मातृत्व की क्षमता यानी फर्टिलिटी वह स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसके जरिए महिला का शरीर गर्भ धारण करता है और बच्चे को जन्म देने में सक्षम बनता है। इस क्षमता को उम्र, वंशानुगत कारण और कई मेडिकल स्थितियां प्रभावित करती हैं। कुछ कारण हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं, मगर कई जीवनशैली से जुड़े ऐसे कारक भी हैं जिन्हें बदलकर बांझपन के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इनफर्टिलिटी वह अवस्था है जब एक वर्ष तक नियमित व बिना किसी सुरक्षा के शारीरिक संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण न हो पाए। ज्यादातर मामलों में कोई खास लक्षण भी नजर नहीं आते। हालांकि, आज हार्मोन ट्रीटमेंट, IVF जैसे उपचार मौजूद हैं, फिर भी बेहतर यही है कि उन कारणों से दूरी बनाई जाए, जो गर्भधारण की राह में रोड़ा डालते हैं।
किन वजहों से महिलाओं की फर्टिलिटी पर गिरता है प्रभावमहिलाओं में गर्भधारण की क्षमता कई कारणों से प्रभावित होती है, जिनमें से प्रमुख हैं—
1. बढ़ती उम्र35 वर्ष के बाद अंडों की गुणवत्ता और संख्या दोनों तेजी से कम होने लगती हैं।
2. धूम्रपानस्मोकिंग फर्टिलिटी पर गहरा प्रहार करती है और गर्भपात की संभावना को कई गुना बढ़ा देती है।
3. बढ़ता वजनमोटापा हार्मोनल असंतुलन को जन्म देता है, जिससे ओव्यूलेशन में बाधा आती है और गर्भधारण कठिन हो जाता है।
4. शराब सेवननियमित अल्कोहल सेवन महिला की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल असर डालता है।
5. गलत खानपानजरूरी पोषक तत्वों की कमी और अनियमित खाने की आदतें भी फर्टिलिटी को कमजोर करती हैं।
6. तनावमानसिक और शारीरिक दबाव, दोनों ही गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
फास्ट फूड: महिलाओं की फर्टिलिटी का छुपा दुश्मनऊपर बताए गए कारकों को देखकर यह स्पष्ट समझ आता है कि फास्ट फूड महिलाओं की प्रजनन क्षमता को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। लगातार बाहर का तला-भुना, अत्यधिक वसा और चीनी युक्त भोजन न सिर्फ वजन बढ़ाता है, बल्कि शरीर को आवश्यक न्यूट्रिशन से भी वंचित करता है। अडिलेड यूनिवर्सिटी द्वारा 5600 महिलाओं पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जो महिलाएं सप्ताह में कई बार फास्ट फूड खाती थीं, उनमें बांझपन का खतरा 8% से बढ़कर 16% तक पहुंच गया। यानी गर्भ ठहरने में अधिक समय लगता है और शरीर अंदर से कमजोर होता चला जाता है।
गर्भावस्था के दौरान फास्ट फूड खाने के जोखिमप्रेग्नेंसी के बाद भी यह आदत कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती है, जैसे—
- बच्चे में जेनेटिक डिसऑर्डर का बढ़ा खतरा
- प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना
- जन्म दोष की आशंका
- मां का तेजी से बढ़ता वजन, जिससे मिसकैरेज का खतरा
- स्टिलबर्थ के बढ़े हुए मामले
- बच्चे में एलर्जी और अस्थमा
- गेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम कई गुना बढ़ना
प्रोसेस्ड मीट भी बन सकता है बाधासॉसेज, बेकन, हॉट डॉग जैसे पैक्ड और प्रोसेस्ड मांस उत्पाद महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों की फर्टिलिटी को भी प्रभावित करते हैं। गर्भधारण की कोशिश कर रही महिलाओं को इन्हें पूरी तरह छोड़ने की सलाह दी जाती है। इन उत्पादों में न सिर्फ हानिकारक संतृप्त वसा होती है, बल्कि नाइट्रेट व नाइट्राइट जैसे केमिकल प्रिज़र्वेटिव भी मौजूद रहते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा कर प्रजनन क्षमता को कम करते हैं।