पुराणों में मिलता हैं इन 5 नदियों का वर्णन, रखती हैं अपना धार्मिक महत्व

भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक अदभुत संस्कृति ने जन्म लिया, जहाँ साहित्यिक धरोहरों का अवतरण हुआ। जहां कण-कण में भगवान बसे हुए हैं। यहां जल को भी देवता की तरह पूजते हैं। जबकि जल को अपने भीतर समेटने वाली नदियों को देवी का दर्जा दिया गया हैं। भारत की इन नदियों का महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है क्योंकि इनकी चर्चा वेदों और पुराणों में होने के साथ-साथ भारत के कई त्योहारों का आधार भी ये नदियाँ ही हैं।हम आपको 5 ऐसी नदियों के बारे में बताएंगे जो भारत में धार्मिक महत्व रखती हैं।

ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी का धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्त्व है। इस नदी का नाम ब्रह्म देव के नाम पर रखा गया था। जिसका मतलब है ब्रह्म का पुत्र। इसकी भी कुल लंबाई 2900 किलोमीटर हैं।

गंगा नदी

भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्र प्रयाग के निकट गंगोत्री हिमनद से गोमुख नामक स्थान से अवतरित होने वाली गंगा अपनी 2525 किमी अर्थात 1569 मील की यात्रा को अलकनन्दा के नाम से प्रारंभ करके पद्मा के रूप में पूर्ण करती है। गंगा का चरम महत्व हरिद्वार, प्रयाग और काशी में देखा जा सकता है।

गोदावरी नदी

गोदावरी नदी की कुल लंबाई 1450 किलोमीटर हैं। गोदावरी नदी का नाम गोदावरी तेलुगु भाषा के ''गोद'' शब्द से रखा गया हैं। जिसका मतलब होता है मर्यादा।

यमुना नदी

भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले के बंदरपूंछ चोटी नामक स्थान के यमुनोत्री से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तक की 1376 किमी अर्थात् 855 मील की यात्रा करते हुए गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी सहायक सर्वप्रमुख नदियां हिंडन, शारदा, चम्बल, वेतवा, केन आदि हैं।

नर्मदा नदी

नर्मदा नदी भारत की काफी अहम नदियों में से एक हैं। लेकिन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इसका काफी महत्त्व है। पवित्र गंगा नदी के तहत ही नर्मदा नदी का भी धार्मिक महत्त्व हैं। इसकी कुल लंबाई 1290 किलोमीटर हैं।