एलर्जी वास्तव में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ऐसा असर है जिसकी वजह से हमारे शरीर के संपर्क में आने वाले कुछ पदार्थों और रसायनों के प्रति संवेदनशीलता बहुत तेजी से दिखती है और कई बार इस संवेदनशीलता का असर काफी लंबे समय तक दिखाई देता है। जिस पदार्थ या रसायन की वजह से शरीर में एलर्जी होती है उसे एलर्जेन कहा जाता है और एलर्जेन्स कहीं भी पाए जा सकते हैं।
भोजन, पेय पदार्थों से लेकर पेड़- पौधों और यहां तक कि दवाओं में भी इन्हें देखा जा सकता है। ज्यादातर एलर्जेन हानिकारक नहीं होते या यह कहा जा सकता है कि अधिकांश लोगों को इनका असर नहीं होता है, लेकिन जिनका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील होता है, उनके लिए एलर्जी की समस्या बेहद घातक हो सकती है।
यदि आपका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील है तो इसका अर्थ यह है कि आपका
रोग प्रतिरोधक तंत्र किसी भी सामान्य एलर्जेन के आपके शरीर में प्रवेश के
बाद उसे घातक मान बैठता है और उस पर आक्रमण कर देता है, उसे तहस-नहस करना
चाहता है। इसी आक्रमण की वजह से शरीर पर लाल धब्बों, सूजन या चकतों का होना
दिखाई देता है।
दुनियाभर में लोगों में एलर्जी होना एक आम बात है।
माना जाता है कि लगभग 15-20 प्रतिशत लोग अपने जीवनकाल में किसी ना किसी
तरह की एलर्जी से ग्रस्त होते हैं या उन्हें इस एलर्जी के निवारण के इलाज
की जरूर पड़ती है। ऐसे में एलर्जी को और बेहतर समझना जरूरी है।
खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी
जीवन
के किसी ना किसी मोड़ पर हर किसी को खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी का
सामना करना पड़ता है। खाद्य पदार्थों को सूंघकर या सेवन करने के तुरंत बाद
शरीर में एलर्जी होते अक्सर देखा जाता है। खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद
शरीर में सूजन, त्वचा का रूखापन या दस्त जैसी समस्याएं एलर्जी होने को
दर्शाती हैं।
दूध से एलर्जी
कई लोगों को दूध से
एलर्जी होते देखा गया है। दूध सेवन के बाद कुछ लोगों को त्वचा पर लालपन या
चकते पड़ जाते हैं और ऐसे लोगों को दूध या दूध से बने किसी भी उत्पाद से दूर
रहने की सलाह दी जाती है। दूध की एलर्जी से कई बार उल्टियों और छींक का
होना भी देखा गया है।
अंडे से एलर्जी
अंडे से सफेद हिस्से के सेवन के बाद बच्चों में एलर्जी होते देखा जाता है, यद्यपि इस तरह की एलर्जी व्यस्कों में कम होती है।
गेहूं की एलर्जी
गेहूं
में पाए जाने वाले प्रोटीन की वजह से कई लोगों को एलर्जी होते देखा गया
है। ग्लुटेन नामक पदार्थ की उपस्थिति के कारण शरीर में दाद-खाज, पेट दर्द,
दस्त लगना, ब्रोंकोस्पास्म (अस्थमा के लक्षण) के अलावा एनाफायलेक्सिस जैसी
एलर्जी को भी होते देखा गया है।
मूंगफली की एलर्जी
जिन्हें
मूंगफली की एलर्जी हो उन्हें इसके तेल, उत्पादों और दानों से बने उत्पादों
से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। अक्सर मूंगफली के खाने के बाद शरीर पर
लाल, काले निशान बन आना और जी मिचलाने की शिकायत होना एलर्जी की ही निशानी
है।
सोय पदार्थों की एलर्जी
सोय पदार्थों से एलर्जी
का तात्पर्य सोयाबीन, सेम, चना, काली सेम, दलहन आदि से है। इनके बीजों के
सेवन के बाद अचानक दस्त होना, जी मिचलाना और आंखों में लालपन होना एलर्जी
की वजह से ही होता है।
मछली से एलर्जी
जो लोग भोजन में मछलियों का सेवन करते हैं, उन्हें
भी कई बार एलर्जी का सामना कर पड़ सकता है। शरीर पर किसी भी तरह के दानों
का अचानक उभरना, दस्त लगना, आंखों में लालपन और पानी का बहाव होना, मछलियों
से जु़ड़ी एलर्जी की समस्या के तरफ इशारा करती है।
मौसमी एलर्जी
बसंत
ऋतु के आते ही कई लोगों को एलर्जी होते देखा जाना आम होता है। इस मौसम में
पेड़ों पर नई पत्तियों और फूलों का लदना शुरु हो जाता है और ऐसे में फूलों
के परागकण हवाओं में तैरते रहते हैं और इन परागकणों के सम्पर्क में आकर कई
बार लोगों को एलर्जी हो जाती है और अलग अलग तरह की समस्याओं जैसे दमा,
खांसी, छींक और आंखों में लालपन से जूझना होता है। बसंत ऋतु में होने वाली
एलर्जी के लक्षण कई बार गर्मियों में भी होते दिखाई देते हैं।
सूर्य की किरणों से एलर्जी
सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों कें सम्पर्क में काफी देर तक रहने पर हमारी त्वचा पर एलर्जी होने की काफी गुंजाइश होती है।
कॉस्मेटिक एलर्जी
कॉस्मेटिक
हमारे सौंदर्य को निखारने का दावा जरूर करते हैं लेकिन कई बार इनके उपयोग
से लेने के देने भी पड़ जाते हैं। कॉस्मेटिक्स में इस्तेमाल होने वाले कई
रसायन, सुगंधित पदार्थ, प्रिजर्वेटिव्स एलर्जी के कारक बन जाते हैं।
दवाओं की एलर्जी
कई
रासायनिक और हर्बल दवाएं भी एलर्जी कर सकती हैं। कई बार दवाओं के शरीर में
पहुंचते ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इन दवाओं पर ही आक्रमण कर बैठती
है और ऐसे में एलर्जी हो जाती है।
धूल से एलर्जी
धूल से एलर्जी होने पर दमा, सांस लेने में तकलीफ और आंखों की जलन पैदा होती है और यह असर काफी लंबे समय तक रहता है।