सुंदरता के साथ एडवेंचर के लिए भी प्रमुख हैं उत्तराखंड का मिनी स्वीटजरलैंड चोपता, जानें इसके बारे में

हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियां और हरे भरे घास के मैदान का दृश्य लेने के लिए उत्तराखंड से बेहतर जगह कोई हो ही नहीं सकती हैं। उत्तराखंड में कई पर्यटन स्थल हैं जो सभी का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं, लेकिन कुछ जगहें ऐसी हैं जो आज भी अनजानी हैं लेकिन अपनेआप में बेहद खूबसूरत हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही एक जगह के बारे में जिसे उत्तराखंड का मिनी स्वीटजरलैंड कहा जाता हैं। हम बात कर रहे हैं चोपता की जो एक खूबसूरत हिल स्टेशन और शानदार ट्रेकिंग डेस्टिनेशन मैं से एक है। चोपता ट्रैकिंग, हाइकिंग, माउंटेन साइकिल, इन सभी एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। आप किसी ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं जहां आप भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति की गोद में जाकर शांति और सुकून का आनंद लेना चाहते हैं तो चोपता जा सकते हैं।

चोपता कहां स्थित है?

यह भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो केदारनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर के करीब-करीब मध्य में स्थित है। उत्तराखंड में चोपता नाम के दो जगह है, जिसकी आपस में दूरी लगभग 73 किमी है। अगर आप गूगल मैप पर सिर्फ चोपता सर्च करके उस रूट को फॉलो करेंगे, तो आप चोपता की जगह उत्तराखंड के दूसरे चोपता पहुंच जाएंगे। इसलिए अगर आपको चोपता का रूट पता ना हो, तो आपको गूगल मैप पर सही से सर्च करना पड़ेगा।

चोपता को मिनी स्वीटजरलैंड क्यों कहा जाता है?

चोपता में पहाड़ों पर आपको हरे-भरे घास के मैदान देखने को मिल जाएंगे, जिसे वहां के स्थानीय लोग बुग्याल कहते हैं। चोपता में इन बुग्यालों की मौजूदगी को देखते हुए ही इसे मिनी स्वीटजरलैंड की उपाधि दी गई है, जहां पर कैंपिंग करने के लिए हर साल देश विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक आते रहते हैं।

चोपता के पर्यटन स्थल

तुंगनाथ मंदिर


पांचों में सबसे ऊंचा केदार, तुंगनाथ एक भव्य मंदिर है, जिसकी आभा आंखों और आत्मा दोनों को सुकून देती है। 3680 मीटर की ऊंचाई पर और चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित, तुंगनाथ एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है जो भगवान शिव को समर्पित है और जहां उनके हाथों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह मंदिर 1000 साल से अधिक पुराना है और इसकी खोज आदि शंकराचार्य ने की थी। यह पवित्र मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और चोपता के भव्य घास के मैदान से लगभग 4 किमी की दूरी पर है। उत्तराखंड में कई ऊंचाई वाले मंदिरों की तरह, तुंगनाथ भी केवल ट्रेकिंग द्वारा ही पहुंचा जा सकता है।

चंद्रशिला

4020 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, चंद्रशिला तुंगनाथ से 1 किमी के ट्रेक के बाद पहुंचा जा सकता है। इस जगह से नंदा देवी, त्रिशूल, बंदरपंच, चौखम्बा सहित विशाल हिमालय की चोटियों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। चंद्रशिला, चन्द्रनाथ पर्वत का शिखर है जिस पर पंच केदार का तुंगनाथ मंदिर स्थित है।

देवरियाताल

देवरियाताल ऊखीमठ-चोपता रोड पर स्थित है। यह एक उच्च स्थान पर बानी प्राकृतिक झील है जहां मस्तुरा और साड़ी गांव से लगभग 3 किमी की चढ़ाई करके ही पहुंचा जा सकता है। यह स्थान कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए एक अद्भुत जगह है जिसका अनुभव करना भी अद्भुत होता है।

चोपता जाने का सबसे अच्छा समय

उत्तराखंड के इस जगह पर आप साल में कभी भी जा सकते हैं, लेकिन वहां जाने का सबसे अच्छा समय गर्मी का महीना (अप्रैल-जून) है, क्योंकि गर्मी के दिनों में भी इस जगह पर ठंड लगती है, जिसकी वजह से अधिकतर लोग अपने बच्चों के स्कूल से गर्मी के छूटी मिलने पर और कुछ लोग अपने शहरों के गर्मी से बचने के लिए इस जगह पर जाना बेहद पसंद करते हैं। अगर आप भी चोपता जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपके लिए गर्मी का महीना बिल्कुल सही होगा। चोपता में हर साल भारी मात्रा में बर्फबारी होती है। अगर आपको चोपता में बर्फबारी का अनुभव करना है तो आपको इसके लिए दिसंबर से मार्च के महीने में चोपता जाना होगा।

चोपता में तापमान

चोपता का तापमान 12 महीने ही बहुत ज्यादा ठंडा रहता है, आपको यहां पर कभी भी गर्मी का एहसास नहीं होगा। चोपता में मार्च से मई के दौरान यहां का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। सर्दियों के दौरान यहां का तापमान -10 से -15 डिग्री तक भी चला जाता है। आप चोपता किसी भी मौसम में आए लेकिन अपने साथ गर्म कपडे जरूर रखें।

चोपता में खाने-पीने और रहने की सुविधा

यहां पर खाने के लिए अच्छे रेस्टोरेंट्स और रात को ठहरने के लिए होटल्स और टेंट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। अगर आप यहां पर अपना खुद का टेंट लगाना चाहते हैं और खुद से खाना बनाकर खाने का आनंद लेना चाहते हैं, तो आप इसे भी कर सकते हैं। पहले यहां पर खुद का टेंट लगाने के लिए कुछ पैसा देना पड़ता था, लेकिन कुछ ही साल पहले इस नियम को हटा दिया गया था। आज के समय में यहां पर टेंट लगाने का कोई शुल्क नहीं लगता है।

कैसे पहुंचे चोपता

हवाई मार्ग से - चोपता का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून शहर में 221 किमी की दूरी पर स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। वहां से आप चोपता के लिए बस/टैक्सी ले सकते हैं।

रेल मार्ग से - निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार है। ऋषिकेश और हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों और कस्बों से अच्छी तरह से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है और चोपता से लगभग 186 किमी दूर स्थित है। हरिद्वार या ऋषिकेश से चोपता तक पहुंचने के लिए बस या कैब से जा सकते है जोकि आसानी से उपलब्ध रहते है।

सड़क मार्ग से - चोपता के लिए हरिद्वार, देहरादून, श्रीनगर और ऋषिकेश से अच्छी सड़क संपर्क है। इन गंतव्यों से राज्य परिवं निगम द्वारा संचालित बसें गुप्तकाशी या उखीमठ तक आसानी से मिल जाती है जहाँ से आसानी से आप चोपता पहुंच सकते है या फिर आप टेक्सी सर्विस ले सकते है जो की आसानी से देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर, उखीमठ, गुप्तकाशी आदि स्थानों से चोपता के लिए उपलब्ध रहती है।