प्राचीन दिनों कश्मीर काफी चर्चा में है। प्राचीन काल में यह कश्यप ऋषि की तपस्या स्थली तथा बौद्ध साधना का केन्द्र हुआ करता था। मध्यकाल में यहां पर विदेशीयों के आक्रमण होने लगे और हिन्दू संस्कृति, मंदिर टूटने लगे। कश्मीर में आज भी कई मंदिर हैं जिनकी स्थिति तो इतनी ठीक नहीं है लेकिन आस्था के केन्द्र वे अभी भी हैं। आइये जानते हैं कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में-
पुलवामा का पयार शिव मंदिर
पुलवामा से लगभग तीस किलोमीटर दूर यह मंदिर पांडवों द्वारा बनाया हुआ है।ग्रामीणों का कहना है कि यह मंदिर पन्द्रह सौ साल पुराना है
नारानाग कश्मीर के गांदरबल जिले में हरमुख पर्वत और गंगाबल झील की ट्रेकिंग का बेस केम्प है।यहां कई मंदिर हैं जिनकी प्राचीन काल में बहुत महत्ता थी। पहले इस जगह का नाम सोदरतीर्थ था।यहां भगवान शिव व भैरव के प्राचीन मंदिर हैं। इन मंदिरों का निर्माण आठवीं सदी में कराया गया था।
मार्तंड सूर्य मंदिरकश्मीर के अनंतनाग जिले में सूर्य को समर्पित यह मंदिर कार्कोटक वंश के राजा ललितादित्य द्वारा आठवीं सदी में बनवाया गया था। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है ।
खीर भवानी मंदिरकश्मीर के श्रीनगर से सत्ताइस किलोमीटर दूर गंदरबल के तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित कश्मीरी पंडितों की देवी रंगन्या का मंदिर है।कहते हैं भगवान राम ने वनवास के दौरान यहां पूजा की थी।
महेन येहूदा मार्केट शापिंग के लिए यह पूरे इसराइल में प्रसिद्ध बाजार है।इसराइल के कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों जैसे फलाफल,शोरमा, कनाफेह, जेरूसलम मिक्स्ड सेंडविच का जायका लिया जा सकता है।