देश में कोरोना की तीसरी लहर के चलते कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर में यह देखा जा रहा है कि परिवार का एक सदस्य कोरोना पॉजिटिव होता है, साथ ही अन्य सदस्य को भी कोरोना के लक्षण होते हैं, लेकिन जब जांच कराने के लिए जाते है तो उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
सैंपल इकट्ठा करने में गलती?इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के डॉ विजय दत्ता ने कहा, 'एक परिवार में कुछ सदस्य आरटीपीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) में कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं। जबकि कुछ सदस्यों में लक्षण होने के बावजूद भी उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है, इसके पीछे एक वजह सैंपल इकट्ठा करने में गलती भी हो सकती है। अगर सही प्रक्रिया अपनाई जाती है। सैंपल सही से लिया जाता है। इसे 2-5 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखकर ले जाया जाए, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है।'
वीपी माइक्रोबायोलॉजिस्ट जेनेस्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक डॉ अल्पना राजदान के मुताबिक, 'अगर स्वाब ठीक से नहीं लिया गया या स्वाब टेस्ट के दौरान लिए गए सैंपल में पर्याप्त मात्रा में वायरल के पार्टिकल नहीं आए, तो टेस्ट निगेटिव आ जाता है।'
कब कराना चाहिए कोरोना टेस्ट?कोरोना के मामले में इन्क्यूबेशन काफी अहम है। वायरस के इन्क्यूबेशन का मतलब है, जब शरीर में वायरस जाता है, तो वह विकसित होने में कुछ समय लेता है। डॉ विजय दत्ता के मुताबिक, 'कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के निगेटिव आने की दूसरी वजह ये है कि जब आप आरटीपीसीआर उस वक्त कराते हैं, जब वायरस इन्क्यूबेशन की स्थिति में होता है, या शरीर में यह विकसित नहीं हो पाता, तो रिपोर्ट निगेटिव हो सकती है।'
आईएम कोच्चि केरल के कोविड टास्क फोर्स के क्लिनिकल रिसर्चर डॉ राजीव के मुताबिक, 'ओमिक्रॉन के मामले में वायरस के लक्षण दिखने में 3-6 दिन का समय लगता हैं। अगर लक्षण के पहले दिन आप कोरोना रिपोर्ट कराते हैं, तो रिपोर्ट निगेटिव आएगी।'
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इन्क्यूबेशन में ज्यादा समय भी लग सकता है। डॉ राजदान के मुताबिक, 'इन्क्यूबेशन का औसत समय 4-6 दिन है। इस दौरान वायरस शरीर में विकसित हो रहा होता है। भले ही पीसीआर तकनीक बेहद संवेदनशील है। फिर भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के लिए निश्चित सीमा में वायरल पार्टिकल का सैंपल में आना जरूरी है। लक्षण आने के 6 दिन बाद का समय जांच के लिए अहम है। हालांकि, इससे पहले भी कई लोग पॉजिटिव आ जाते हैं।'
डॉ राजीव के मुताबिक, 'ओमिक्रॉन में बड़ी संख्या में लोगों को लक्षण नहीं दिख रहे हैं। ILBS सीरीज के कोरोना मरीजों में 54-72% मरीजों में लक्षण नहीं हैं। ऐसे केस में हमें नहीं पता होता कि लक्षण का पहला दिन कब होता है। ऐसे में अगर इंफेक्टिव फेज निकल जाता है, तो कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है।'