मेडिटेशन के लिए बेस्ट हैं देश के ये 8 आश्रम, कुछ दिन जरूर बिताएं यहां समय

वर्तमान समय का जीवन बेहद भागदौड़ वाला हैं जहां काम के दबाव और जिम्मेदारियों के बोझ में इंसान खुद को समय ही नहीं दे पाता हैं और मन में कई तरह की उथल-पुथल चलती रहती हैं जो तनाव और अवसाद का कारण बनती हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए हमेशा मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती हैं ताकि मन शांत रहे। कई रिसर्च में सामने आया हैं कि जिस इंसान का मन शांत नहीं रहता है उसका मन किसी चीज में नहीं लगता है और वह किसी भी काम को अच्छे से नहीं कर पाता है। ऐसे में आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे आश्रम की जानकारी देने जा रहे हैं जहां आपको कुछ दिन तो जरूर गुजारने चाहिए जो कि मेडिटेशन के लिए बेस्ट जगहें हैं। इन जगहों पर मानसिक और आत्मिक शांति का अनोखा अनुभव प्राप्त होता हैं। तो आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

ईशा फाउंडेशन

तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन की सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में स्थापना की थी। ईशा फाउंडेशन में योग और मेडिटेशन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलता है। यहां पर 3 से 7 दिन तक होने वाले ईसा योग से आंतरिक खुशी और आंतरिक ऊर्जा के बढ़ाने की तकनीक बताई जाती है।

माता अमृतामयी आश्रम

माता अमृतानंदमयी देवी भारत की एक आध्यात्मिक गुरू हैं, जिन्हें उनके अनुयायी 'अम्मा' कहना ज्यादा पसंद करते हैं। माता अमृतामयी को उनकी मानवतावादी विचारधारा के लिए पूरे विश्व भर में काफी सम्मान दिया जाता है। उन्हें 'प्रेम से गले लगने वाली संत' भी कहा जाता है। माता अमृतामयी का उद्देश्य दूसरों के जीवन से कष्टों को दूर करना है, जिन्हें वो खुद के आंसू पोंछने जैसा समझती हैं। अम्मा दूसरों की शांति में ही अपनी शांति समझती हैं। केरल के कोल्लम में अम्मा का एक आश्रम भी है। जहां 20 मिनट का अमृता ध्यान करवाया जाता है। आश्रम की दिनचर्या पूर्ण रूप से आध्यात्मिक है, जहां सुबह से ही योग, प्राथना, ध्यान व अन्य आध्यात्मिक गतिविधियां शुरु हो जाती हैं।

अरबिंदो आश्रम

पांडिचेरी में 1926 में श्री अरबिंदो और मदर के नाम से जानी जाने वाली फ्रांसीसी महिला ने अरबिंदो आश्रम की नींव रखी। अगर आप शांति के माहौल में जाना चाहते हैं तो यह आश्रम अच्छा विकल्प है। यहां पर काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस आश्रम में बने 80 विभागों में आप अपना सबसे बेहतर समय बिता सकते हैं।

तिरुवन्नामलई

यह स्थान तमिलनाड़ू के चैन्नई में है। यह एक आध्यात्मिक स्थान है। जहां श्री रामन्ना आश्रम है। यहां हिंदू तीर्थयात्री बड़ी संख्या में आते हैं और अरुणाचलेश्वर मंदिर में अपनी मनोकामना को पूरी होने के लिए मुराद मांगते हैं। कहते हैं यह धरती की सबसे शांत जगह है। यहां कई तीर्थ यात्री योग और ध्यान के लिए आते हैं।

आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम की शांति

बेंगलुरु का आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम अपने आप मेडिटेशन का हब है। यहां लोग आते ही मेडिटेशन और मानसिक सुख-शांति के लिए हैं। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा बनाई गई एक गैर लाभकारी संस्था है। जिसकी स्थापना 1982 में की गई थी। आर्ट ऑफ लिविंग की शाखाएं विश्व के 156 देशों में मौजूद है, जिसे सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था का दर्जा प्राप्त है। मानवतावादी विचारों पर आधारित यह संस्था लंबे समय से इंसान को बेहतर बनाने के प्रयास में लगी है। यहां योग प्राणायाम, तनाव मुक्त व ध्यान संबंधी कई सत्रों का आयोजन किया जाता है, जिससे की इंसान एक स्वस्थ जीवन जी सके। यह संस्था समय-समय पर सार्वजनिक कार्यों में भी हिस्सा लेती है, जिससे आम इंसान अपनी जिम्मेदारियों को समझ जागरूक बन सकें। श्री श्री रविशंकर के निर्देशन में यह संस्था कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन भी आयोजित कराती है जिसमें विश्व के कई छोटे-बड़े देश हिस्सा लेते हैं। इस संस्था का मुख्यालय बेंगलुरु स्थित उदरपुरा में है।

रामकृष्ण मिशन

स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की कोलकाता के निकट बेलुड़ में सन 1897 में स्थापना की थी। इस मिशन की स्थापना के उद्देश्य वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार करना है। रामकृष्ण मिशन स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं के आधार पर काम करता है। यहां पर सभी धर्मों को मान्यता दी जाती है और सम्मान दिया जाता है।

ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट, पुणे

इस रिसॉर्ट के नाम में ही मेडिटेशन है। यहां बुद्ध की शिक्षाओं को मेडिटेशन के साथ मिलाकर ग्रहण करना लाइफ चेंजिंग मूमेंट हो सकता है। 'ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट' महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित है। जिसकी स्थापना आध्यात्मिक गुरू ओशो ने 1974 में की थी। ओशो का यह आश्रम भारत के बाकी आश्रमों से काफी अलग है। ओशो के खुले विचारों के कारण यह भारत का सबसे विवादित आश्रम माना जाता है। दरअसल रजनीश/ओशो के विचार बहुत से धार्मिक गुरुओं द्वारा नकारे गए और अब तक नकारे जाते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह संभोग को साधना से जोड़ना रहा। ओशो का मानना है कि संभोग इंसान की सबसे बड़ी इच्छा है, इसे पाने वाला अपार मानसिक शांति का अनुभव करता है, जबकि इसे ना पाने वाला इंसान विकृत मानसिकता को अपने अंदर जन्म दे बैठता है।

तुशिता ध्यान केंद्र, धर्मशाला

तुशिता ध्यान केंद्र, बौद्ध धर्म (तिब्बती महायान परंपरा) के अध्ययन और अभ्यास के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। यह आश्रम सचमुच में हिमाचल प्रदेश के शहर मैकलॉडगंज, धर्मशाला (14वें परमपूज्य दलाई लामा की निर्वासित गद्दी) में पहाड़ों के ऊपर स्थित है। यह केंद्र आध्यात्मिकता के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करता है। तुशिता ‘महायान’ ध्यान केंद्र एक साधारण जीवन और मौन पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रमुख उपादान है। यह सभी जाति और पृष्ठभूमि वाले लोगों को बुद्ध की शिक्षाओं को सीखने और उनका पालन करने के लिए एक घरेलू, अनुकूल और अनुशासित वातावरण प्रदान करता है।