सात फेरों के बाद सिर्फ पत्नी ही नहीं बनती लड़कियां, ये 5 नए रिश्ते भी रखते है अपना महत्व

अगर जल्द ही आपकी शादी होने वाली है तो आपको ये समझना बहुत जरूरी है कि आप सिर्फ एक पत्नी के रूप में ही अपने ससुराल नहीं जा रही है। बल्कि हर फेरे के साथ एक नए रिश्ते की डोर बंधती जाती है। और आपको इस डोर को संभाले रखने का वचन भी लेना है। शादी के बाद आप बेटी से बहु, बहन से भाभी और भुआ से चाची बन जाती है। इन नए रिश्तो से यूँ तो सभी परिचित है, फिर भी हम आपको यहां दिलाते है शादी के बाद के आपकी नई जिंदगी में आने वाले बदलावों की..ताकि आप इन सब बदलावों के लिए अपने आप को तैयार कर लें।

सासबहू का रिश्ता

सास बहू का परस्पर रिश्ता किसी भी परिवार का मूल आधार है। और इस रिश्ते का आधार होता है प्रेम, स्नेह और त्याग,जो परिवार को जोड़ता है और उनमें शांति लाता है। लेकिन इस रिश्ते में अनियंत्रित तथा असंतुलित अहं के कारण घर का माहौल शीघ्रता से बिगड़ता है।इसलिए होने वाली बहु और होने वाली सास इन बातो का ख़ास ध्यान रखे।

जेठ-जेठानी

यह रिश्ता बड़े होने के साथ आदर व सम्मान चाहता है। बहू का कर्तव्य है वह रिश्तों को निभाते समय आदर व सत्कार से पेश आए। जेठजेठानी की तरफ से यह प्रयास होना चाहिए कि बहू को बच्चों के समान प्यार दें। उस की हर आवश्यकता का ध्यान रखें। यह प्यार दोतरफा है।

देवर-देवरानी

देवरदेवरानी के साथ बहू का रिश्ता सौहार्दपूर्ण होना चाहिए। अगर देवरदेवरानी से कोई गलत व्यवहार हो जाए तो बहू को क्षमाशील और सहनशील होना चाहिए। यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि बहू को अपने सम्मान का खयाल नहीं रखना चाहिए। उस के आत्मसम्मान की रक्षा होनी चाहिए।
बच्चों के साथ व्यवहार-छोटे बच्चे संयुक्त परिवार में बड़े लाड़प्यार से पाले जाते हैं। सास तो उन को पूरा प्यार देती है। बहू को चाहिए वह भी उन्हें मां की तरह प्यार करे।

ननद

संयुक्त परिवार में जब बहू प्रवेश करती है तो सब से अधिक खुश होते हैं परिवार के कुंआरे लड़का-लड़की। उन्हें मित्रवत व्यवहार की जरूरत होती है। अगर ससुराल आने पर बहू का रवैया उन के साथ मित्रवत होता है तो वह सास का दिल जीत लेती है। बहू उन का मार्गदर्शन करने की स्थिति में होती है।