World Cancer Day 2022: किचन में है कैंसर पैदा करने वाली ये 8 चीजें, जानें और इनसे बनाए दूरी

हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) मनाया जाता है। कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए साल 1933 में इसकी शुरुआत हुई थी। कैंसर से लड़ने के लिए देश और दुनिया भर में कई कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रोग का पता शुरुआती चरणों में ही लगा लिया जाए तो कैंसर मरीज की जान बचाई जा सकती है। विश्व कैंसर अनुसंधान के मुताबिक, रोजमर्रा खाए जाने वाले कुछ ऐसे फूड्स हैं, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हमारे किचन में कई सारी ऐसी चीजें हर समय मौजूद रहती हैं जो हमें कैंसर का शिकार बना सकती हैं। इनके बारे में जानकारी जरूरी है। यहां जानिए कौन सी हैं ये चीजें...

मैदा

मैदे में सफेदी ब्लीच की प्रक्रिया के कारण आती है। यह ब्लीच क्लोरीन गैस से की जाती है। इसी ब्लीच का इस्तेमाल तरल रूप में कपड़ों के लिए भी किया जाता है। इससे इस सफेद आटे में से सारा पोषण धुल जाते है। इसके साथ ही मैदे में शुगर की अधिक मात्रा होती है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाती है।

नमकीन स्नैक

बहुत ज्यादा नमक वाले स्नैक जैसे आलू के चिप्‍स खाने से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व मौजूद होते हैं। निर्माता चिप्स को कुरकुरा बनाए रखने के लिए इसमें एक्रिलामाइड मिलाते हैं जो एक कार्सिनोजेनिक रसायन है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक एक्रिलामाइड कैंसर पैदा करने वाली चीज मानी जाती है। कार्सिनोजेनिक रसायन सिगरेट में भी पाया जाता है।

माइक्रोवेव पॉपकॉर्न

माइक्रोवेव बैग में पॉपकॉर्न तैयार कैंसर का कारण बन सकता है। वह PFOA नामक एक उत्पाद के साथ मिला होता है, जो अग्न्याशय, गुर्दे, लिवर और मूत्राशय के कैंसर के पीछे का कारण बन सकता ई। जब आप बैग में मकई पकाते हैं, तो PFOA मक्खन में मौजूद कृत्रिम ट्रांस फैट के साथ-साथ पॉपकॉर्न को कोट करता है। पॉपकॉर्न एक हेल्‍दी स्नैक है, लेकिन केवल तभी तक जब इसे गैस स्टोव या चूल्हे पर तैयार किया गया हो।

वेजिटेबल ऑयल

कुकिंग ऑयल चुनते वक्त काफी सतर्क रहने की जरूरत है। बहुत कम लोग जानते हैं कि ऑयल से जुड़ा एक गलत चुनाव कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। वेजिटेबल या रिफाइंड ऑयल को हेल्दी कहा जाता है। फैट फ्री और कॉलेस्‍ट्रॉल फ्री के नाम पर लोगों को उन्हें खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और लोग बिना कुछ सोचे-विचारे खरीद भी लेते हैं। वेजिटेबल ऑयल में ट्रांस फैट होता है और जब इसे हाइड्रोजेनेशन किया जाता है, तो ट्रांस फैट की मात्रा काफी बढ़ जाती है। हाइड्रोजेनेशन एक प्रक्रिया है, जिसमें वनस्पति तेल से वनस्पति घी बनाया जाता है।

ट्रांस फैट हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर इससे धमनियां ब्लॉक होती हैं और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, ट्रांस फैट दो प्रकार के कैंसर का कारण भी बन सकता है। पहला, प्रोटेस्ट कैंसर और दूसरा है बच्चेदानी का कैंसर (Endometrial Cencer)। यह मोटापे की समस्या को जन्म देता है। खासकर, सेंट्रल ओबेसिटी जिसमें पेट और उसके आसपास चर्बी बढ़ जाती है। सेंट्रल ओबेसिटी से हार्ट अटैक, डायबिटीज के साथ-साथ कैंसर का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स

कोका कोला, पेप्सी और अन्य कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में ना सिर्फ अत्यधिक शुगर होती है बल्कि बहुत सारा सोडियम भी होता है। इसके अलावा डायट सॉफ्टड्रिंक्स और भी हानिकारक होती हैं क्योंकि उनमें कृत्रिम स्वीटनर के इस्तेमाल के कारण सोडियम की मात्रा और भी ज्यादा होती है। जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाती है। इसमें पोषक तत्‍वों का नामों निशान तक नहीं होता। कृत्रिम रसायनों और रंगों की उपस्थिति इसे जानलेवा बनाते हैं।

नॉन ऑर्गेनिक फल

लंबे समय से कोल्डस्टोरेज में रखे नॉन ऑर्गेनिक फलों पर लाख सफाई के बावजूद केमिकल की परत चढ़ी ही रहती है। इसकी वजह से कैंसर होता है। आम, केला, सेव जैसे फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड (सीएसी२) का इस्तेमाल किया जाता है। - कैल्शियम कार्बाइड से कैंसर होने का खतरा रहता है। न्यूकासल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के मुताबिक इस तरह के फलों के नियमित इस्तेमाल से कैंसर का खतरा रहता है।

रेड मीट

हल्की फुल्की मात्रा में रेड मीट का सेवन नुकसानदेह नहीं है, लेकिन उसकी अति नुकसान पहुंचाती है। वैज्ञानिकों का कहना है, रेड मीट में नाइट्रेट जैसे केमिकल पाए जाते हैं, जो कैंसर की वजह बन सकते हैं। इससे पहले भी रिसर्च में साबित हो चुका है कि स्मोकिंग की आदत और अल्ट्रावायलेट किरणें इंसान के जीन पर बुरा असर डालती हैं। नतीजा, कैंसर का खतरा बढ़ता है। कोशिकाएं कंट्रोल से बाहर होने लगती हैं और अपनी संख्या को बढ़ाती हैं।

प्रोसेस्ड मीट

सॉसेज और कॉर्न्ड बीफ जैसी चीजें खाने में बेशक लजीज होती हैं लेकिन इनमें नमक और प्रिजर्वेटिव की बड़ी मात्रा होती है। प्रोसेस्ड या संसाधित मीट को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाने वाला सोडियम नाइट्राइट कैंसर पैदा कर सकता है।