हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत 1933 से हुई थी। कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए इस इस दिन को मनाना शुरू किया था। कैंसर से लड़ने के लिए देश और दुनिया भर में कई कदम उठाए जा रहे हैं।
दुनियाभर में पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां हालात दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा चिंताजनक है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, साल दर साल जिस तरह से कैंसर के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है, ऐसे में आशंका है कि साल 2025 तक भारत में मामले 13.9 लाख से बढ़कर 15.7 लाख से अधिक हो सकता है।
कैंसर रोग विशेषज्ञों की मानें तो इस रोग के शिकार लोगों की जान बचाई जा सकती है, अगर रोग का पता शुरुआती चरणों में ही लगा लिया जाए। पर समस्या यही है कि ज्यादातर लोगों में इसका निदान ही आखिरी चरणों में हो पाता है। यही कारण है कि सभी लोगों को कैंसर के लक्षण और इससे बचाव के उपायों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
विश्व कैंसर अनुसंधान के मुताबिक, रोजमर्रा खाए जाने वाले कुछ ऐसे फूड्स हैं, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अगर इन खाद्य पदार्थों का सेवन करना बंद कर दिया जाए तो कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। ऐसे में अगर आप भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचे रहना चाहते है तो नीचे बताए हुए फूड्स को खाना आज ही बंद कर दें।
तला हुआ खाना (Fried Foods)आज की युवा पीड़ी और बच्चों में तली-भुनी चीजों को खाने का चलने तेजी से बढ़ा है। तले हुए खाने को तलने के लिए तेल को तेज आंच पर गर्म किया जाता है। शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि जब हम फूड को बहुत ज्यादा देर तक फ्राइड, रोस्ट या ग्रिल करते हैं तो एक्रिलामाइड पदार्थ प्रोड्यूस होता है, जो कि पहले की रिसर्च में कैंसर का कारक माना जा चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जानवरों पर हुई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि एक्रिलामाइड पदार्थ से शरीर में कैंसर के सेल्स पनपने लगते हैं। रिसर्च के मुताबिक, एक्रिलामाइड यौगिक डीएनए को नुकसान पहुंचाता है, जिससे बीमारियां होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जिनमें कैंसर भी एक हो सकता है। अगर आप ज्यादा तली भुनी चीजें खा रहे हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि आगे चलकर आपको इसके कई खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि फ्राइड फूड खाने से टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे का खतरा भी बढ़ जाता है। ये स्थितियां तनाव और शरीर में सूजन को बढ़ा सकती हैं, जिससे कैंसर का खतरा और अधिक बढ़ सकता है।
अधिक पका हुआ खाना या तेज आंच पर पका हुआ खाना (Overcooked Food)भारतीय घरों में खाना को अधिक पकाने की आदत है, जिससे उस खाने से उसके सारे विटामिन और मिनरल नष्ट हो जाते हैं। लेकिन वहीं कुछ लोग खाने को तेज आंच पर या फिर सीधे आग में पकाते हैं और फिर उनका सेवन करते हैं। ऐसा खाना खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है, कि तेज आंच पर खाना पकाने पर उसमें जहरीले रसायन रह जाते हैं जो हृदय के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
2020 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, तेज आंच में नॉनवेज को पकाने से कई ऐसे कंपाउंड बनने लगते हैं, जो कोशिकाओं के डीएनए को बदल देते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ा देते है। भोजन को 150 सेंटीग्रेट से अधिक तापमान पर गर्म करने से उनकी रासायनिक संरचना में बदलाव होता है, जो जहरीले पदार्थों का गठन करता है। इसमें ट्रांस फैटी एसिड भी शामिल है जो बेहद हानिकारक है। इसलिए तेज आंच में सीधे खाना पकाने की जगह प्रेशर कुकर का प्रयोग करें। इसके अलावा हल्की आंच पर रोस्ट या बेक कर सकते हैं।
