गुस्से का बच्चों की सेहत पर पड़ता है बुरा असर, इस तरह करें इसे नियंत्रित

आजकल के बच्चे स्कूल, ट्यूशन और मां के स्कूल को एकसाथ ‘अटैंड’ करते हैं। नींद कम लेते हैं, उन के खाने की सूची ठीक नहीं होती। इस से ‘शुगर’ कम हो जाती है जिस से गुस्सा आता है। उन्हें पढ़ाई अच्छी नहीं लगती। उन में चिड़चिड़ापन आ जाता है। अपनी बात को प्रकट करने के लिए वे उत्तेजित हो जाते हैं।बच्चों के गुस्से पर काबू पाने के लिए इन उपायों को आजमाएं-

बच्चों को इग्नोर न करें

दिन भर की थकान के बाद आप खुद मानसिक रूप से इतने थक जाते हैं कि छोटी—छोटी बातों पर भी बच्चों पर भड़क जाते हैं। लेकिन आपको यह बात याद रखनी चाहिए कि बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। ऐसे में आपका उनके प्रति अग्रेसिव व्यवहार उनके दिमाग पर असर डालता हैं। बदले में वो भी फिर आपके साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं।बच्चों को इग्नोर न करें, वह जो भी कहें उनकी हर बात सुनें ताकि वे आपसे हर बात शेयर कर सकें और जिद न करें।

बच्चों से बढ़ाएं नजदीकियां

मातापिता अपने बचपन को कभी अपने बच्चों से तुलना न करें। बच्चे गुस्से से कई बार आत्मक्षति या आत्महत्या का सहारा लेते हैं। उग्रता को बातचीत या दवा से कम किया जा सकता है। बच्चों पर विश्वास करना भी जरूरी है।

धैर्य रखें

अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा नखरें करता है और आपकी बात नहीं मानता है तो धैर्य रखें। ऐसे जिद्दी बच्चों को प्यार से ट्रीट करें। उन्हें हर बार नॉर्मल रहकर समझाएं। धैर्य रखने से आपके लिए बच्चे को संभालने में आसानी होगी।

बचपन में सिखाएं


बच्चे को बचपन में सिखाएं कि जब भी उसे गुस्सा आए तो कम से कम 5 मिनट रुके, फिर बात करे। इस के अलावा शावर लेने से भी गुस्सा कम होता है। मनोचिकित्सक की सलाह लेने से कभी घबराएं नहीं, वहां आप को समाधान मिलेगा। भूल कर भी किसी ओझा, झाड़फूंक और ज्योतिषी की शरण में न जाएं।

दूसरों के सामने न डाटें

आमतौर पर माता-पिता हाइपरऐक्टिव बच्चे के स्वभाव को बदतमीजी मानकर बार-बार दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने डांटते-फटकारते रहते हैं। लेकिन अगर आपको अपने बच्चे को किसी काम से रोकना है तो उसे दूसरों के सामने न डांटकर अकेले में समझाएं।