राजस्थान को अपने ऐतिहासिक किलों के लिए जाना जाता हैं जो यहां के पर्यटन का प्रमुख हिस्सा हैं। राजस्थान में एक से बढ़कर एक किले आपको देखने को मिल जाएंगे। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं कुंभलगढ़ किले की जो राजसमंद जिले में स्थित हैं। इस किले की खासियत इसकी 36 किमी लंबी दीवार है। यह राजस्थान के हिल फाउंटेन में शामिल एक विश्व धरोहर स्थल है। कुंभलगढ़ दुर्ग उदयपुर से 88 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुंभलगढ़ किला समुद्र तल से 1900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह आकर्षक किला एक जंगल के बीच स्थित है जिसको एक वन्यजीव अभयारण्य में बदल दिया है। धरातलीय भूभाग में फैला यह किला मेवाड़ के प्राचीन इतिहास तथा वीरता का साक्षी रहा हैं। अगर आप राजस्थान या इसके उदयपुर शहर की यात्रा कर रहे हैं तो आपको कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए भी जरुर जाना चाहिए।
कुंभलगढ़ किले का इतिहास कुंभलगढ़ किला राजस्थान में स्थित है जो कि इसका इतिहास बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली रहा है। कुंभलगढ़ किले की 36 किलोमीटर की दीवार दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है जो कि दुनिया भर में बहुत प्रभावशाली है। मेवाड़ के महाराणा कुंभा ने अनेक किलो का निर्माण करवाए थे जिसमें कुंभलगढ़ किला को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दुर्ग में ऊंचाई वाले इलाकों पर कई महल मंदिर और इमारतें बनी हुई है और इस दुर्ग के अंदर की तरफ एक और दुर्ग बना हुआ है जिसको कटरगढ़ के नाम से जाना जाता है। कुंभलगढ़ किला को मेवाड़ में चित्तौड़गढ़ दुर्ग के बाद सबसे प्रमुख माना जाता है। इस किले का इतिहास रहा है कि यह कुंभलगढ़ किला हमेशा से अभेद्य और अजेय रहा है।
कुम्भ महल महाराणा कुम्भ का सबसे प्रमुख निवास स्थल था। महाराणा उदय सिंह ने ही उदयपुर शहर को बसाया था जो कि आज दुनिया भर में प्रसिद्ध है। कुंभलगढ़ किले के अंदर लगभग 360 मंदिर बनी हुई है जिसमें 300 जैन मंदिर है और बाकी सभी हिंदू मंदिर है। कुंभलगढ़ दुर्ग के चारों ओर 13 विशाल पर्वत और विशाल मजबूत दीवारें बनी हुई है। यह दुर्ग मेवाड़ के राजाओं का प्रमुख निवास स्थान रहा है। राणा सांगा का भी मेवाड़ के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस दुर्ग के बनने के बाद से ही इस पर हमले होने शुरू हो गए फिर भी यह किला अजेय रहा है। राणा सांगा के पूरे शरीर पर 84 घाव होने के बावजूद भी वे युद्ध लड़ते रहे थे।
कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला कुंभलगढ़ किला एक पहाड़ी पर स्थित है जो समुद्र तल से करीब 1100 मीटर ऊपर है। इस किले के गेट को राम गेट या राम पोल के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में लगभग सात द्वार हैं और कुल 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 प्राचीन जैन और बाकी हिंदू मंदिर हैं। इस किले में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जिसके अंदर एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। इस किले से थार रेगिस्तान में टिब्बा का एक सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता। कुंभलगढ़ किले की दीवारें 36 किमी व्यास की हैं, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। इस किले की ललाट दीवारे काफी मोटी हैं जिनकी मोटाई 15 फीट है। इस किले के अंदर एक लाखोला टैंक मौजूद है जिसका निर्माण राणा लाखा ने 1382 और 1421 ईस्वी के बीच किया था।
कुम्भलगढ़ किले पर हुए आक्रमण
इस किले का निर्माण काफी मजबूती के साथ किया गया था, साथ ही इसमें सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम थे। इसलिए कई बार हमला होने के बावजूद भी कुंभलगढ़ किसी के हाथ नहीं आया। जब अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा इस किले पर हमला किया गया, तो उसके बाद इस किले पर दूसरा हमला अहमद शाह ने किया है जोकि गुजरात का था परंतु उसे भी असफलता ही हाथ लगी। हालांकि अहमद शाह बन माता मंदिर को तोड़ने में कामयाब हो गया था। परंतु ऐसा भी कहा जाता है कि किले में मौजूद देवताओं ने किले को अन्य नुकसान होने से बचाया। साल 1458, 1459 और 1467 में महमूद खिलजी ने भी इस किले पर आक्रमण किया परंतु किले को जीतने में नाकामयाब रहा।
इसके अलावा अकबर, मारवाड़ का राजा उदय सिंह, राजा मानसिंह और गुजरात के मिर्जा ने भी इस किले पर भयंकर आक्रमण किया परंतु राजपूतों की वीरता के आगे सभी शत्रु परास्त होते चले गए। कुंभलगढ़ के किले को सिर्फ एक ही लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा था और उसके पीछे वजह थी पानी की कमी होना। ऐसा कहा जाता है कि उस लड़ाई में 3 बागबान ने धोखाधड़ी कर ली थी। उस लड़ाई में शाहबाज खान ने किले को अपने कंट्रोल में कर लिया था। शाहबाज खान अकबर का सेनापति था। साल 1818 में मराठों ने भी कुंभलगढ़ किले पर कब्जा करने में सफलता हासिल की थी।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार आपने चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बारे में तो सूना होगा, लेकिन कुंभलगढ़ को भारत की महान दीवार कहा जाता है। उदयपुर के जंगल से 80 किमी उत्तर में स्थित, कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। अरावली पर्वतमाला पर समुद्र तल से 1,100 मीटर (3,600 फीट) की पहाड़ी की चोटी पर निर्मित, कुंभलगढ़ के किले में परिधि की दीवारें हैं जो 36 किमी (22 मील) तक फैली हुई हैं और 15 फीट चौड़ी है, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। अरावली रेंज में फैला कुम्भलगढ़ किला मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है। यही कारण है कि इस किले के दिलों में राजपूतों का विशेष स्थान है। 2013 में, विश्व विरासत समिति के 37 वें सत्र में किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
कुंभलगढ़ जाने का अच्छा समयकुंभलगढ़ घूमने जाने का अच्छा समय के बारे में बात करें तो हम आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम के समय यहां का माहौल ठंडा होने के कारण बहुत से पर्यटक आते हैं। इस समय में यहां पर हरियाली ही हरियाली होती है जिससे यहां का दृश्य काफी अच्छा दिखता है। अगर आप गर्मियों की मौसम में कुंभलगढ़ जा रहे हैं तो हम आपको बता दें कि यहां पर जाने में आपको थोड़ा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यहां पर गर्मियों के मौसम में तापमान अधिक होता है।