चीनी वाले और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट (Sugar and refined carbohydrates)मीठे और रिफाइंड फूड प्रोडक्ट अप्रत्यक्ष रूप से कैंसर के खतरे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों में चीनी वाली ड्रिंक, बेक्ड फूड, व्हाइट पास्ता, व्हाइट ब्रेड, व्हाइट राइस आदि शामिल हैं। इसके अलावा स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ खाने से डायबिटीज और मोटापे का खतरा भी अधिक बढ़ सकता है। 2020 की एक स्टडी के मुताबिक, डायबिटीज और मोटापे जैसे स्थितियों से भी कुछ तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
2019 के रिव्यू के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज से ओवरी, स्तन और गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ गया था। चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाले उत्पादों में चीनी की मात्रा भी काफी अधिक होती है, जो कि मलाशय के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है। इसलिए ऐसे फूड्स को भी खाने से बचें।
कार्बोहाइड्रेट के अत्यधिक सेवन से होने वाले रोगों में उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक और कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट शामिल करना शरीर के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे टाइप 2 डायबिटीज, वजन बढ़ना और यहां तक कि दिल की बीमारी भी हो सकती है।
शराब (Alcohol)शराब का सेवन करने से लिवर अल्कोहल को एसिटालडिहाइड, एक कार्सिनोजेनिक यौगिक में तोड़ देता है। जिससे डीएनए को नुकसान होता है और इम्यूनिटी फंक्शन में भी समस्या आने लगती है। इससे कुछ तरह के कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है। अमेरिकन सोसायटी ऑफ ऑनकोलॉजी (American Society of Clinical Oncology - ASCO) के एक्सपर्ट्स की मानें तो कम या जाता मात्रा में शराब पीने से अलग अलग तरह के कैंसर होने के चांस बढ़ जाते हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर से लेकर esophagus (भोजन नलिका) सिर और गर्दन का कैंसर भी शामिल है। शराब पीने से सिर्फ कैंसर ही नहीं होता बल्कि alcoholic Cirrhosis भी हो जाता है। यह तब होता है जब आदमी लगातार शराब पीता है। इस स्टेज में लीवर कभी नॉर्मल स्थिति में नहीं पहुंच पाता। इसकी शुरुआत fatty liver disease से होती है जो बाद में alcoholic hepatitis से होते हुए alcoholic cirrhosis तक पहुंच जाती है। शराब पीने से शरीर को अन्य कई नुकसान भी होते हैं, इसलिए इसका सेवन भी नहीं करना चाहिए।
प्रोसेस्ड मीट (Processed meat)प्रोसेस्ड मीट बनाने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है, वे कैंसर पैदा कर सकने वाले तत्व यानी कार्सिनोजेन्स बना सकते हैं। इसलिए प्रोसेस्ड मीट के सेवन से बचना चाहिए। एक स्टडी के हवाले से बताया गया है, प्रतिदिन 50 ग्राम प्रोसेस्ड मांस खाने से आंत के कैंसर का खतरा 18% बढ़ जाता है। प्रोसेस्ड और रेड मीट के साथ पेट, प्रोस्टेट और पेनक्रियास के कैंसर का भी संबंध है लेकिन सबसे अधिक खतरा आंत के कैंसर का है।
मांस को बहुत ज्यादा तापमान पर पकाने से पोलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन्स और हेट्रोसाइक्लिक एमिन्स पैदा होते हैं। ये दोनों तत्व डीएनए में परिवर्तन करते हैं। इससे गड़बड़ी होती है। येल यूनिवर्सिटी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ। डेविड केट्ज कहते हैं, डीएनए को क्षति पहुंचने से कैंंसर होता है। प्रोसेस्ड मांस के मामले में सबसे बड़ा खतरा सोडियम नाइट्रेटस से है। फूड को सुरक्षित रखने के लिए इन्हें मिलाया जाता है। ये शरीर में प्रवेश करते ही कैंसर पैदा करने वाले केमिकल कंपाउंड नाइट्रोसेमाइन्स बनाते हैं।
नई स्टडी में मांस की व्यापक श्रेणियां बताई गई हैं। हर तरह के स्तनधारी प्राणियों जैसे बीफ (गाय, बैल, भैंस), बछड़ा, सुअर, बकरा,घोड़ा, भेड़ का मांस रेड मीट है। प्रोसेस्ड ऐसा मांस है जिसका जायका बेहतर बनाने या सुरक्षित रखने के लिए उसमें नमक, नाइट्रेट, नाइट्राइट मिलाया गया हो। फर्मेंटेशन किया गया हो। कई तरह के प्रोसेस्ड मांस में नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स होते हैं। ये सिंथेटिक या प्राकृतिक स्रोतों से बने नमक हैं। इन्हे मांस को सुरक्षित रखने के लिए मिलाया जाता है। नाइट्रेट्स शरीर में नाइट्राइट्स में बदलते हैं। वे मांस में मौजूद एमिन्स के साथ प्रतिक्रिया कर डीएनए को क्षतिग्रस्त करने वाले कार्सिनोजेनिक (कैंसर जनक) कंपाउंड बनाते हैं।