जब भी कभी राजस्थान घूमने की बात की जाती हैं तो किलों का वर्णन जरूर किया जाता हैं जो यहां की शानदार वास्तुकला, इतिहास और शौर्य की गाथा कहते हैं। हर साल लाखों पर्यटक राजस्थान के इन किलो का दीदार करने पहुचते हैं और इनकी सुंदरता और निर्माण को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आने वाले लॉन्ग वीकेंड में घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो राजस्थान के किले घूमना बेस्ट ऑप्शन साबित होगा। आज इस कड़ी में हम आपके लिए राजस्थान के बेहतरीन किलों की जानकारी लेकर आए हैं जो इतिहास में तो अपनी जगह रखते ही हैं, लेकिन इसके साथ में पर्यटकों को भी बहुत पसंद आते हैं। आइये जानते हैं इन किलों के बारे में...
आमेर का किला
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। यह किला आपको राजस्थानी लोक संगीत से रूबरू कराता है और अपनी सुंदरता से आपको मंत्रमुग्ध कर देता है। इसकी नक्काशी देखकर आप हैरान रह जाएंगे। अरावली रेंज की एक पहाड़ी पर स्थित आमेर किले को राजस्थान के अन्य पहाड़ी किलों के साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। इस किले में आप हाथी की सवारी कर सकते हैं। शहर का अद्भुत नजारा देख सकते हैं। इस किले की खासियत दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, सुख निवास और शीश महल है। किला इतना बड़ा है कि इसे विस्तार से देखने में आपको कम से कम दो से तीन घंटे का समय लगेगा, और अच्छे से देखने के लिए आप गाइड की मदद ले सकते हैं। आमेर किले की सीढ़ियों पर हाथी की सवारी करना भी एक लोकप्रिय पर्यटन गतिविधि है।
मेहरानगढ़ किला
'ब्लू सिटी' के नाम से मशहूर जोधपुर में स्थित है। 125 मीटर की ऊंचाई से जोधपुर सिटी को देखते हुए मेहरानगढ़ किले में आप अपनी ट्रिप को शानदार बना सकते हैं। इस किले को 'द डार्क नाइट राइज़' और 'आवारापन' जैसी कई फ़िल्मों में दिखाया गया है। किले में कई महल हैं जो अतीत में शाही राजस्थान के बेदाग नक्काशी और अंदरूनी भाग को दिखाते हैं। मेहरानगढ़ किले की मुख्य विशेषताएं ब्लू सिटी का दृश्य, पोल नामक सात द्वार, संग्रहालय (आवास शस्त्रागार, पेंटिंग, दस्तावेज, आदि), मंदिर और महल हैं। जोधपुर पर हमला करने वाली सेनाओं द्वारा गर्म कैनन बॉल के निशान अभी भी दूसरे द्वार पर देखे जा सकते हैं। कुल मिलाकर, इस जगह में सात द्वार हैं, जो अपने अद्वितीय ऐतिहासिक महत्व के लिए जाने जाते हैं।
कुंभलगढ़ किला
भारतीय नायक, महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है कुंभलगढ़ किला जो सबसे महत्वपूर्ण राजस्थान महलों और किलों में से एक होने के लिए जाना जाता है। जनता के लिए खुला यह किला अपने खूबसूरत लाइट शो के लिए जाना जाता है जो हर शाम थोड़ी देर के लिए लोगों के लिए पेश किया जाता है। समुद्र तल से 1100 मीटर ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित, इस किले में सात गढ़वाले प्रवेश द्वार हैं और भीतर तीन सौ साठ से अधिक मंदिर हैं। इनमें से तीन सौ मंदिर जैन वंश के हैं, बाकी साठ हिंदुओं के लिए हैं। थार मरुस्थल के रेत के टीलों के कारण यह स्थान आश्चर्यजनक रूप से आकर्षक प्रतीत होता है। कुंभ वंश द्वारा निर्मित, किले में बड़े पैमाने पर सुंदर द्वार हैं, जिनमें से एक को हनुमान पोल कहा जाता है, जो भगवान हनुमान की छवि को स्थापित करता है। इसमें तीन महल भी हैं जिन्हें कुंभ पैलेस, महाराणा प्रताप का जन्म स्थान और बादल महल के नाम से जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ किला
