदे के लिए उसे बदलने की कोशिश न करें। बस ये ध्यान रखें कि दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता सब में कोई न कोई कमी रहती है। इसलिए झूठे बदलाव के बारे में न सोचें। अगर आपका पार्टनर स्वभाव से थोड़ा शर्मीला है तो उस पर लोगों से मिलने जुलने का बहुत दबाव न बनाएं। इससे आपके रिश्ते पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

बातों की एक सीमा होनी चाहिए


ऑफिस में क्या किया, फोन पर किससे बात हो रही थी, बाहर गए थे तो क्या खाया, दोस्त से मिले तो क्या बात हुई ? इस तरह की बातें दांपत्य जीवन का हिस्सा होती हैं। कई बार यह निर्भर करता है की आपका रिश्ता कैसा है। बहरहाल, इन बातों की एक सीमा होनी चाहिए। अगर किसी रिश्ते में बहुत ज्यादा सवाल जवाब होते हैं तो ऐसे रिश्ते टूट भी सकते हैं।