गुलाब का फूल बढाता है बगीचे की सुंदरता, जानें कैसे करें इसकी सार-संभाल

गुलाब का फूल सभी फूलो में सुंदर और प्यार का प्रतीक माना जाता है। इसकी देखभाल करना कोई मुश्किल काम नही है। साथ ही यह आपके बगीचे की शोभा भी बढ़ाता है। अगर आप अपने गार्डन को बिना मेहनत के खूबसूरत दिखाना चाहते हो, तो गुलाब का फूल सबसे अच्छा रहेगा। गुलाब के फूल की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे घर के अंदर भी लगा सकते है। ऐसे में अगर आपको इसकी देखभाल करने के तरीके नही पता है तो आज हम आपको इसकी देखभाल करने के तरीके बतायेंगे, तो आइये जानते है इस बारे में...

* पौधे को लगाना

टिप्स की शुरुआत गुलाब के पौधे को लगाने से ही शुरू होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे लगाते हैं। अगर आप इसे गमले में लगा रहे हैं तो पौधे को लगाने से पहले मिट्टी में जैविक खाद मिला लें। वहीं अगर जमीन पर गुलाब का पौधा लगा रहे हैं तो दो पौधों के बीच में पर्याप्त दूरी जरूर रखें। पौधों को सिर्फ उसी जगह लगाएं जहां पर उसे सूरज की पर्याप्त रोशनी मिलती हो।

* पानी देना

पौधे के अच्छे विकास के लिए जरूरी है कि उसे पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाए। अगर पौधा गमले में लगा है तो बहुत ज्यादा पानी न दें। सुबह के समय पौधों को पानी देना सबसे अच्छा रहता है। गर्मी के समय पौधों का विशेष ध्यान रखें और रूटीन के हिसाब से पानी दें।

* मल्चिंग

चूंकि गुलाब को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है, इसलिए मल्च का इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहेगी और पौधे का अच्छे विकास भी होगा। गुलाब के पौधे की जड़ में दो से चार इंच मोटी बारीक पत्ती या घास की परत बिछा दें। इसे तने से कम से कम एक इंच की दूरी पर रखें।

*खाद

जहां तक हो सके रसायनिक खाद से दूर रहें। ऐसे कई घरेलू खाद भी हैं जो गुलाब के विकास में काफी मदद करता है। अंडे का खाल, सब्जियों का अवशेष और टी ग्राउंड काफी फायदेमंद होता है। अगर आप रसायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं तो इस बात को सुनिश्चित करें कि आप इसका इस्तेमाल सही समय पर करते हों। ऐसे खाद का इस्तेमाल करें, जिनमें फास्फोरस हो।

* छंटाई

गुलाब के पौधे को लगाने का एकमात्र उद्देश्य होता है अपने गार्डन में खूबसूरत फूलों को देखना। अगर आप ज्यादा से ज्यादा फूल पाना चाहते हैं तो पौधों की नियमित रूप से कटाई—छंटाई भी करें। इससे पौधे के विकास को बढ़ावा मिलता है। बाहर की तरफ निकलने वाली कोंपलों को काट दें। साथ ही मरे, टूटे या बीमारी से ग्रस्त हिस्से को भी हटाना न भूलें।