फैलने लगा स्वाइन फ्लू का कहर, जानें लक्षण और उपचार

पीछले काफी सालों से स्वाइन फ्लू एक ऐसी बीमारी रही हैं जो कि समय-समय पर अपना असर दिखाते हुए शिकार बनाती रही हैं। यह एक तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। यह N1H1 वायरस द्वारा होती हैं। बीते दिनों में इसके डर से बैंगलोर की एक कंपनी ने 3 दिनों तह सभी कर्मचारियों को ऑफिस से छुट्टी दे दी है। कमजोर व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, वृद्धजन एवं जीर्ण रोगों से ग्रसित व्यक्ति को यह बीमारी जल्दी होने की संभावना रहती हैं। आज हम आपको इस बीमारी के लक्षण और उपचार बताने जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

- नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना।
- गले में खराश।
- सर्दी-खांसी।
- बुखार।
- सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द।
- कभी-कभी दस्त उल्टी आना।

सामान्य उपचार

- विशिष्ट आयुर्वेदिक पेय (काढ़ा) पियें। इसे बनाने के लिए डेढ़ कप पानी लेकर उसमें हल्दी पाउडर (एक चम्मच), कालीमिर्च (तीन दाने), तुलसी के पत्ते (दो), थोड़ा जीरा, अदरक, थोड़ी चीनी को उबाल लें। एक कप रह जाने पर उसमें आधा नींबू निचोड़ दें। इसे गुनगुना ही सेवन करें। इसे दिन में 2-3 बार लिया जा सकता है।
- नाक में दोनों तरफ तिल तेल की 2-2 बूंदें दिन में 3 बार डालें।
- रोजाना 2 से 3 तुलसी पत्र का सेवन करें।
- गिलोय का काढ़ा या ताजा गिलोय का रस 20 मिली प्रतिदिन पीयें।
- उपयुक्त मात्रा वयस्कों के लिए है, बालकों की उम्र के अनुसार मात्रा कम करें।
- स्वाइन फ्लू जैसे बुखार गले में खराब, सर्दी-जुकाम, खांसी व कंपकंपी आना, इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
- कपूर, इलायची, लौंग मिश्रण (पाउडर) को रूमाल में बांधकर रख लें व सूंघते रहें। संक्रमण का खतरा कम होता है।
- अमृतधारा की 1-2 बूंदें रूमाल अथवा रूई पर लगाकर बार-बार सूंघते रहने से भी स्वाइन फ्लू से बचाव होता है।