कपड़ों की लंबी उम्र के साथ पैसों की भी होगी बचत, इस तरह करें वॉशिंग मशीन का सही इस्तेमाल

कम मेहनत और समय की बचत के लिए सभी अपने घरों में वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। सभी अपनी आवश्यकतानुसार विभिन्न टाइप की वॉशिंग मशीन लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बड़ी आबादी वॉशिंग मशीन में कपडे धोने का सही तरीका नहीं जानती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको वॉशिंग मशीन के इस्तेमाल से जुड़े कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से कपड़ों की उम्र भी लंबी होगी और पैसों की भी बचत होगी।

- यदि मशीन में ऑटो-ड्रायर है, तो टाइमर लगाएं।
- हॉट वॉटर टेंप्रेचर को कम रखकर एनर्जी सेव कर सकते हैं।
- कपड़े धोते समय मशीन में सही मात्रा में डिटर्जेंट डालें।

- गर्मियों में कपड़े सुखाने के लिए इलेक्ट्रिक ड्रायर का प्रयोग करने की बजाय धूप में डालें। इससे ऊर्जा की बचत होगी और बिजली का बिल भी कम आएगा।
- ड्रायर में डालते समय कपड़ों को अलग-अलग कर लें, जैसे- सारे सिंथेटिक कपड़ों को एक साथ डालें। सूती कपड़ों की तुलना में इन्हें सुखाने में कम समय लगता है।
- मशीन की कपैसिटी के अनुसार ही कपड़े डालें यानी मशीन को न तो अंडरलोड करें और न ही ओवरलोड। इससे बिजली की खपत अधिक होती है।श्
- लाइट वेट और हेवी वेट कपड़ों (बेडशीट, टॉवेल, कर्टन आदि) को अलग-अलग धोएं। क्योंकि दोनों टाइप के कपड़ों को धोने के लिए अलग-अलग टाइम सेटिंग की ज़रूरत होती है।
- कपड़ों की टाइप (जैसे- सूती, सिंथेटिक, फाइबर आदि) के अनुसार टाइमर का प्रयोग करें।
- वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने के लिए ठंडे पानी का प्रयोग करें।

- बहुत अधिक गंदे कपड़ों को गरम पानी और डिटर्जेंट के घोल में 15-20 मिनट तक भिगोकर रखें। फिर मशीन में टाइमर लगाकर धोएं।
- कपड़ों को रिंस (खंगालने) करने के लिए गरम पानी की बजाय ठंडे पानी का प्रयोग करें।
- कपड़ों को ओवर ड्राय न करें। हल्के गीले रहने पर कपड़ों को धूप में सुखाएं।
- मशीन के शॉर्टेस्ट साइकल और लोएस्ट वॉटर लेवल पर ही कपड़ों को धोएं।
- रोज़मर्रा के कपड़ों को लोएस्ट टेंप्रेचर पर धोएं।
- हर बार ड्रायर का इस्तेमाल करने के बाद ड्रायर फिल्टर को साफ़ करें। इससे एयरफ्लो अच्छा रहता है और ड्रायर भी अच्छी तरह काम करता है। ड्रायर की अच्छी तरह केयर करने से 10% तक एनर्जी सेव कर सकते हैं।
- यदि वॉशिंग मशीन 10 साल से ज़्यादा पुरानी हो गई है, तो उसे एक्सचेंज करके नई मशीन लें, क्योंकि पुरानी मशीन में ऊर्जा की खपत ज़्यादा होती है।