प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही इन 5 भुतहा जगहों के लिए भी जाना जाता हैं उत्तराखंड, जानें इनके बारे में

अपनी सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़ों, प्राकृतिक दृश्यों, शान्ति-सुकून के लिए उत्तराखंड को बहुत पसंद किया जाता हैं और इसी के चलते पर्यटन के लिए इसे शीर्ष स्थानों में गिना जाता हैं। उत्तराखंड में कई शहर हैं जहां घूमने की चाह सभी रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी खूबसूरत उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें भी हैं जो डर के लिए जानी जाती हैं। जी हां, उत्तराखंड में कुछ जगहें हैं जो भुतहा हैं और डर का अहसास करवाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उत्तराखंड की इन भुतहा जगहों और उनसे जुड़े किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

लंबी देहर माइन

ये खदानें हिल स्टेशन मसूरी के पास स्थित हैं। फिलहाल यहां कोई काम नहीं होता। जगह बहुत खूबसूरत है और कई बार यहां लोग तस्वीरें खिंचवाने भी आते हैं। पर ये खूबसूरत जगह भुतहा भी है। 1990 के दशक में यहां काम करने वाले मजदूर बीमार होने लगे। धीरे-धीरे ये बढ़ता गया और करीब 50 हज़ार लोग बीमार पढ़ने लगे और मरने लगे। इसके बाद माइन बंद हो गई और 1500 लोग उस गांव को छोड़कर चले गए। तब से ये जगह भुतहा घोषित हो गई। लंबी देहर माइंस पर अब में कई बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं और ये एक जंगल का रूप ले चुका है। कई लोगों के चीखने चिल्लाने की आवाजें अक्सर यहां पर सुनाई देती हैं जिसकी वजह से कोई भी रात में इसके पास से भी नहीं गुजरता है। यहां से गुजरने वाले वाहनों के हादसे तो आम बात हो गयी है। बुजुर्गों की मानें तो किसी समय पर यहां पर चुड़ैल का साया था जिसकी वजह से ही अक्सर एक्सीडेंट्स होते थे। एक हेलीकॉप्टर भी इस जगह पर क्रैश हो चुका है। किसी को पता नहीं चला कि आखिर उस क्रैश की वजह क्या थी।

सिस्टर बाजार

राजसी पहाड़ों पर बसे 'सिस्टर बाज़ार' में एक घर उत्तराखंड के सबसे प्रेतवाधित स्थानों में से एक है, जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। यह स्थान एक अलग-थलग वन क्षेत्र है, जो पहाड़ों के घूमने और पहाड़ों के मनमोहक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यह भुतहा घर एक औपनिवेशिक बंगले के कुछ हिस्सों में से एक था। इस स्थान पर अभी भी ट्रेकर्स और पार्टी के लोग घूमते हैं, जो सिर्फ ट्रेल की खूबसूरती के लिए पार्टी स्पॉट की तलाश करते हैं। लेकिन एक भी व्यक्ति रात को इस स्थान पर जाने की हिम्मत नहीं करता। स्थानीय कहते हैं कि घर प्रेतवाधित है क्योंकि उस घर में कोई नहीं रहता है। रात में उस प्रेतवाधित घर में बहुत सारी घटनाएं हुईं। अब उस जगह पर केवल दीवारों का कंकाल ही बचा है। भूत कि खोज करने वाले रात में उस स्थान पर जाते हैं और उस घर में कुछ असाधारण गतिविधियों का दावा करते हैं।

मुलीनगर मैनशन

हर किसी को ब्रिटिश कोलोनल पीरियड याद होगा। उस समय 1825 में मुलीनगर मैनशन पहला घर था जो वहां बना था। किसी को नहीं पता कि इस घर के मालिक का क्या हुआ और क्यों ये घर अकेला हो गया। गांव वालों का कहना है कि यहां अजीब हरकतें होती हैं। लोककथाओं के अनुसार इस घर के पहले मालिक कैप्टन यंग का भूत अभी भी यहां घूमता है। इसे अब बहुत शांत जगह माना जाता है और अभी भी कई लोग इसे पिकनिक स्पॉट की तरह देखते हैं। पर क्या भरोसा किसी को कोई भूत दिख जाए तो। कहा जाता है कि उसका भूत अभी भी परिसर में है। और कुछ स्थानीय निवासी कहते हैं कि उन्होंने कैप्टन यंग को देर रात घुड़सवारी करते देखा है।

परी टिब्बा

परी टिब्बा या Hill of fairies एक ऐसी जगह है जहां घने जंगल हैं। इस जगह को इतना लोकप्रिय इसलिए बना दिया गया क्योंकि ये जगह रस्किन बॉन्ड की कई किताबों में आई है। साथ ही यहां काफी सुनसान अंधेरा होता है और कई बार बिजली गिर चुकी है। कई कहते हैं कि ये प्रकृतिक है और कई कहते हैं कि इन जंगलों में कुछ है और इसलिए यहां पर इतनी बिजली गिरती है। आधे जले हुए पेड़, घना जंगल और कई कहानियां। लोग कहते हैं कि एक जोड़े पर यहां बिजली गिर गई थी और वो जिंदा जल गए थे। लोगों का ये भी दावा है कि उन्होंने यहां पर परियों को देखा है।

हॉन्टेड हाउस- लोहघाट

लोककथाओं के अनुसार ये सबसे हॉन्टेड प्लेसेस में से एक माना जाता है। ऐसी ही एक चर्चित कहानी बताती है कि लोहघाट की चंपावत डिस्ट्रिक्ट में एक अजीब सा माहौल रहता है। यहां एक पुराना घर है जिसे भुतहा माना जाता है। ये कभी एक खुशहाल जोड़े का घर हुआ करता था। फिर इसे अस्पताल बना दिया गया जो बहुत ज्यादा चलता था। पर एक बार एक डॉक्टर आया जो लोगों को उनकी मृत्यु से जुड़ी सलाह दिया करता था। डॉक्टर की कहानी प्रसिद्ध हो गई और लोग डॉक्टरी सलाह लेने आने लगे। जिस भी मरीज की मृत्यु की तारीख ज्यादा पास में बताई जाती उससे कहा जाता कि वो मुक्ति कोठरी (एक खास रूम) में शिफ्ट हो जाए, लेकिन बाद में लोगों को लगा कि उस कोठरी में डॉक्टर खुद ही मरीज़ों की हत्या करता है। इसके बाद से इस जगह को भुतहा करार दे दिया गया।