आज के समय में एशियन और कॉन्टिनेंटल डिशेज़ ने भारतीयों के दिलों में खास जगह बना ली है। दिल्ली जैसी जगहों पर तो मोमोज इतना लोकप्रिय हो चुका है कि हर नुक्कड़, हर मार्केट और हर स्ट्रीट-फूड कॉर्नर पर इसकी खुशबू फैलती हुई मिल जाएगी। कई लोग तो मोमोज को शहर की नई पहचान मानते हैं। इसी बीच डिम सम भी ट्रेंड में आ गया है, लेकिन अक्सर लोग इन दोनों को एक ही समझ बैठते हैं—जबकि असलियत इससे बिल्कुल अलग है। कई लोगों ने तो आज तक डिम सम ट्राई ही नहीं किया, क्योंकि वह इसे मोमोज की ही एक और वैरायटी मानकर नजरअंदाज़ कर देते हैं।
अगर आप भी अब तक यही सोचकर चल रहे थे कि डिम सम और मोमोज एक जैसे ही हैं, तो आपका यह भ्रम दूर करने का समय आ गया है। दिखने में चाहे दोनों काफी हद तक मिलते-जुलते हों, लेकिन बनाने की तकनीक, इस्तेमाल होने वाली फिलिंग, शेप और सर्व करने का तरीका—हर पहलू पर दोनों के बीच अच्छा-खासा फर्क है।
1. उत्पत्ति—दोनों का बैकग्राउंड अलगइन दोनों डिशेज़ की जड़ें बिल्कुल अलग हैं।
डिम सम का इतिहास चीन से शुरू होता है, जहां इसे परंपरागत रूप से चाय के साथ परोसा जाता है और यह चीनी क्यूज़ीन का एक अहम हिस्सा माना जाता है।
इसके विपरीत, मोमोज तिब्बत और नेपाल की रसोई से आए हैं, जहां इन्हें रोजमर्रा के खाने का हिस्सा माना जाता है।
2. फिलिंग—स्वाद के अंदर ही छुपा है असली अंतरयदि बाहर से दोनों एक जैसे लगते हैं, तो भी अंदर की फिलिंग इनको बिल्कुल अलग पहचान देती है।
डिम सम की भरावट में इस्तेमाल होते हैं—चिकन, प्रॉन, वाटर चेस्टनट, मशरूम और कई तरह की एशियाई सब्जियां, जो इसे लेयर-फुल और मल्टी-फ्लेवर बनाते हैं।
वहीं, मोमोज में आमतौर पर पत्ता गोभी, गाजर, पनीर या चिकन जैसी सिंपल और बेसिक फिलिंग भरी जाती है, जिसका स्वाद हल्का और सीधा होता है।
3. शेप और सर्विंग—एक आर्टिस्टिक, दूसरा सिंपलशेप के मामले में डिम सम काफी क्रिएटिव हो सकते हैं।
डिम सम अक्सर अलग-अलग डिजाइनों में तैयार किए जाते हैं—ओपन-टॉप, कॉइन-शेप, बास्केट-स्टाइल या फिर फ्लावर-शेप। इन्हें खाते समय ज्यादा तर लोग सॉस का इस्तेमाल नहीं करते, ताकि इसका असली स्वाद महसूस हो सके।
दूसरी ओर, मोमोज की पहचान उनकी हाफ-मून या पोटली जैसी शेप है। इन्हें तीखी लाल चटनी के बिना अधूरा माना जाता है।
4. पकाने के तरीके—किचन में भी दोनों की राहें अलगडिम सम और मोमोज को पकाने का तरीका भी इनके बीच बड़ा अंतर पैदा करता है।
डिम सम को केवल स्टीम ही नहीं किया जाता, बल्कि पैन-फ्राई, डीप-फ्राई या तवे पर हल्का सेंककर भी परोसा जाता है।
मोमोज पारंपरिक रूप से स्टीम किए जाते हैं। हालांकि, आजकल फ्राइड, तंदूरी या पैन-फ्राई मोमोज भी खूब लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन उनकी मूल शैली स्टीम्ड ही है।
5. लेयर—कवरिंग बनाती है पहचानइन दोनों के बाहरी कवर में भी जमीन-आसमान का फर्क है।
मोमोज की लेयर सामान्यतः मैदा (या कभी-कभार आटा) से बनती है, जो मोटी और चबाने वाली होती है।
डिम सम की कवरिंग अक्सर राइस पेपर, सूजी, आलू स्टार्च या मकई के स्टार्च से तैयार की जाती है, जो इससे ज्यादा हल्की, पारदर्शी और नाजुक बनावट देती है।
क्या ज्यादा हेल्दी है—डिम सम या मोमोज?जहाँ तक हेल्थ के नजरिए से चुनाव की बात है, स्टीम दोनों ही तरह के विकल्प अच्छे माने जाते हैं।
लेकिन तुलना करें तो:
मोमोज की परत मैदा आधारित होती है, जिसे बहुत हेल्दी नहीं माना जाता।
डिम सम की लेयर आमतौर पर राइस या स्टार्च बेस्ड होने के कारण तुलनात्मक रूप से हल्की और बेहतर होती है।