शहरों से कई आगे हैं भारत के ये 8 गांव, हैरानी में डाल देगा यहां का विकास

भारत को गांवों का देश कहा जाता है जहां देश की आत्मा गांवों में ही बसती है। भारत एक ऐसा देश है जहां आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है। जब भी कभी गांव की बात की जाती हैं तो मन में छवि बनती हैं अशिक्षा, गरीबी और गंदगी की। इन समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार काम जरूर कर रही हैं, लेकिन उनकी गति बेहद धीमी हैं। क्योंकि जितना ध्यान शहरों पर दिया जाता है उतना गांवों पर नहीं। कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां बिजली तक नहीं पहुंच पाई हैं, लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे गांव की जानकारी देने जा रहे हैं जो कई मामलों में शहरों को पीछे छोड़ रहे हैं। ये गांव ऐसे हैं जिन्हें देखकर आप शहर की चमक-धमक भूल जाएंगे। ये हाईटेक गांव अपने विकास के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

महाराष्ट्र का हिवारे गांव

महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में स्थित एक गांव ऐसा है जिसे 'विलेज ऑफ मिलिनेयर' भी कहा जाता है। इस गांव में 60 से भी ज्यादा लोग ऐसे हैं जो करोड़पति हैं। यह देश का इकलौता गांव हैं जहां करोड़पतियों की संख्या सबसे अधिक है। बताते हैं कि इस गांव को खुशहाल और संपन्न बनाने का श्रेय पोपटराव पवार को जाता है, जो साल 1990 में इस गांव के सरपंच चुने गए थे। पवार ने गांव में शराब कारोबार पर बैन लगवा दिया। इस पर खर्च होने वाली कैपिटल का निवेश उन्होंने रेन-हार्वेस्टिंग और कैटल फॉर्मिंग में कराया। बस यहीं से इस गांव का विकास तेजी से हुआ। वहीं एक समय पर पानी के लिए तरसने वाला महाराष्ट्र के हिवारे बाजार गांव ने बागवानी और डेयरी फार्मिंग करके जल संरक्षण के सपने को भी साकार कर दिखाया है।

कोयम्बटूर का ओदंतराय गांव
ओडांथुरई, कोयम्बटूर जिले का एक आत्मनिर्भर गांव है यहां किसी भी काम के लिए शहर नहीं जाना पड़ता। सारी फैसिलीटीज यहां पर हैं और ये गांव राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। भारत में पहली बार किसी गांव की पंचायत द्वारा पवन ऊर्जा परियोजना शुरू की गई है। 350 किलोवाट (किलोवाट) का संयंत्र प्रति वर्ष लगभग छह लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करता है, जिसमें से 2 लाख तमिलनाडु बिजली बोर्ड (TNEB) को बेचा जाता है, और बाकी का उपयोग मुख्य रूप से स्ट्रीटलाइट्स और गांव में पीने के पानी के पंपों के संचालन के लिए किया जाता है। यह गांव पूरी तरह तकनीकी तौर पर समृद्ध गांव है।

नागालैंड का चिजामी गांव

नागालैंड का चिजामी गांव काफी लम्बे समय से पर्यावरण सरंक्षण की कोशिशों में जुटा था। आखिरकार यहां की महिलाओं के सहयोग से चिजामी में न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण सफल हो चुका है बल्कि यहां कई सामाजिक, आर्थिक और जमीनी बदलाव देखने को मिलने लगे हैं।

हिमाचल प्रदेश का थोलंग गाँव

अक्सर सुनने को मिलता है कि गांव के लोग अनपढ़ और गंवार होते हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य लाहौल में स्थित एक गाँव थोलंग है जो इस बात को गलत साबित करता है। इस गांव में न केवल 100 प्रतिशत साक्षरता दर है, बल्कि सभी गांवों में सबसे बड़ी संख्या में IAS, IPS, IFS,हैं। यहां के अधिकतर लोग डॉक्टर और यहां तक कि इंजीनियर हैं। राज्य में गांव की प्रति व्यक्ति आय भी सबसे अधिक है।

गुजरात का पुंसारी गांव

अहमदाबाद से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुजरात के पुंसारी गांव ने देश में आधुनिकता की मिसाल कायम की है। पुंसारी गांव में सर्किट कैमरे से लेकर वॉटर प्यूरीफाइंड प्लांट्स, बायोगैस प्लांट, वाई-फाई और बायोमेट्रिक मशीन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। इस गांव की काया पलट की हिमांशु पटेल ने 2006 में पुंसारी के ग्राम पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ा और 22 साल की उम्र में गाँव के सबसे कम उम्र के सरपंच बने। हिमांशु ने गांव में दो साल के अंदर 2008 तक, गाँव में बिजली, स्ट्रीट लाइट, वॉटर सप्लाई, पक्की सड़कें और गाँव के हर घर में एक शौचालय बनवा डाले। यहां 24 घंटे बिजली, वाई-फाई, सोलर पावर लैंप्स, सीसीटीवी कैमरा, इंडिपेंडेंट बस सर्विस और पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध है। यहां स्कूल से लेकर हॉस्पिटल तक सारी सुविधाएं हैं। यहां इलाज के लिए आपको शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

राजस्थान का पिपलांत्री गांव

भारत के कई हिस्सों में कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या आम है। हालांकि इस जघन्य अपराध के लिए कड़े कानून और कठोर दंड हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसा करते हैं लेकिन राजस्थान के पिपलांत्री गांव में कन्याओं के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। यहां के सरपंच बेटी के जन्म का जश्न मनाते हैं। श्याम सुंदर पालीवाल ने गां वालों के लिए गांव में 111 पेड़ लगाकर और 18 साल तक उनका पालन-पोषण करके लड़की के जन्म का जश्न मनाने का नियम बनाया है।

बिहार का धारनई गांव

धारनई भारत का पहला ऐसा गांव है जो पूरी तरह से सोलर एनर्जी पावर्ड है। यहां पिछले 30 सालों से बिजली नहीं थी। लेकिन माइक्रो ग्रिड सोलर पावर्ड सिस्टम से इस गांव को 24 घंटे बिजली मिल सकी है। हालांकि इस गांव में गरीबी अभी भी है लेकिन सोलर पावर्ड के मामले में यह गांव नंबर वन पर है।

केरल का पोठानिक्कड़ गांव

केरल का पोठानिक्कड़ गांव भारत का पहला ऐसा गांव है, जहां पर साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार ने यहां कई तरह की स्कीम शुरु की हैं। ऐसे में कोई भी व्यक्ति यहां बिना पढ़ा-लिखा नहीं मिलेगा। लड़कों और लड़कियों को शिक्षा का समान अधिकार है, उन्हें यहां अच्छी से अच्छी शिक्षा मुहैया कराई जाती है। यही वजह है इस गांव का एजुकेशन सिस्टम देश की सबसे बेहतर शिक्षा प्रणालियों में से एक है।