अपनी तकनीकी के लिए मशहूर है भारत के ये ब्रिज, लगता है सैलानियों का जमावड़ा

भारत अपने खूबसूरत आर्किटेक्चर के लिये पूरी दुनिया में मशहूर है। बड़े-बड़े इंजीनियरों और निर्माताओं ने आवागमन के कठिन रास्ते को बड़ी ही बारीकी से एक आसान सांचे ढाल दिया।किसी भी देश के विकास में वहां के सड़क और पुल (ओवरब्रिज)का विशेष महत्व होता है । ये पुल दूरियों को कम करते हैं, साथ ही हमारी अवागमन की सुविधायों को भी बेहद आसान करते हैं।भारत में कई ऐसे पुल हैं जो महज रास्तों को आपस में नहीं जोड़ते हैं बल्कि अपने आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर और विशेष तकनीकी के लिए मशहूर हैं। इन पुलों की खूबसूरती को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। भारत में कई ऐसे जगहों पर पुलों का निर्माण किया गया है जहां इनका निर्माण करना आसान नहीं था। आइए जानते हैं भारत के खूबसूरत पुलों के बारे में...

दार्जिलिंग का कोरोनेशन ब्रिज

दार्जिलिंग का कोरोनेशन ब्रिज पूरे दुनिया में मशहूर है। यह तीस्ता नदी से दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी को जोड़ता है। यह सेवोक ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम 1937 में किंग जॉर्ज VI की ताजपोशी में रखा गया था। इसका ब्रिज 1941 में बना था।

महात्मा गांधी सेतु (छपरा पटना हाइवे-बिहार)

महात्मा गॉधी सेतु गंगा नदी के उपर बना भारत का दूसरा सबसे लम्बा पुल है। इस पुल को गॉधी सेतू या गंगा सेतू के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा गॉधी सेतू की कुल लम्बाई 5।75 किलोमीटर व चौडाई 25 मीटर है।

विद्यासागर सेतु

हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने के लिए हुगली नदी पर विद्यासागर सेतु का निर्माण किया गया है। यह पुल केबल पर टंगे होने की वजह से तकनीक के मामले में बेहद खास है। विद्यासागर सेतु देखने में बहुत खूबसूरत है। खासतौर पर रात में इस पुल की खूबसूरती को देखकर आप मुग्ध हो जाएंगे।
457 मीटर लंबे और 35 मीटर चौड़े इस पुल का निर्माण 1978 में शुरू हुआ और 1992 में पूरा हुआ।

बांद्रा-वरली सी-लिंक

मुंबई का बांद्रा-वरली सी-लिंक भारत का सबसे लंबा और शानदार ब्रिज है। इस ब्रिज से सनसेट का नजारा काफी शानदार दिखाई देता है। रात के समय जगमगाती लाइट्स के साथ तो यह ब्रिज किसी रोमांटिक डेस्टीनेशन से कम नहीं लगता।

विक्रमशिला सेतु

विक्रमशिला सेतु पानी के उपर गंगा नदी मे बना हुआहै। विक्रमशिला सेतू की लम्बाई 4।7 किलोमीटर है, जिसकी शुरुआत सन 2001 मे की गई थी। महात्मा गॉधी सेतू के बाद विक्रमशिला बिहार का दूसरा लम्बा पुल है।