क्या बार-बार सीटी स्कैन से कैंसर का खतरा बढ़ता है? जानिए क्या कहती है नई रिसर्च

आजकल मामूली चोटों से लेकर गंभीर बीमारियों तक, डॉक्टर मरीजों को तुरंत सीटी स्कैन (CT Scan) कराने की सलाह देते हैं। इस तकनीकी परीक्षण की मदद से बीमारियों की पहचान करना काफी आसान हो जाता है, लेकिन अब एक नई स्टडी ने इस पर चिंता जताई है। रिसर्च के अनुसार, बार-बार सीटी स्कैन करवाने से कैंसर (Cancer) का खतरा बढ़ सकता है। इस स्टडी के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या सीटी स्कैन कराना सुरक्षित है या नहीं। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में और इसकी वजह को।

क्या कहती है स्टडी

जामा इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि अगर सीटी स्कैन को ऐसे ही हर छोटी-बड़ी समस्या पर कराया जाता रहा, तो अगले कुछ वर्षों में हर साल 5% नए कैंसर मामलों के लिए सीटी स्कैन जिम्मेदार हो सकता है। स्टडी में यह भी बताया गया कि सीटी स्कैन रेडिएशन के जरिए किया जाता है। और यह रेडिएशन खतरनाक हो सकता है, क्योंकि साइंस मानता है कि यह कैंसर का कारण बन सकता है। हालांकि एक या दो बार सीटी स्कैन से कैंसर का खतरा कम हो सकता है, लेकिन इसका कोई जोखिम न होना कहना सही नहीं होगा। कम उम्र के बच्चों और किशोरों को इससे ज्यादा खतरा हो सकता है।

क्या हो सकता है कारण

एक्सपर्ट्स का मानना है कि 50 साल से कम उम्र के लोग यदि बार-बार सीटी स्कैन करवाते हैं, तो उनके शरीर में रेडिएशन का एक्सपोजर ज्यादा होता है। यह रेडिएशन शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और उनमें म्यूटेशन (Mutation) का कारण बन सकता है, जिससे भविष्य में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। विशेषकर चेस्ट और एब्डॉमिनल (पेट से जुड़ा) सीटी स्कैन में रेडिएशन डोज ज्यादा होती है, जो लंबे समय तक असर कर सकती है।

CT स्कैन में कितनी रेडिएशन होती है

एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक CT स्कैन, विशेषकर चेस्ट या पेट का स्कैन, 100 से 500 एक्स-रे के बराबर रेडिएशन पैदा करता है। इसका मतलब है कि अगर एक मरीज को बार-बार सीटी स्कैन की जरूरत पड़ती है, जैसे कैंसर फॉलो-अप, बार-बार की चोट या क्रॉनिक बीमारियों के कारण, तो उसके शरीर में रेडिएशन का बोझ धीरे-धीरे बढ़ सकता है।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा

- बच्चों और युवाओं को
- बार-बार स्कैन कराने वाले मरीजों को
- जिने पहले से कैंसर का खतरा हो
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को

क्या करें, क्या न करें

- सीटी स्कैन तभी कराएं जब सचमुच जरूरत हो।
- डॉक्टर से पूछें कि क्या MRI या अल्ट्रासाउंड से काम चल सकता है।
- स्कैन का रिकॉर्ड रखें, ताकि कितनी बार, और कौन-से हिस्से का स्कैन हुआ है, इसका हिस्ट्री रहे।
- डॉक्टर या तकनीशियन से रेडिएशन डोज के बारे में जानकारी लें।
- बच्चों के लिए CT स्कैन से पहले Pediatric Setting की मांग करें, ताकि कम रेडिएशन का एक्सपोजर हो।