क्या आपके बच्चों को बिगाड़ रही हैं टीवी और इंटरनेट की दुनिया! इस तरह लाएं उनमें सुधार


माता-पिता के ऊपर बच्चों को सही परवरिश देना एक बड़ी जिम्मेदारी होती हैं। देखा जाता हैं कि बच्चों के सामने कई बार ऐसे मौके आते हैं जिसमें वे गलत राह पकड़ लेते हैं। खासतौर से टीवी और इंटरनेट की दुनिया बच्चों को प्रभावित कारते हुए बिगाड़ने का काम कर रही हैं। हांलाकि इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। देखा जा रहा हैं कि बच्चे टीवी और इंटरनेट की इस दुनिया में गलत भाषा का इस्तेमाल करने लगे हैं और दूसरों के प्रति उनका व्यवहार भी बिगड़ने लगा हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से अपने बच्चे को अच्छी आदतें सिखाते हुए व्यवहार में सुधार लाया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इन तरीकों के बारे में...

सही समय पर टोकना जरूरी

अगर आप ये सोच रहे हैं कि अरे कोई बात नहीं वे खुद सीख जाएंगे, तो दरअसल आप गलत सोच रहे हैं। अगर सही समय पर पेरेंट्स ने दखल नहीं दिया तो बच्चों की खराब आदतों को सुधारना मुश्किल हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि वो शब्द बच्चे की वोकेबलरी में हमेशा के लिए शामिल हो जाए। तो सही समय पर बच्चों को सिखाना बहुत ही जरूरी है।

प्यार से सिखाएं

बच्चों को जब भी कुछ सिखाएं तो प्यार से सिखाएं। इससे वे आपको आदर्श के रूप में देखेंगे और दूसरों का सम्मान करना सीखेंगे। आपको बता दें कि बच्चों में बड़ों की तरह ही इगो होता है और अगर आपने मारपीट कर सिखाने की कोशिश की तो हो सकता है वे और भी ना सीखें। ऐसे में जब आप उनसे प्यार भरी भाषा में बात करेंगे तो वे आपसे भी अच्छी भाषा का महत्व सीखेंगे।

पैरेंट बनें दोस्त नहीं


जब बात बच्चों की बुरी आदतों को बदलने की आती है तो यह जरूरी होता है कि आप पेरेंट की तरह ही बिहेव करें। अगर आपके साथ या आपके सामने वे कड़वी भाषा का प्रयोग करते हैं तो उसे तुरंत रोकें और मना करें। बच्चों को अपने से बड़ों की इज्जत करना और तमीज से बात करना आदि सिखाना भी आपकी जिम्मेदारी है। लेकिन हमेशा याद रखें कि बच्चों से अगर आप बत्तमीजी से बात करेंगे तो वे आपसे भी ये सीख सकते हैं।

पॉजिटिव कम्यूनिकेशन जरूरी

बच्चों के लिए पहला रोल मॉडल अपना पेरेंट होता है ऐसे में खुद में भी बदलाव लाएं और पॉजिटिविटी लाएं। हमेशा लोगों की इज्जत करना, प्यार से बात करना, बात करना सिखाना, जिम्मेदारी निभाना, काम करना आदि वे आपसे ही सीखेंगे।

हर बात पर दोष न दें

अगर बच्चा गलत भाषा सीख गया है तो बच्चे को दोष न दें। उन्हें यह एहसास दिलाएं कि इस भाषा के प्रयोग से या इस बिहेव से आप कितने दुखी है। ऐसा करने से बच्चे भावनात्मक रूप से बदलेंगे और सही दिशा को खुद ही चुन लेंगे।

घुमाकर बात न करें

बच्चे से सीधी बात करें और टू द प्वाइंट समझाएं। अगर आप घुमा घुमाकर उन्हें बताएंगे तो उन्हें समझ नहीं आएगा। ऐसे में आसान शब्दों में उन्हें समझाएं। बच्चे के स्क्रीन टाइम को लिमिट रखें और कंटेन्ट पर नजर रखें।

भरोसा दिखाएं

बच्चों को यह जानना जरूरी है कि माता पिता उस पर भरोसा करते हैं लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि अगर कुछ गलत बताया या गलत किया तो आपको सही का पता चल ही जाएगा। ऐसे में बच्चा गलत काम नहीं करेगा और आपके सामने झूठ भी कम बोलेगा।