भारत की ये 5 बावड़ियां बनती हैं आकर्षण का केंद्र, पर्यटन के लिए बेहतरीन

हजारों वर्ग किलोमीटर में फैले भारत देश में कई तरह की भौगोलिक असमानतायें हैं। कहीं हिमनद हैं तो कहीं मीलों तक रेत का विशाल समंदर है। कहीं समंदर हैं तो कहीं ऊंचे ऊंचे पहाड़ हैं। पुराने जमाने में शासक अपनी प्रजा का विशेष ध्यान रखा करते थे। राहगीरों को कोई असुविधा न हो इसलिए जगह जगह पानी पिलाने का प्रबंध किया जाता था इसके लिए कुए खुदवाए जाते थे या बावड़ियां बनवाई जाती थी। बावड़ी कुए की तरह ही पानी का स्त्रोत होता है बस उसमे सीढियों द्वारा नीचे जाने की भी व्यवस्था होती है। समय के साथ इन बावडियों में कलात्मक काम किया जाने लगा। भारत में आज भी कई बावड़ियां हैं जो समय के साथ आकर्षण का केंद्र बनती जा रहीं हैं। आइये जानते हैं भारत की पांच प्रसिध्द बावड़ियों के बारे में...

चांद बावड़ी

जयपुर से 90 किलोमीटर दूर दौसा जिले में स्थित यह बावड़ी नवीं सदी में बनवाई गई थी। इस बावड़ी में कई सीढियां हैं जो सुंदर तो लगती है हैं साथ ही भूल भलैय्या जैसा भ्रम भी पैदा करती हैं। कहते हैं कि यहाँ जिस सीढ़ी से उतरते हैं उसस नहीं चढ़ा जा सकता है। बावड़ी के सामने ही हर्षद माता का मंदिर है।

रानी जी की बावड़ी

यह बावड़ी राजस्थान के बूंदी जिले में है।इसे रानी नाथवती जी ने बनवाया था। इस बावड़ी में बहुत ही सुंदर काम किया गया है।

अग्रसेन की बावड़ी

महाभारत कालीन इस बावड़ी की मरम्मत अग्रवाल समाज द्वारा की गई थी इस कारण इसका नाम अग्रसेन की बावड़ी पड़ा है। यह बावड़ी दिल्ली के प्रमुख पुरातत्व के स्थानों में शामिल है।

सूर्य कुंड

गुजरात के मोधेरा में सूर्य मंदिर के समीप ही यह बावड़ी है। इस बावड़ी को सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था।

रानी की वाव

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित यह बावड़ी अहमदाबाद के पास स्थित है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी करेंसी नोट पर भी इसे दिखाया गया है।