पर्यटकों को आकर्षित करती हैं कोल्हापुर की ये 9 चीजें, सैलानियों को आती हैं पसंद

महाराष्ट्र का कोल्हापुर एक ऐसी जगह हैं जो अपने खानपान, रंग-बिरंगे परिधान, पर्यटक स्थलों के साथ ही कई चीजों के लिए प्रसिद्द हैं। कोल्हापुर महाराष्ट्र के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में पंचगंगा नदी के तट पर स्थित है। इस शहर को महाराष्ट्र का प्राचीन शहर भी कहते हैं। कोल्हापुर भूतपूर्व रियासत छत्रपतियों की कोल्हापुर शाखा की राजधानी और दक्कनी राज्यों के लिए ब्रिटिश रेजिडेंसी का केंद्र था। यहां की संस्कृति और पारंपरिक चीजे लोगों को बेहद पसंद आती है। आज इस कड़ी में हम आपको कोल्हापुर की कुछ प्रसिद्द और मशहूर चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। आइये जानते हैं इन चीजों के बारे में...

ज्योतिबा मंदिर

कोल्हापुर पर्यटन पर निकले लोगों के लिए ज्योतिबा मंदिर के दर्शन ज़रूर करना चाहिए। ये मंदिर 3214 पीट की ऊंचाई पर स्थित है। ज्योतिबा तीन देवताओं- ब्रह्मा विष्णु महेश, का एक अवतार है। कहा जाता है कि रत्नासुर नाम के राक्षस को मारने के लिए ब्रह्मा विष्णु महेश के अवतार, ज्योतिबा का जन्म हुआ। ये एक प्राचीन मंदिर है और पर्यटकों को अपनी ओर काफी आकर्षित करता है। मंदिर के अभयारण्य तक पहुंचने के लिए आपको 100 से भी ज़्यादा सीढ़ियों से होकर जाना होगा।

मिसल व्यंजन

अगर आप कोल्हापुर जा रहे हैं तो मिसल डिश को ट्राई करना ना भूलें। यह डिश बेहद ही स्वादिष्ट और मशहूर है। इसमें पाव के साथ मसालेदार बीन्स को परोसा जाता है। मटकी बीन्स का स्वाद बेहद शानदार होता है, जिसे मसालों के अलावा लहसुन, अदरक, टमाटर से तैयार किया जाता है। यह मशहूर डिश कई प्रकार की होती है। फडतरे मिसल, खासबाग मिसल, बावड़ा मिसल अभी तो सिर्फ शाकाहारी खाने की बात है तो चलिए अब नॉनवेज के बेस्ट डिश के बारे में जानते हैं। नॉनवेज में खाने के लिए सबसे बेहतर है तांबड़ा रस्सा, मटन का अचार कीमा राइस, कोल्हापुर के मांसाहारी व्यंजन में सबसे मशहूर है। यहां आने वाला हर शख्स इस डिश का स्वाद जरूर चखता है।

महालक्ष्मी मंदिर

अगर आपको कोल्हापुर में किसी घार्मिक स्थान पर घूमना है तो आप महालक्ष्मी मंदिर जा सकती हैं। यह मंदिर पंचगंगा नदी के किनारे है। मंदिर दर्शन के साथ-साथ आप नदी किनारे मस्ती भी कर सकती हैं। इस मंदिर को यहां के स्थानीय लोग अंबाबाई मंदिर के नाम से भी बुलाते हैं। कोल्हापुर में ज्योतिबा मंदिर भी है, इसका भी दर्शन करना ना भूलें। ये दोनों ही प्राचीन मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं।

कोल्हापुरी साज

कोल्हापुरी साज एक तरह का गले में पहनने वाला आभूषण है। ये एक पांपरिक गहना है जिसे पहनने की शुरुआत सदियों पहले कोल्हापुर से हुई थी और अब महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी इसे खूब पसंद किया जाता है। पारंपरिक रूप से तो ये इसमें 21 पत्तियां (पेंडेंट) होती हैं लेकिन महिलाएं इसे रोज़मर्रा में पहनने के लिए सिर्फ 10 या 12 ही पत्तियों का ही बनवाती हैं। ये आभूषण बहुत सुंदर दिखता है। इसका डिज़ाइन पर्यटकों को बहुत लुभाता है इसलिए अक्सर पर्यटक इसके डिज़ाइन जैसा ही आर्टिफिशियल नेकलेस बनवा लेते हैं।

दाजिपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी

मंदिर दर्शन के बाद आपको दाजिपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ज़रूर घूमना चाहिए। यहां की वन्य-जीव और प्रकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को खूब लुभाती है। यहां आपको जंगली जीव को करीब से देखने का मौका मिलेगा। वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक खुली रहती है। यहां प्रवेश करने के लिए सिर्फ 30 रुपये लगते हैं। अगर आप अंदर घूमने के लिए जीप या कोई गाड़ी लेते हैं तो उसके लिए आपको सौ रूपये देने पड़ते हैं।

कोल्हापुरी चप्पल

कोल्हापुर घूमने जाएं और कोल्हापुरी चप्पल नहीं ख़रीदे तो फिर यहां आने का क्या फायदा। कोल्हापुरी चप्पल पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह चप्पल यहां की पारंपरिक पहचान है। कोल्हापुरी रंग-बिरंगी चप्पलों को विदेश से आए पर्यटक भी बहुत पसंद करते हैं। कोल्हापुरी चप्पल कई प्रकार की होती हैं। रोजमर्रा की अलग होती हैं, पार्टी की अलग।

नृसिंहवाडी मंदिर

नृसिंहवाड़ी कोल्हापुर जिले का एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है। यह दत्ता भक्तों की राजधानी होने के लिए जाना जाता है। कृष्णा और पंचगंगा नदियों के पवित्र संगम पर स्थित, महाराष्ट्रीयन इतिहास के प्रसंगों में इसका व्यापक महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर का निर्माण बीजापुर जिले के एक मुस्लिम राजा आदिल शाह ने करवाया था। मंदिर की अपनी स्थापत्य विशेषता है। हॉल के मुख भाग पर चांदी के धातु की परत चढ़ी हुई है और केंद्र में मोर पंख से बना एक आकर्षक चित्रण है। मंदिर के बीच में बड़े स्तंभों के साथ एक बड़ा गोलाकार मंडप भी है।

कोल्हापुरी साड़ी

कोल्हापुर की दूसरी मशहूर चीज़ जो यहां आए हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करती है वो है सहां की साड़ी। कोल्हापुरी रेशम से बनी साड़ियों को देखकर तो हर महिला का दिल करता है कि एक बार इस बेहतरीन सिल्क की साड़ी को ज़रूर पहने। इन साड़ियों को बनाने के लिए उच्च क्वालिटी का रेशम इस्तेमाल किया जाता है। ये अच्छी क्वालिटी वाला रेशम महंगा होता है इसलिए इससे बनी साड़ी भी काफी महंगी होती है। इन साड़ियों के रंग विदेशी पर्यटकों को भी बहुत पसंद आते हैं और एक ना एक साड़ी तो ज़रूर खरीदते ही हैं। कोल्हापुरी साड़ी आपको महाराष्ट्र में किसी भी साड़ी की दुकान पर बहुत आराम से मिल जाएगी। इन साड़ियों की शुरुआत 1500 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक की हो सकती है।

पन्हाला किला

पन्हाला किला उत्तर पश्चिम कोल्हापुर से 20 किमी दूर पन्हाला में स्थित है। ये सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है जो महाराष्ट्र बीजापुर से तटीय इलाकों में एक प्रमुख व्यापार मार्ग था। ये किला दक्षिण महाराष्ट्र के बड़े किलों में से एक है। किले के अंदर एक मंदिर भी है, ये मंदिर छत्रपति शिवाजी का है। कहा जाता है कि, इस किले में ही शिवाजी के दुश्मनों ने उनके आगे अपने घुटने टेक दिये थे। इस किले का इतिहास पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करता है।