देश के इन मंदिर में मिलता हैं अनोखा प्रसाद, जानकर आपको भी होगी हैरानी

भारत को मंदिरों का देश कहा जाता हैं जहाँ आपको हर देवी-देवता के मंदिर देखने को मिल जाते हैं। देश में स्थित इन मंदिरों में से कोई अपनी भव्यता के लिए जाना जाता हैं तो कोई अपने चमत्कार के लिए। लेकिन वहीँ देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने प्रसाद के लिए जाने जाते हैं। जी हां, भगवान की पूजा के बाद मिलने वाले अनोखे प्रसाद के लिए भी मंदिरों को जाना जाता हैं। आमतौर पर प्रसाद में नारियल, मावा या कोई मिठाई होती हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको जिन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं उसके बारे में शायद ही कभी आपने सोचा होगा। इन मंदिरों में जो प्रसाद मिलते हैं वह बहुत अलग हटकर हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

कामाख्या देवी मंदिर

गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद स्वरूप खाने के लिए भक्तों को कुछ नहीं मिलता, हालांकि, यहां जो चढ़ावा मिलता है वह अनोखा जरूर है। यहां देवी मंदिर हर महीने के सातवें दिन यहां मेला लगता है और तब मेले के दौरान मंदिर तीन दिन के लिए बंद रहता है। चौथे दिन जब मंदिर खुलता है तो प्रसाद के तौर पर भक्त को एक गीला कपड़ा दिया जाता है। कहा जाता है कि ये कपड़ा मां के रज से भीगा होता है।

बालसुब्रमणिया मंदिर

केरल के अलेप्पी में बना हुआ है बालसुब्रमणिया मंदिर। बालामुरुगन भगवान को चॉकलेट बहुत प्रिय है। इसलिए यहां भगवान को प्रसाद के रूप में चॉकलेट ही अर्पित की जाती है और चॉकलेट का ही प्रसाद वितरित किया जाता है।

करनी माता मंदिर

करनी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर में है। इस मंदिर को चूहों वाली माता के नाम से जाना जाता है। चूहे मंदिर और मंदिर परिसर के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। इस मंदिर में भक्तों को चूहों का जूठा प्रसाद दिया जाता है।

अज़गर कोविल मंदिर
मदुरै में स्थित अज़गर कोविल को लोकप्रिय रूप से अलगर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जहां भक्तों को प्रसाद के रूप में डोसा दिया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई भक्त देवता को प्रसाद के रूप में अनाज चढ़ाते हैं और फिर इन अनाजों का उपयोग प्रसाद के रूप में ताजा, कुरकुरा डोसा बनाने के लिए किया जाता है।

धनदुथापानी स्वामी मंदिर

पलानी पहाड़ियों में स्थित यह भगवान मुरुगन मंदिर अपने अनोखे प्रसाद के लिए बहुत लोकप्रिय है। भक्तों को पांच फलों से बनी मिठाई, गुड़ या गुड़, मिश्री का भोग लगाया जाता है। ये एक प्रकार का जैम के तरह से तैयार किया जाता है, जिसे पंचामृतम के नाम से जाना जाता है। इसकी लोकप्रियता इतनी है कि अब यह मंदिर के साथ-साथ पहाड़ों पर प्लांट में भी बनाया जाता है।


चाइनीज काली मंदिर
कोलकाता के टांगरा में बनें चाइनीज काली मंदिर में नूडल्स का प्रसाद चढ़ाया जाता है और भकतों नूडल्स का ही प्रसाद वितरित किया जाता है।