अगर आप अपनी बगिया में कॉमन फ्लावर की बजाय अलग तरह के फ्लावर प्लांट लगाना चाहती हैं तो टैमेरिक्स प्लांट को लगा सकती हैं। टैमेरिक्स एक झाड़ीनुमा पौधा है, जो दिखने में बेहद खूबसूरत लगता है।
इसकी 60 से भी अधिक प्रजातियां भारत और यूरोप में पाई जाती हैं। भारत में जो प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें हैं- टैमेरिक्स एफाइला और टैमेरिक्स डाइओइका। यह पौधा पूरे साल हरा-भरा रहता है और इसकी शाखाएं झाड़ी के रूप में फैलती रहती हैं। इस पौधे की व्यावसायिक खेती भी होती है। टैमेरिक्स का इस्तेमाल भोजन में भी किया जाता है। आप भी इस प्लांट को अपने गार्डन में आसानी से लगा सकती हैं।जानिए, इसे लगाने और देखभाल के सही तरीके के बारे में।
होता है बहुत सुंदर
टैमेरिक्स की शाखाएं पतली होती हैं और इसकी कोमल पत्तियों पर पक्षियों के पंख सरीखे फूल आते हैं। टैमेरिक्स के पौधे को लगाने के एक साल बाद जुलाई माह में इसके फूल आते हैं। इन फूलों का रंग गुलाबी या सफेद होता है। फूल झाड़ी की शाखा के अगले सिरे पर लगते हैं, जो देखने में बहुत ही सुंदर लगता है।
लगाने का तरीका
यह पौधा शुष्क जलवायु में भी फलता-फूलता है। यही वजह है कि यह गर्म क्षेत्रों में भी और हल्की दोमट मिट्टी में भी तेजी से वृद्धि करता है। यह रेतीली मिट्टी के टीलों, नदियों, नहरों के किनारों में भी पाया जाता है। 27 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में उगने वाला यह पौधा ज्यादा तापमान में भी हमेशा हरा रहता है। लेकिन एक डिग्री से नीचे के तापमान में यह नष्ट हो सकता है। आसानी से उगने वाला यह पौधा शुष्क जलवायु में लवण की अधिकता वाली मिट्टी में और तेज हवा को भी सहन करने की क्षमता रखता है।
देखभाल है जरूरी
तीव्र गति से वृद्धि करने वाले टैमेरिक्स की अगर कटाई-छंटाई न की जाए तो यह बहुत तेजी से जमीन पर फैलने लगता है। टैमेरिक्स के झाड़ीनुमा पौधे को समूह में लगाया जाता है और बसंत ऋतु के आगमन पर इन झाड़ियों की कटाई-छंटाई की जाती है। टैमेरिक्स की सबसे बड़ी विशेषता है, इसकी जड़ों का जमीन के भीतर प्रसार। यह जमीन में 10 मीटर की गहराई तक अपनी जड़ें जमा लेता है। यही वजह है कि इस पौधे को भूमि के कटाव को रोकने के लिए सबसे खास पौधा माना जाता है।