क्या सच में दाद-खाज-खुजली की इस दवा से होगा कोरोना का इलाज?

बढ़ता कोरोना संक्रमण देश में भयावहता की स्थिति पैदा कर रहा हैं। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 22 लाख को पार कर चुका हैं और मौत का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा हैं। ऐसे में सभी को वैक्सीन और इसकी दवाई का इन्तजार हैं। दवाई के तौर पर लगातार डॉक्टर्स द्वारा कई शोध भी किए जा रहे हैं ताकि संक्रमितों का इलाज कर उन्हें जल्द स्वस्थ किया जा सकें। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा दाद-खाज-खुजली की दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। दावा किया जा रहा है कि इस दवा से कोरोना का इलाज और बचाव दोनों ही संभव हो सकता है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से बचाव के लिए संक्रमित मरीजों को ये दवा दिए जाने के आदेश सभी जिलों के सीएमओ को दिए हैं।

इस दवा का नाम है आइवरमेक्टिन (Ivermectin)। इसका इस्तेमाल दाद-खाज-खुजली से होने वाले पैरासाइट इंफेक्शन का इलाज करने में किया जाता है। इसके अलावा रिवर ब्लाइंडनेस, पेट में कीड़े मारने और जुएं मारने की दवा के तौर पर भी इस दवा का इस्तेमाल होता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, आइवरमेक्टिन दवा कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हो रही है। यह कोशिका से वायरस को नाभिक में पहुंचने से रोक देती है। ऐसे में वायरस संक्रमित मरीज के डीएनए से मिलकर अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती होते ही पहले तीन दिन तक रात का खाना खा लेने के दो घंटे बाद आइवरमेक्टिन की एक गोली खिलाई जाएगी। इसके साथ ही डाक्सीसाइक्लीन दवा भी उन्हें पांच दिनों तक रोजाना दो बार दी जाएगी।

संक्रमित मरीज के संपर्क में आए लोगों को कोरोना के संभावित संक्रमण से बचाव के लिए पहले और सातवें दिन रात का खाना खा लेने के दो घंटे बाद आइवरमेक्टिन की एक गोली खिलाई जाएगी। स्वास्थ्यकर्मियों को भी यह दवा दी जाएगी। उन्हें पहले, सातवें और 30वें दिन ये दवा दी जाएगी। फिर अगले महीने भी इसी क्रम को दोहराया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया के बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टिट्यूट की डॉ। कायली वागस्टाफ ने अप्रैल महीने में ही यह दावा किया था कि आइवरमेक्टिन दवा के इस्तेमाल से सिर्फ 48 घंटे में ही कोरोना वायरस को पूरी तरह खत्म कर दिया गया था। उनका कहना था कि महज 24 घंटे के अंदर ही यह दवा अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। उनकी यह शोध ऑस्ट्रेलिया की एंटीवायरल रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है।

बांग्लादेश मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो। मोहम्मद तारिक आलम ने मई महीने में यह दावा किया था कि इस दवा के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। मरीजों को जब आईवरमेक्टिन के सिंगल डोज के साथ एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन को मिला कर तैयार किया गया एंटीडोट दिया गया तो संक्रमित मरीज ठीक हो गए। उनका दावा था कि इस दवा से चार दिन में ही कोरोना संक्रमित ठीक हो गए और उन्हें कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ।