शारीरिक रूप से सक्रिय रहना एक ऐसा रास्ता है, जिसके बलबूते शरीर व उसके जोड़े स्वस्थ रहते हैं और बेहतर तरीक़े से काम भी करते हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि हर रोज़ का तनाव और एक्सरसाइज़ करते समय लिया गया तनाव, आपके जॉइन्ट्स को आसानी से चोटिल कर सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि आप वर्कआउट करते समय सभी नियमों को ठीक से फ़ॉलो करें।
सही जूते पहनें
यह तो सब जानते ही हैं कि आपका वर्कआउट शूज़
सपोर्टिव और आरामदायक होना चाहिए। अगर आप कोई ऐसा जूते पहनते हैं, जो सही
नहीं हैं तो वह ना केवल आपके पैरों और एड़ियों को नुक़सान पहुंचाएंगे,
बल्कि आपके घुटनों और कूल्हों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एथलीट शूज़
दो प्रकार के होते हैं, एक स्टेबिलिटी के लिए डिज़ाइन किए होते हैं और
दूसरा सपोर्ट के लिए।
स्टेबिलिटी शूज़ में डेंस, कुशन्ड हील और
मिडसोल होता है, जिससे गति को कंट्रोल करने और ओवरप्रोनेशन को रोकने में
मदद मिलती है। प्रोनेशन पैरों का नैचुरल मूवमेंट है, यह तब होता है जब चलते
या दौड़ते समय हमारे पैर ज़मीन पर पड़ते हैं। सपोर्ट शूज़, जो ओवरप्रोनेशन
को ठीक किए बिना ही शॉक एब्ज़ॉर्प्शन और कुशनिंग इफ़ेक्ट देते हैं।
वर्कआउट
शूज़ लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि, आप किस तरह से चलते हैं, आपकी
वर्कआउट ऐक्टिविटीज़ कैसी हैं और आपको किस तरह का सपोर्ट चाहिए, ताकि आप
एक्सरसाइज़ करते समय अपने जॉइन्ट्स को भी शेफ़ कर सकें।
अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज़ करें
आपको इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए :—
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अपने वर्कआउट में वैरायटी लाएं और अलग-अलग तरीक़ों से वर्कआउट करें। हाथ
और पैर के वर्कआउट के साथ ही हर दूसरे दिन शरीर की सभी मांसपेशियों को
वर्कआउट में शामिल करें। इससे आपके जोड़ों पर पड़ने वाला दबाव बंट जाएगा और
चोटिल होने का संभावना भी कम हो जाएगी।
- जॉइन्ट्स पर दबाव और उसके
चोटिल होने के ख़तरे को कम करने के लिए अपने बॉडी शेप और वेट गोल को ध्यान
में रखते हुए, हाई और लो इम्पैक्ट, दोनों तरह की एक्सरसाइज़ करें।
- स्विमिंग करें। इससे आपके जोड़ों पर दबाव भी नहीं पड़ेगा और एक अच्छी एक्सरसाइज़ भी हो जाएगी।
- सही तरीक़ा और तक़नीक चुनें और प्रैक्टिस करें।
सही वार्मअप कूलडाउन ज़रूरी
मसल्स,
लीगामेंट्स और जॉइन्ट्स जब सुस्त पड़े हों, ऐसे में उनपर वर्कआउट का दबाव
डालना, ना सिर्फ़ चोटिल होने का ख़तरा बढ़ा देता है बल्कि आपके फेफड़ों और
दिल पर भी अधिक दबाव बन जाता है। वार्मअप करने से आपके शरीर का तापमान और
ब्लड फ़्लो बढ़ जाता है, जिससे मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं और जॉइन्ट्स
में लुब्रिकेशन बढ़ जाता है।
किसी भी तरह के व्यायाम को सुरक्षित
और प्रभावी बनाने के लिए प्रॉपर वार्मअप और कूल डाउन रूटीन बहुत ज़रूरी है।
अगर आप आर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो सामान्य से अधिक देर तक वार्मअप करें,
ताकि आपके जॉइन्ट्स लुब्रिकेटिंग फ्लूइड प्रोड्यूस करना शुरू कर दें और
आपको मूवमेंट करने में आसानी हो सके।