दुनियाभर के लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार है। हर दिन कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं जो कि अपनी भयावहता को दर्शाता हैं। ऐसे में समय रहते वैक्सीन का आना बहुत जरूरी हैं ताकि स्थिति को संभाला जा सकें। हांलाकि अभी तक दुनियाभर में वैक्सीन को लेकर ट्रायल जारी हैं और उनमें सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में एक ताजा रिपोर्ट में बात सामने आ रही हैं कि रूस अगले महीने से आम लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराने जा रहा हैं।
रूस ने पिछले दिनों कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना लेने का दावा किया था। कहां तो चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश इस रेसे में आगे चल रहे थे, लेकिन रूस के दावे ने सभी को चौंका दिया। वैक्सीन बनाने के रूस के दावे से लोग काफी हैरान भी थे। रूस पर वैक्सीन संबंधी रिसर्च चुराने के प्रयास का आरोप भी लगाया गया, जिससे रूस ने साफ इनकार किया। बहरहाल, रूस के स्वास्थ्य मंत्री के हालिया बयान के आधार पर कहा जा रहा है कि रूस में कोरोना की वैक्सीन जल्द ही सामने आ सकती है।
स्पुत्निक न्यूज(Sputnik News) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि तीसरे यानी अंतिम चरण के ह्यूमन ट्रायल से पहले ही कोरोना वायरस की वैक्सीन आम जनता के लिए उपलब्ध हो सकती है। इस वैक्सीन का एडिशनल क्लिनिकल रिसर्च भी साथ-साथ होगा। मध्य रूस के येकातेरिन्बर्ग की यात्रा के दौरान मिखाइल मुराश्को ने यह जानकारी दी है।
इधर, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किरिल दिमित्रीव ने कहा हे कि इम्यूनिटी को लेकर शोधकर्ता दो अलग-अलग प्रकार की वैक्सीन पर शोध कर रहे हैं। अगस्त में शुरू होने वाले वैक्सीन के तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल में हजारों वॉलंटियर्स को शामिल किया जाएगा।
तीन अगस्त से वैक्सीन के अंतिम चरण का ट्रायल शुरू होने वाला है। यह रूस के अलावा सऊदी अरब और यूएई में भी होगा। किरिल दिमित्रीव के मुताबिक, रूस इस साल वैक्सीन की तकरीबन 30 मिलियन यानी तीन करोड़ डोज का घरेलू उत्पादन कर सकता है। हालांकि कई अन्य देशों ने भी वैक्सीन के उत्पादन में दिलचस्पी जाहिर की है, जिनके साथ मिलकर रूस करीब 17 करोड़ डोज तैयार कर सकता है।
रिसर्च इंस्टिट्यूट के प्रमुख के मुताबिक कोरोना वायरस की यह वैक्सीन पश्चिमी देशों की वैक्सीन की तुलना में ज्यादा उन्नत और बेहतर है। उन्होंने कहा कि अपने विदेशी सहयोगियों के साथ इस वैक्सीन की तकनीक को साझा करते हुए हमें बेहद खुशी होगी, अगर उन्हें इसकी जरूरत है।
मालूम हो कि पिछले दिनों रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने पहले कोरोना वायरस की वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में सफलता मिलने का दावा किया था। इस वैक्सीन का निर्माण रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री के गमाली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने किया है।
न्यूज एजेंसी TASS की रिपोर्ट के मुताबिक, सेचेनोव यूनिवर्सिटी द्वारा इस वैक्सीन की जांच की गई है। 18 जून को वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल की शुरुआत हुई थी, जिसमें 18 वॉलंटियर्स को डोज दी गई थी। इसके बाद 23 जून को दूसरे चरण में 20 लोगों के समूह को वैक्सीन दी गई थी।
रूस के दावे के कुछ ही दिन बाद ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने रूस के स्टेट इंटेलिजेंस पर वैक्सीन रिसर्च चुराने का आरोप लगाया था। ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) का कहना था कि रूस के हैकर्स कोरोना की वैक्सीन विकसित करने वाली संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं। हालांकि रूस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।