डी-क्लटरिंग बनाए घर के काम को आसान, जानें इससे जुड़े टिप्स

गैस-सिलेंडर आ गया, पर गैस की बुकिंग डायरी जाने कहां खो गई। धुले साफ कपडे मिलते ही नहीं, बिल जगह पर नहीं होता, जब नाखून काटने हों, नेल कटर नहीं मिलता। सब सुविधा होने पर भी कोई चीज समय पर नहीं मिलती, तो ऐसे में उस परिवार को ‘डी-क्लटरिंग’ की जरूरत है। आजकल देश-विदेश के कई शिक्षा-संस्थानों में इसे एक पाठ्यक्रम के रूप में पढाया जा रहा है। हम सबके परिवारों में इसकी आवश्यकता है। आइए जानें डी-क्लटरिंग के कुछ टिप्स ।

- सिर्फ एक इंसान के बजाये घर में सभी को ‘डी-क्लटरिंग’ की आदत डालनई चाहिए। मतलब सभी लोगो को चीजे सही जगह रखनी चाहिए। .. जैसे पुराने अखबार, प्लास्टिक आदि वो कबाड वाले को बेच दे ।पुराने कपडे दान कर दे ।

- कुछ चीजें हमारे पास ऐसी होती हैं, जिनसे हमारा भावनात्मक जुडाव होता है जैसे शादी का जोडा, प्यारी सहेलियों के कार्ड्स, बचपन के फोटो एलबम आदि। इन्हें कबाड कतई नहीं माना जा सकता क्योंकि इन चीजों का स्पर्श भी हमें नई उमंग से भर देता है। अत: इनके ऊपर कोई नियम नहीं, इन्हें सहेजना एक तरह से जीवन सहेजना है।

यदि आपको अनावश्यक सामान खरीदने की आदत है तो उसे बदलें। हमेशा ध्यान रखें कि आपका महत्व आपके सामान से नहीं, बल्कि आपके स्वभाव, आपके कार्यों से है। अनावश्यक भंडारण से जीवन पेचीदा हो जाता है। जिस वक्त किसी चीज को दान करने का विचार आए, उसी समय यह नेक काम कर डालें, क्योंकि वक्त गुजरने के साथ आपका मन भी पलट सकता है। तो, ‘डी-क्लटरिंग’ की आदत अपनाएं और देखें कि आपका जीवन कितना सुलझा हुआ और आसान लगता है।