कोरोना का बढ़ता कहर देश-दुनिया की चिंता बढ़ा रहा हैं। खासतौर से भारत में इसके बिगड़ते हालात आमजन में खौफ पैदा कर रहे हैं। बीते दिन देश में 1 लाख से अधिक कोरोना संक्रमित पाए गए और देश में यह आंकड़ा बढ़ते हुए 43 लाख तक पहुंच चुका हैं। ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इसमें भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं। भारत की ही एक वैज्ञानिक प्रोफेसर सुमी बिश्वास जो कि स्पाई बायोटेक नाम की एक कंपनी की मालिक और CEO हैं। इसी कंपनी ने कोरोना की एक नई वैक्सीन तैयार की है।
उन्होंने यह वैक्सीन भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर तैयार किया है। खुशी की बात यह है कि इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी चल रहा है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट संचालित कर रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं प्रोफेसर सुमी बिश्वास और उनकी वैक्सीन से जुड़े ताजा अपडेट्स क्या हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुमी बिश्वास ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हैं। बंगलौर यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई करने के बाद वह साल 2005 में ब्रिटेन चली गई थीं। उसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली और मलेरिया की वैक्सीन तैयार करने के लिए जेनर इंस्टीट्यूट के साथ कई साल तक काम किया।
सुमी बिश्वास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट में एड्रियन हिल और मशहूर वैज्ञानिक सारा गिलबर्ट के साथ भी काम कर चुकी हैं। आपको बता दें कि इसी जेनर इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका कंपनी के साथ मिलकर अभी तक की सबसे एडवांस कोरोना वैक्सीन विकसित की है। वैक्सीन बनाने वाली इस टीम का नेतृत्व सारा गिलबर्ट ही कर रही हैं।
स्पाई बायोटेक की यह नई कोरोना वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौर में पहुंच चुकी है। ऑस्ट्रेलिया में तो इसका ह्यूमन ट्रायल (फेज 1 और 2) शुरू भी हो चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुमी बिश्वास ने कहा है कि ह्यूमन ट्रायल के दौरान सैकड़ों स्वयंसेवकों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।
स्पाई बायोटेक ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ वैक्सीन के लाइसेंस और उत्पादन के लिए समझौता किया है। कंपनी ने फंडिंग के जरिए अब तक 19 मिलियन डॉलर यानी एक अरब 40 करोड़ से भी ज्यादा की राशि जुटा ली है। फंडिंग करने वाली कंपनियों में ऑक्सफोर्ड साइंसेंज इनोवेशन और जीवी शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई वैक्सीन में हेपेटाइटिस बी एंटीजन के वायरस जैसे कण को कैरियर की तरह उपयोग किया गया है, जिससे कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन जुड़े हैं। इसके जरिए ही शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए इम्यूनिटी विकसित होगी।