क्या आपके बच्चों को भी लगता हैं घर आए अजनबियों से डर, इस तरह संभाले स्थिति

बच्चे नटखट और अपनी मर्जी के मालिक होते हैं जो अपने घर में किसी शेर से कम नहीं होते हैं। सभी बच्चों का स्वभाव और शख्सियत अलग-अलग होती है। लेकिन कई बच्चे ऐसे होते हैं जो ऐसे तो हमेशा खिलखिलाते रहते हैं और जब घर में कोई अजनबी अर्थात आपके दोस्त व रिश्तेदार आते हैं तो डर कर सहम जाता हैं। अक्सर जो बच्चे कम लोगों से मिलते-जुलते है उनका अनजान लोगों को देखकर डरना स्वाभाविक है। पेरेंट्स भी इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर यह हमेशा हो तो चिंता की बात हैं। बहुत अधिक डर आपके बच्चे के विकास के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है। ऐसे में आपको जरूरत हैं कि बच्चों की परेशानी को समझते हुए उसका निराकरण किया जाए। अगर आपके बच्चे में भी ऐसे लक्षण हैं तो यहां बताई जा रही बातों पर ध्यान जरूर दें।

बच्चे को सहज महसूस करवाएं

सबसे पहले इस बात को समझें कि सात-आठ माह से लेकर एक साल तक के बच्चे द्वारा ऐसा व्यवहार करना बिल्कुल सहज है। अगर इससे बड़ा बच्चा अजनबियों को देखकर डरता है तो उसका यह व्यवहार चिंताजनक है। बच्चे को अजनबी से मिलने में सहज करने के लिए उसे घर, स्कूल व पार्क में अपने दोस्तों से मिलवाएं, उनसे बात करना सिखाएं। पर, दबाव डालकर उसे किसी के पास भेजने की गलती न करें। बच्चे को सहज होने के लिए कुछ समय दें और किसी भी नये व्यक्ति से मिलवाते समय आप उसके आस-पास ही रहें। बच्चे को अकसर सार्वजनिक जगहों पर लेकर जाएं। इससे उसे एक साथ ढेर सारे लोगों से मिलने का मौका मिलेगा। ऐसा करने से धीरे-धीरे उसके मन से अजनबी से मिलने का डर निकल जाएगा।

अपने बच्चे के डर को पहचानें

अपने बच्चे के डर को पहचानें और उन बातों एवं परिस्थितियों को जानने की कोशिश करें जिससे उसे भय लगता है। आपके बच्चे को छोटी सी चीज से भी डर लग सकता है जो आपको मामूली नजर आयेंगी, लेकिन उसके डर को नजरअंदाज न करें क्योंकि आपका बच्चा उन भय को लेकर चिंतित एवं भयभीत है। यही नहीं, उससे यह कभी न कहें कि बच्चा बनना बंद करो, डरो नहीं, आपका दोस्त नहीं डरता, इत्यादि। ऐसे में आपके बच्चे को लगेगा कि डरना गलत है और वह कभी भी आपसे अपना डर साझा नहीं करेगी। इसके बजाय, अपने बच्चे को बतायें कि डरना सही है। उससे बोलें कि हमेशा अपने डर साझा करे और मदद मांगे।

उनकी संवेदनशीलता को समझें

अपने बच्चे के डर को नजरअंदाज न करें। यदि आपका बच्चा किसी नए व्यक्ति के सामने तुरंत सहज नहीं हो पाता है तो नए व्यक्ति से घुलने-मिलने के लिए उस पर दबाव नहीं बनाएं। उसे बार-बार यह न कहें कि शर्माओ नहीं, बात करो या जाकर उनके साथ खेलो। बच्चा अगर किसी नए व्यक्ति के सामने असहज हो रहा है तो उसे गले लगाएं और गोद में लेकर उस व्यक्ति के सामने से हट जाएं, जिसकी उपस्थिति में वह असहज हो रहा है। बच्चे को यह विश्वास दिलाएं कि आप उससे गुस्सा या नाराज नहीं हैं।

