भारत देश को विविधताओं के लिए जाना जाता हैं जहां देश को जोड़ने में कई चीजों का महत्व हैं। इन्हीं में से एक हैं देश की नदियां जो देश का बड़ा क्षेत्र कवर करती हैं। देश में दौ सौ से भी अधिक नदियां हैं। लेकिन देश में कुछ नदियां ऐसी हैं जो अपनी पवित्रता के लिए पहचानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन नदियों में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। कई तीर्थ स्थानों के दर्शन तभी सार्थक माने जाते हैं जब वहां उपस्थित इन पवित्र नदियों में स्नान किया जाए। आज हम ऐसी ही कुछ नदियों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आप डुबकी लगा अपने आपको धन्य मानेंगे। आइये जानते हैं उन पवित्र नदियों के बारे में जो पूजा-पाठ और भक्ति के लिए जानी जाती हैं।
गंगा नदी हिमालय में गौमुख से निकलकर बंगाल की खाड़ी की और बहती हुई गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है और भारत की सबसे लंबी नदी है। नदी को भारत की “राष्ट्रीय नदी” घोषित किया गया है और गंगा डॉल्फ़िन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जानवर भी घोषित किया गया है। बहुत कम ही लोग ऐसे होगे जो गंगा नदी के धार्मिक महत्व से अवगत नही होगें। आज भी भारत के साथ साथ विदेशो से लोग गंगा नदी में एक पवित्र स्नान के लिए हजारों किलोमीटर से यहाँ आते है। कहा जाता है गंगा नदी के दर्शन मात्र से पापों से मुक्ति मिल जाती है तो सोचिये गंगा नदी में स्नान कितना महत्त्व होगा। यह भी मान्यता है की गंगा नदी में अस्थियाँ विसर्जन करने से मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इलाहाबाद, वाराणसी, गंगा नदी के किनारे वसे सबसे पवित्र शहर है। वाराणसी के तट से हर रोज गंगा जी की पवित्र आरती भी की जाती है जिनमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है।
नर्मदा नदीनर्मदा नदी का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। महाकाल पर्वत के अमरकंटक स्थान से निकलकर नर्मदा नदी पश्चिम दिशा की तरफ बहती हुई खम्बात की खाड़ी में मिल जाती है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात में बहती है और आज भी मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी की परिक्रमा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। नर्मदा नदी को रेवा नदी के नाम से भी जाना जाता है। भारत में नर्मदा नदी को भी मां का दर्जा दिया जाता है। नर्मदा नदी की लंबाई 1312 किलोमिटर है।
यमुना नदी यमुना नदी भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्रमुख नदी है, जो हिमालय पर्वत में यमुनोत्री के रूप में उभरती है और त्रिवेणी संगम, इलाहाबाद में गंगा में मिल जाती है। यह देश की सबसे पवित्र नदियों में से एक है जिसके किनारे वसे गोकुल और मथुरा सबसे पवित्र शहर है। जबकि इसका उद्गम स्थल यमुनोत्री भी श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है जहाँ देश के विभिन्न कोनो से श्रद्धालु यमुना देवी के दर्शन और पवित्र स्नान के लिए आते है। टोंस, चंबल और गिरि नदियाँ यमुना की महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं, इलाहाबाद में गंगा में मिलने से पहले मंदाकिनी नदी यमुना नदी की अंतिम सहायक नदियाँ हैं। प्रसिद्ध ताजमहल भी आगरा में पवित्र हिंदू नदी यमुना के तट पर स्थित है।
कावेरी नदी कावेरी साउथ की सबसे प्रमुख नदी है। ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलकर कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। कावेरी को दक्षिण भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। कावेरी को दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है। हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थान तिरुचिरापल्ली कावेरी नदी के तट पर ही बसा हुआ है। कावेरी नदी को भी भारत में मां का दर्जा दिया जाता है। कावेरी नदी की लंबाई लगभग 800 किलोमीटर है।
सरस्वती नदी सरस्वती एक प्राचीन नदी है जो वेदों में भी वर्णित है, जो वैदिक युग के दौरान उत्तर भारत में बहती थी। हालांकि आज उस प्राचीन नदी का भौतिक अस्तित्व नहीं है, जो कही रेगिस्तान में खो गई। भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक सरस्वती नदी शिवालिक पर्वतमाला, हिमालय से निकलकर त्रिवेणी संगम में जाकर मिलती है। इलाहाबाद में त्रिवेणी संगम 3 नदियों का संगम है, इन तीनों में से एक सरस्वती नदी भी है जिससे इस नदी की पवित्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है। अक्सर भारत की सबसे पवित्र नदियों में गंगा, युमना और सरस्वती के नाम ही सबसे उपर लिए जाते है।
शिप्रा नदीशिप्रा नदी मध्य प्रदेश में बहने वाली एक और प्रमुख नदी है जिसे हिंदू धर्म की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना गया है। पवित्र नगरी उज्जैन इसके दाहिने किनारे पर स्थित है जो भारत में बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक के लिए प्रसिद्ध है जिसे महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। हर 12 साल में उज्जैन में कुंभ मेला उत्सव होता है जिस दौरान लाखों लोग पवित्र नदी शिप्रा में पवित्र स्नान और स्नान करते हैं। यह पवित्र नदी इंदौर के उज्जैनी मुंडला गांव की ककड़ी बड़ली नामक स्थान से निकलती है और चंबल नदी में जाकर मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई भारत में 195 किमी है।