शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन शराब को इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक साथ कई अंगों को नुकसान पहुंचाती है। इससे न केवल लिवर खराब होता है, इसका उल्टा असर दिमाग पर भी पड़ता है। एक शोध में सामने आया है कि शराब की एक घूंट महज 30 सेकंड में दिमाग तक अल्कोहल पहुंचाने के लिए काफी है। अल्कोहल दिमाग में पहुंच कर उन केमिकल्स और प्रोसेस को प्रभावित करता है, जो दिमाग से संदेश लेकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाता है। इसी के कारण दिमाग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है और इसका संतुलन गड़बड़ा जाता है। अगर किसी को शराब पीने से कोई शारीरिक परेशानी होती है तो वह शराब का सेव नबंद कर देता है। लेकिन अचानक से शराब का सेवन बंद करना क्या आपकी सेहत के लिए सही है या नहीं इसके बारे में आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताने जा रहे है।
अगर आप शराब को छोड़ना चाहते है तो यह अच्छी बात है लेकिन इससे पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरुर लें। दरअसल, अगर आप लंबे समय से शराब का सेवन कर रहे है और अचानक से इसे पीना छोड़ देंगे तो आपके शरीर का मैकेनिज्म बिगड़ सकता है। ऐसे में अगर शराब छोड़ने से पहले आप डॉक्टर से मिलेंगे तो वे आपको इसको छोड़ने का सही तरीका बताएंगे। अगर आप डॉक्टर की सलाह लेकर धीरे-धीरे शराब का सेवन बंद करते हैं तो मस्तिष्क में कैमिकल अच्छे से काम करेंगे और दिमाग भी शांत रहेगा। इसके अलावा शरीर में अधिक एनर्जी महसूस होगी, नींद अच्छे से आएगी, काम पर फोकस कर पाएंगे, स्किन अच्छी होगी, वजन कम होगा, डेली रूटीन के काम प्रभावित नहीं होंगे आदि। Dailystar के मुताबिक, जब आप अचानक से शराब का सेवन बंद कर देते हैं तो शरीर पर ये बुरे प्रभाव दिख सकते हैं।
- एंग्जाइटी
- डिप्रेशन
- फोकस ना कर पाना
- थकान
- घबराहट
- चिड़चिड़ापन
- कंपकंपी
- इमोशनल होना
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- सिर दर्द
- भूख में कमी
- पसीना आना
- हार्ट रेट तेज होना
- नींद ना आना
शराब छोड़ने के कितने समय बाद शरीर सामान्य होता है?रिपोर्ट के मुताबिक, आपकी उम्र, वजन और शराब पीने की हैबिट पर डिपेंड करेगा कि आपका शरीर कितनी जल्दी सही रिस्पांस करेगा। ज्यादातर मामलों में शराब से डिटॉक्स होने में शरीर को लगभग एक हफ्ते का समय लगता है। यदि आप काफी अधिक मात्रा में शराब पीते थे तो आपके शरीर को शराब छोड़ने के बाद नॉर्मल होने में कई महीने लग सकते हैं।
शराब पीने से होते हैं ये नुकसान- मतली और उल्टी
- सिर दर्द
- दस्त
- फोकस ना कर पाना
- निर्णय लेने में परेशानी
- कॉडिनेशन ना बना पाना
- बेहोशी
- मेमोरी लॉस
- दिल की बीमारी
- लिवर की बीमारी
- अग्न्याशय को नुकसान
- कैंसर (लिवर कैंसर, मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर आदि)
- इम्यूनिटी कमजोर होना
- डिप्रेशन
- नपुंसकता या शीघ्रपतन
- बांझपन