बच्चे को डरावने चरित्रों से दूर रखें

आपका बच्चा वास्तविकता और काल्पनिकता में अंतर करने में समर्थ नहीं हो सकता है, और टीवी पर काल्पनिक किरदारों को देखकर उनसे डर भी सकता है। इसलिए, बच्चा टीवी पर क्या देख रहा है, उस पर पूरी नजर रखें और डरावने शोज न देखनें दे। इसके बजाय ऐसे शोज दिखाये, जो आपके पारिवारिक मूल्यों से मेल खाते हां।

बच्चे को पहले से तैयार करें

बच्चे को अचानक किसी से नए व्यक्ति से न मिलवाएं। बच्चे को मानसिक रूप से पहले से ही तैयार करें कि आप उसे किसी नए व्यक्ति से मिलवाने वाली हैं। उसे यह समझाएं कि आने वाला मेहमान मेरा करीबी है और वो आपसे भी दोस्ती करना चाहते हैं। अपने दोस्तों को भी बच्चे की परेशानी पहले से समझा दें। जिस प्रकार आप बच्चे को समझाती हैं, उसी प्रकार मेहमानों को भी समझा दें कि आपका बच्चा अचानक किसी से मिलने पर परेशान हो जाता है, इसलिए वे उसे जबरदस्ती गोद में लेने या प्यार करने की कोशिश न करें।

बच्चों के डर का मजाक नहीं बनायें

बच्चे को डर को सच के रूप में स्वीकार करें और हर समय उसकी मदद करें। कभी भी बच्चे के डर का मजाक नहीं बनायें, क्योंकि इससे उसका डर कम नहीं होगा; इसके बजाय, उसकी जिज्ञासा बढ़ जायेगी और साथ ही उसके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचेगी और फोबिया सहित कई अन्य गंभीर समस्यायें पैदा हो सकती हैं। याद रखें, बच्चे का डर सिर्फ आपके प्यार और देखभाल से ही दूर हो सकता है।


धैर्य बनाए रखें

बच्चे के साथ डील करते वक्त धैर्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। उसका डर एक दिन में खत्म नहीं होगा। अगर आप बच्चे पर दबाव डालेंगी तो इसका उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैं। इसकी जगह खेल-खेल में उसे अजनबी लोगों का सामना करना सिखाएं। बच्चे के साथ कोई खेल खेलें और खेल में कभी खुद तो कभी बच्चे को अजनबी की भूमिका निभाने को कहें। उसे यह सिखाएं कि किसी अजनबी व्यक्ति से उसे कैसे मिलना है और यदि कोई अजनबी जबर्दस्ती प्यार करे या उसे गोद में उठाए तो उस समय उसे क्या करना है। ऐसा करने से आपके बच्चे का ध्यान परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करने पर जाएगा और उसके मन से अजनबियों के प्रति किसी भी प्रकार का डर निकल जाएगा।

चाइल्ड काउंसलर की लें मदद

कई बार ज्यादा डरने और लोगों से मिलने-जुलने के कारण बच्चे सोशल एंग्जाइटी का शिकार हो सकते है। ऐसे में आपको बच्चे की इस परेशानी को दूर करने के लिए किसी चाइल्ड काउंसलर की मदद लेनी चाहिए। वो थेरेपी की मदद से इस परेशानी दूर कर सकते हैं।

बनाएं आत्मनिर्भर

अमूमन दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चों में अजनबियों से मिलने का डर खुद-ब-खुद ही खत्म हो जाता है। अगर बच्चे की उम्र इससे ज्यादा हो गई और वह फिर भी अजनबियों से वैसे ही डरता है तो यह भी जानने की कोशिश करें कि कभी किसी अजनबी ने उसे डराया या उसके साथ कुछ गलत तो नहीं किया है? अगर ऐसा नहीं है तो उसे नये लोगों से मिलवाएं। वह धीरे-धीरे अपनी सुरक्षा कवच से बाहर आएगा और दूसरों से मिलना सीखेगा।