हिमाचल प्रदेश: जोगिंदरनगर के 33 किलोमीटर दूर लांगणा गांव में स्थापित है भगवान शिव की पंचमुखी चमत्कारिक प्रतिमा, 150 वर्ष पहले ब्यास नदी में आई थी बहकर

हिमाचल प्रदेश अपनी सुंदरता, प्रकृति और शांत वातावरण के कारण हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर बहुत से प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंदरनगर से लगभग 33 किलोमीटर दूर लांगणा गांव के शूल नामक स्थान पर है। इस गांव में भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भगवान शिव पंचमुखी महादेव के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों स्वरूपों के दर्शन होते हैं। ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव तथा सद्योजात यह भगवान शिव की 5 मूर्तियां हैं और यही उनके पंच मुख कहे जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर में स्थापित प्रतिमा लगभग 150 वर्ष पूर्व ब्यास नदी में बहकर यहां आई थी और लांगणा गांव के पास एक शीशम के पेड़ में फंस गई थी। जब एक स्थानीय पंडित ने मूर्ती को यहां देखा, तो वह पंचमुखी महादेव की मूर्ति को शीशम की जड़ों से अलग करके तने सहित अपने गांव ले जाने लगा। थोड़ी दूरी तय करने के बाद तने के वजन के कारण पंडित ने आराम करने के लिए मूर्ति को पीपल के पेड़ के नीचे रख दिया। थोड़ी देर बाद जब पंडित ने वापस मूर्ती को उठाने की कोशिश की, तो वह मूर्ति को नहीं उठा पाया। इसके बाद मूर्ती को पीपल के पेड़ के नीचे ही स्थापित कर दिया गया। कुछ समय बाद तने से मूर्ति का निचला हिस्सा जलहरी बनाया गया व शेष बची तने की लकड़ी से ढोल बनाया गया। यह ढोल सीरा समुदाय के लोगों के पास रखा गया है। मान्यता है कि कोई भी घटना घटित होती है, तो रात के समय में इसमें आवाज आती है।

करीब 30-35 साल पहले एक स्थानीय व्यक्ति के सपने में भगवान शिव आए और उसे मंदिर बनाकर स्थान देने के लिए कहा। इस पर स्थानीय लोगों के सहयोग से शूल नामक स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया और मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित किया गया। ख़ास बात यह है कि मंदिर में स्थापित करने के लिए मूर्ती को 20 से 25 लोगों को उठाना पड़ा, जबकि मूर्ती को पंडित अकेला ही उठाकर यहां ले आया था।

दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

भगवान शिव के इस मंदिर में शिवरात्रि और सावन पर श्रद्धालुओं का मेला लगता है। इस दौरान यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर कमेटी यहां आने वाले भक्तों की सुविधा का पूरा ध्यान रखती है। लंगर की व्यवस्था कमेटी द्वारा की जाती है। यहां आने वाले श्रद्धालु बेल पत्रों, गंगाजल तथा पंचामृत से पंचमुखी महादेव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि शिवरात्रि में उपवास रखकर चार प्रहर की पंचमुखी महादेव की विशेष पूजा-आरती करने से श्रद्दालुओं को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

कैसे पहुंचे?

पंचमुखी महादेव मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर में है। यह छोटी लाइन का स्टेशन है। पंचमुखी महादेव मंदिर से नजदीकी ब्रॉडगेज रेलवे स्टेशन पठानकोट में है। पठानकोट रेलवे स्टेशन देश प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से भी पंचमुखी महादेव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। जोगिंदरनगर बसों के माध्यम से प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पंचमुखी महादेव मंदिर से मां चतुर्भुजा मंदिर के लिए भी बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।