मंदिरों के लिए भी जाना जाता हैं चटपटे स्वाद के लिए प्रसिद्द इंदौर, आप भी जरूर करें दर्शन

मध्यप्रदेश राज्य में घूमने की जब भी बात आती हैं तो इंदौर शहर का नाम अवश्य लिया जाता है। इंदौर में देखने लायक खूबसूरत जगहों की कोई कमी नहीं है। यहां घूमने के साथ ही लोग चटपटे स्वाद का भी आनंद उठाना पसंद करते हैं। इंदौर की चटपटी चाट खूब फेमस है। हालांकि, इन सबसे अलग इंदौर शहर का अपना एक आध्यात्मिक महत्व भी है। घूमने की जगहों के अलावा यहां पर कई प्रसिद्द मंदिर भी हैं। जहां पर केवल भक्त गण ही नहीं, बल्कि पर्यटक भी दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। इनमें से कुछ मंदिरों का अपना एक इतिहास है, जो इन्हें बेहद खास बनाता है। इंदौर में वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन ऐसे कुछ लोकप्रिय मंदिर हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं और यहां दर्शन मात्र करने से ही भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

देवगुरादिया शिव मंदिर

भगवान शिव को समर्पित मंदिर देवगुरादिया शिव मंदिर इंदौर शहर से 8 किमी। दूर एक गांव में स्थित मंदिर है। यह मंदिर, चट्टानों से निर्मित एक स्‍मारक है जिसे 7 वीं शताब्‍दी में बनाया गया था।इस मंदिर को अहिल्‍या बाई होलकर के द्वारा 18 वीं सदी में पुनर्निर्मित करवाया गया था। इस मंदिर को स्‍थानीय लोगों के बीच गरूड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि यहां का पानी का स्‍त्रोत गाय के खुले मुख के आकार का है जिसे गौमुख कहा जाता है।

कांच मंदिर

कांच मंदिर इंदौर का एक भव्य मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को सफेद पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण हवेली के रूप में किया गया है, जिसमें चंदवा बालकनी और शिकारा भी है। आपको बता दें, मंदिर के अंदरूनी हिस्से को पूरी तरह से कांच से बनाया गया है। कांच मंदिर एक जैन मंदिर है, जिसे 20 वीं सदी में कपास व्यापारी हुकुमचंद ने बनवाया था। जब आप इस मंदिर में जाएंगे तो आपको यही की दीवारें, छत, खंभे, फर्श, दरवाजे आदि सब कुछ कांच बना हुआ दिखाई देगा। मंदिर में भगवान महावीर और तीर्थांकर मूर्तियां स्थापित हैं।

अन्नपूर्णा मंदिर

रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर के सबसे खूबसूरत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग यहां आते हैं और सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। अन्नपूर्णा देवी को भोजन की देवी के रूप में माना जाता है और यह आम धारणा यह है कि अगर भक्तों इस मंदिर में मां अन्नपूर्णा के दर्शन करते हैं व उनकी भक्ति करते हैं तो उन्हें जीवन में कभी भी भोजन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। यहां पर पूजा की जाने वाली मूर्ति के हाथों में एक चम्मच और भोजन है। जहां तक मंदिर की वास्तुकला का संबंध है, मंदिर परिसर के भीतर, भगवान शिव, भगवान हनुमान और भगवान कालभैरव को समर्पित तीन अलग-अलग मंदिर हैं। वहीं मंदिर के बाहर की दीवारों को पौराणिक पात्रों की सुंदर छवियों से सजाया गया है।

खजराना गणेश मंदिर

यह मंदिर इंदौरके खजराना रोड पर स्थित है और बेहद ही फेमस है। इसका निर्माण भी रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया। इस मंदिर के पीछे एक पौराणिक कथा है। किंवदंती के अनुसार, यहां स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति को अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था। 1735 में मूर्ति प्राप्त होने के बाद, इस मंदिर का निर्माण रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा किया गया था। आज इस मंदिर को लोग खजराना मंदिर के नाम से जानते हैं। विनायक चतुर्थी का त्योहार इस मंदिर में बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान खजराना मंदिर के क्षेत्र में एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये गणेश जी के पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाता है, गणपति जी उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के पश्चात पुन: सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। यहां गणेश जी की विशेष आराधना बुध वार एवं चतुर्थी को की जाती है।

बिजासेन टेकरी

इंदौर में प्रसिद्ध पूजा स्थलों में से एक बिजासेन टेकरी भी है। यह बिजासेन माता का एक निवास है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर देवी की शक्ति के प्रभाव से अंधों की आंखों की रोशनी भी वापस ला सकती है। 1920 में निर्मित, यह मंदिर एक 800 फीट ऊंची पहाड़ी (जिसे टेकरी कहा जाता है) की चोटी पर स्थित है। इस पूजा स्थल का मुख्य आकर्षण नवरात्रि के दौरान आयोजित होने वाला असाधारण मेला है जो भक्तों और पर्यटकों दोनों को बड़ी संख्या में आकर्षित करता है।

बिजासन माता मंदिर

आपको जानकार शायद हैरानी होगी लेकिन ये मंदिर 1000 साल पुराना है। इस मंदिर में पूरी की पूरी नौ देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर का निर्माण इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने 1760 में कराया था। बिजासन माता को सौभाग्य और पुत्रदायिनी की देवी माना जाता है। अगर आपके विवाह में किसी भी तरह की रुकावटें आ रही हैं, या संतान नहीं हो रही है तो इस मंदिर के दर्शन करने सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पिछले समय की बात करें तो काले हिरणों का जंगल होने के कारण तंत्र-मंत्र और सिद्धि के लिए इस मंदिर की खास पहचान बनीं है।

बड़ा गणपति मंदिर

बड़ा गणपति मंदिर, इंदौर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में 25 फीट ऊंची गणेश जी की मूर्ती विराजमान है। इस मंदिर का निर्माण 1875 में किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन के एक निवासी, श्री दाधीच ने रात में भगवान गणेश की मूर्ति का सपना देखा था और इस तरह उन्होंने अगले दिन उठकर वहां मंदिर बनवाने का फैसला लिया। मूर्ति को चूना पत्थर, गुड़, ईंटों और पवित्र मिट्टी, घोडों, गाय और हाथियों के पैरों कुचली मिट्टी व कीचड़, पंचरत्नों के पाउडर और पानी के मिश्रण से बनाया गया है। मूर्ति का ढ़ांचा, सोने, चांदी, पीतल, तांबे और लोहे से तैयार किया गया है।