आप वज़न तो कम करना चाहती हैं, लेकिन जिम जाने के लिए समय नहीं निकाल पा रही हैं तो स्किपिंग यानी रस्सी कूदना आपके लिए सही विकल्प है।
लक्ष्य : वज़न कम करना और शारीरिक क्षमता बढ़ाना।
कितनी कैलोरी ख़र्च होती है : 10 मिनट तक लगातार रस्सी कूदकर आप 100 कैलोरी बर्न कर सकती हैं।
कहां करें : कहीं भी, घर, पार्क या किसी भी खुले स्थान पर।
आपको आवश्यकता होगी : स्किपिंग रोप (रस्सी) व अच्छी क्वॉलिटी के स्पोर्ट्स शूज़ की।
बीमारियों से भी बचाता है
रस्सी कूदने से ऑस्टिओपोरोसिस होने
का ख़तरा भी कम होता है। यूके के ऑस्टिओपोरोसिस सोसाइटी द्वारा किए गए शोध
के अनुसार, नियमित रूप से स्पिकिंग करने से उम्र के साथ हड्डियों के क्षय
होने की दर में गिरावट आती है, जिससे ऑस्टिओपोरोसिस जैसी बीमारी होने का
ख़तरा कम हो जाता है।
क्या आप जानती हैं?
10 मिनट स्किपिंग करने से उतना ही फ़ायदा मिलता है, जितना की 30 मिनट जॉगिंग, 15 मिनट दौड़ने व 12 मिनट तैराकी करने से।
किस तरह मदद करता है :
‘‘स्किपिंग यानी रस्सी कूदना एक बेहतरीन ऐरोबिक एक्सरसाइज़ है। इससे पूरे
शरीर की एक्सरसाइज़ होती है। यह वज़न कम करने के साथ ही बांह और काफ़ मसल्स
को टोन करने में मदद करता है। नियमित रूप से रस्सी कूदने से हड्डियां मज़बूत
होती हैं और एकाग्रता व स्टेमिना भी बढ़ता है। इतना ही नहीं, यह हमारे
हृदय को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है,’’ कहना है फ़िटनेस ट्रेनर योगेश
चव्हाण का।
स्किपिंग से होने वाले फ़ायदों के बारे में बताते हुए फ़िटनेस
ट्रेनर प्रसाद शेट्टी कहते हैं,‘‘स्किपिंग मेटाबॉलिज़्म व बोन डेंसिटी
बढ़ाने के साथ ही पैर, घुटनों और ऐंकल को मज़बूत बनाने में सहायक है। नियमित
रूप से स्किपिंग करने से आंख, हाथ और पैरों के बीच कोऑर्डिनेशन यानी
तालमेल बढ़ता है, लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि यह एक शॉर्ट ड्यूरेशन
एक्सरसाइज़ है यानी इसे ज़्यादा से ज़्यादा 20 मिनट तक ही करना चाहिए।
इससे
ज़्यादा समय तक लगातार स्किपिंग करने से आपकी लोअर बॉडी पर अत्यधिक दबाव पड़
सकता है, जिससे घुटनों के चोटिल होने का ख़तरा बढ़ जाता है। मेरा मानना है
कि इसका फ़ायदा उठाने के लिए सिर्फ़ स्किपिंग करने के बजाय इसे अपने
वर्कआउट प्लान में शामिल करना चाहिए।’’
ध्यान दें : रस्सी
कूदना एक खेल है। इसे करने के लिए हाथों और पैरों के बीच समन्वय बैठाने की
आवश्यकता होती है। इसके लिए आपके बांहों और पैरों के बीच ट्यूनिंग होना
ज़रूरी है। यदि आप पहली बार रस्सी कूद रही हैं तो आपको सीखने में कुछ समय लग
सकता है इसलिए शुरुआत में 50 से 150 रिपिटिशन करें और फिर धीरे-धीरे समय
बढ़ाएं। प्रसाद शेट्टी कहते हैं,‘‘स्किपिंग पैडेड सर्फ़ेस (सतह), जैसे-
योगा मैट इत्यादि पर करना चाहिए। कॉन्क्रीट, हार्ड या उबड़-खाबड़ जगह पर
स्पिकिंग करने से जॉइन्ट्स पर अनावश्यक ज़ोर पड़ता है।’’
वहीं योगेश सलाह
देते हैं,‘‘अन्य एक्सरसाइज़ की तरह स्किपिंग शुरू करने से पहले वॉर्मअप और
स्ट्रेचिंग करना ज़रूरी है। साथ ही स्किपिंग करते समय पंजों पर रहें। कुछ
लोग स्किपिंग करते समय ज़मीन से बहुत ऊंचा कूदते हैं, जो कि ग़लत है। इस तरह
रस्सी कूदने से जल्दी थकावट होती है और चोटिल होने का ख़तरा भी रहता है।
आपको ज़मीन से एक इंच से ज़्यादा ऊंचा नहीं कूदना चाहिए।’’
इस बारे में बात
करते हुए फ़लक्स फ़िटनेस सेंटर के ट्रेनर दिलीप सालुंखे कहते
हैं,‘‘स्पिकिंग करने के लिए पूरी तरह फ़िट होना बहुत ज़रूरी है। घुटनों में
चोट, पीठ दर्द, मसल्स पुल होने या अन्य किसी भी तरह की शारीरिक समस्या होने
पर स्किपिंग नहीं करना चाहिए।’’
यूं करें : शुरुआत में एक
मिनट रस्सी कूदें और फिर 30 सेकंड आराम करें। ऐसा 4 बार यानी कुछ छह मिनट
तक करें और फिर दो-तीन मिनट आराम करें। इस तरह स्किपिंग करने से हृदयगति
संतुलित रहती है और कैलोरीज़ भी बर्न होती हैं।
बदलाव लाएं : यदि
आप एक ही तरह से रस्सी कूदकर बोर हो चुकी हैं तो पैटर्न में विविधता लाकर
इसे रोचक बना सकती हैं। इसके लिए आप डबल-फ़ुट हूप्स, सिंगल-फ़ुट हूप्स,
क्रिस-क्रॉस इत्यादि तरीक़े ट्राई कर सकती हैं।