इस कोरोनाकाल में बच्चे घर पर कैद हैं। वे ना तो स्कूल जा पा रहे हैं और ना खेलने के लिए ज्यादा बाहर निकल पा रहे हैं। इसका बच्चों के मन और दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ रहा हैं। बच्चों में सोचने की क्षमता में कमी आने लगी हैं। ऐसे में पेरेंट्स को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी कि बच्चों को किस तरह एक्टिव रखा जाए ताकि उनके सोचने की क्षमता को विकसित किया जा सकें और वे मानसिक रूप से मजबूत बने। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से बच्चों के सोचने की क्षमता को समय के साथ बढ़ाया जा सकेगा।
पढ़ाई
बच्चों को समझाएं कि हमेशा पढ़ना कितना जरूरी होता है और आप उन्हें पढ़ाई के लिए समय-समय पर प्रोत्साहित करें। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं रहता है जिसके कारण आपको उन्हें प्रोत्साहित करना जरूरी हो जाता है। बच्चों की सोच में सुधार करने का ये एक महत्वपूर्ण और बेहतर कदम होता है। बच्चों को हमेशा उनकी पढ़ाई और उनकी किताबों से अवगत कराएं।
सवाल करें
आपके लिए अपने बच्चों से सवाल करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इससे आपके बच्चे में बोलने और सोचने-समझने की झमता में वृद्धि होती है। ये एक तरीके का आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का व्यायाम है जो उन्हें सोचने के लिए एक्टिव करने की कोशिश करता है। आप उन्हें किसी कहानी वाली किताब को पढ़ने के लिए दें और फिर जब वो पढ़ लें तो आप उनसे उस कहानी के बारे में सवाल करें। ये बच्चों की सोच और समझ को बेहतर बनाने के साथ उनके स्तर को जांचने का भी एक बेहतर तरीका है।
नियमित रूप से अखबार पढ़ने की आदत डालें
अखबार पढ़ने की आदत बच्चे, बड़े या बुजुर्ग हर किसी के लिए अच्छे होते हैं। इससे बच्चों को दुनिया में क्या चल रहा है, कैसे चल रहा है और कई बड़ी खबर के बारे में जानकारी मिलती है। इसके साथ ही उनके बोलने और पढ़ने की आदत भी बेहतर बनती है। इसके अलावा अगर आपका बच्चा रोजाना अखबार को पढ़ता है तो वो अखबार में पढ़ने वाली सभी चीजों के बार में सोचने की कोशिश करता है और उन्हें अच्छी तरह से समझता है।
जल्दबाजी न करें
अक्सर कुछ पैरेंट्स की आदत होती है कि वो बच्चों को कुछ सीखाने की कोशिश करते हैं और जब उनका बच्चा वो नहीं समझ पाता तो उन्हें इसका दुख होता है। जिसके कारण वो अपने बच्चे को मानसिक रूप से कमजोर समझने लगते हैं। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं होता, हर बच्चे के सोचने और समझने की क्षमता अलग होती है, इसलिए आप अपने बच्चे के साथ जल्दबाजी न करें। बल्कि उन्हें पूरा समय दें कि वो क्या सोचेगा और क्या समझेगा। इससे आपका बच्चा बेहतर परिणाम दे सकता है। बच्चों को सोचने और समझने में थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए आप कोशिश करें कि कुछ भी सीखाने के बाद उन्हें अच्छी तरह से समझाएं और उन्हें समझने का मौका दें।