180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित और 700 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें जिसमें पोल नामक सात बड़े प्रवेश द्वार हैं। इसे अक्सर वाटर फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि किले के अंदर लगभग 22 जलाशय हैं। दिलचस्प बात यह है कि चित्तौड़गढ़ का किला तीन बार नष्ट किया जा चुका है और तीन शासकों अलाउद्दीन खिलजी, बहादुर शाह और महाराणा उदय सिंह के शासन का गवाह बना है। चित्तौड़गढ़ किले की मुख्य विशेषताएं कीर्ति स्तम्भ, विजय स्तम्भ, पद्मिनी का महल, गौमुख जलाशय, फतेह प्रकाश पैलेस, राणा कुंभ पैलेस, मीरा मंदिर और वार्षिक जौहर मेला है।
जैसलमेर किला
भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। जैसलमेर किला 1156 ईस्वी में राजा रावल जैसल द्वारा बनाया गया था। जैसलमेर के सुनहरे रेगिस्तान के साथ इसे अक्सर सोनार किला या स्वर्ण किले के रूप में माना जाता है। यह किला शहर से 76 मीटर ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है। जैसलमेर किले की मुख्य विशेषताएं चार भव्य प्रवेश द्वार, रॉयल पैलेस, लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैसलमेर किला पैलेस संग्रहालय और विरासत केंद्र और व्यापारियों के महल हैं।
जूनागढ़ किला
मूल रूप से चिंतामणि के नाम से जाना जाने वाला यह किला अब जूनागढ़ किले या पुराने किले के रूप में जाना जाता है। यह उन कुछ किलों में से एक है जो किसी पहाड़ी की चोटी पर नहीं बने हैं और आधुनिक शहर बीकानेर में स्थित हैं। 1571 से 1611 ईस्वी तक निर्मित, यह किला पुराने किले के अवशेषों से बनाया गया है, जिसके कुछ अवशेष अब निकट स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में देखे जा सकते हैं। महलों, मंडपों के साथ-साथ मंदिरों से सुसज्जित, इस किले की इमारतें मिश्रित संस्कृति का एक उदाहरण हैं और इसमें फ़ारसी और राजस्थान की स्थापत्य शैली का मिश्रण देखा जा सकता है। किले में एक चतुर्भुज लेआउट है, जिसमें किले की दीवारें 4.4 मीटर लंबी हैं। किले में सात महल हैं और वर्तमान में एक किला संग्रहालय है जो संस्कृत भाषा और फारसी भाषा की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है।
तारागढ़ किला
राजस्थान में सबसे अच्छे किलों में गिना जाता है। तारागढ़ किला अजमेर में मुगल शासन के दौरान सैन्य गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करता था।यह किला अपनी सुरंगों के लिए जाना जाता था जो उस पूरी पहाड़ी से होकर गुजरती थी जिस पर वह बना हुआ है। 1354 ईस्वी में निर्मित किला क्षेत्र का एक प्रभावशाली मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके तीन मुख्य द्वार गगुड़ी की फाटक, लक्ष्मी पोल और फूटा दरवाजा है। किले की मुख्य विशेषताएं प्रवेश द्वार, क्षेत्र का प्रभावशाली दृश्य, सुरंगें, चट्टान को काटकर बनाए गए जलाशय, रानी महल और मीरान साहब की दरगाह है।
नीमराना फोर्ट
नीमराना किला राजस्थान के अलवर जिले के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। हालांकि, अलवर जिले में नीमराना नाम का एक पूरा शहर मौजूद हैं, जो दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर दिल्ली से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां घूमने के लिए काफी कुछ है लेकिन आप नीमराना फोर्ट देखने जा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण 15 वीं शताब्दी 1464 में इस किले का निर्माण किया गया था। यह किला लगभग 10 मंजिला बना हुआ है, जिसके अंदर कई कमरे हैं। इस किले की संरचना खूबसूरत लाल पत्थरों से बनाई गई है। साथ ही, इस किले की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, किले की दीवारों को कई खूबसूरत डिजाइन और शिलालेखों से सजाया गया है। इस किले के अंदर आपको कई रहस्मय गतिविधियों को करने का मौका मिलेगा। अगर आप इतिहास को जानने में रुचि रखते हैं, तो इस किले को एक्सप्लोर करना आपके लिए बेस्ट रहेगा।